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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
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bahut he achha laga padh kar Deen Dayal ji ko...
ReplyDeleteshukriyaa saanjha kar ek liye!
समय की कीमत कब समझूंगा, समय निकल जाएगा तब,
ReplyDeleteसमय सफलता कैसे देगा, कोशिश कभी न करता मैं,
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
वाह....बहुत गहरे भाव लिये आप की कविता... इंतजार ओर इंतजार
ReplyDeletePrem srdhye,
ReplyDeleteBhai ji Deendayal ji.
Aap ki teen rachanye Aab to jag,sapnye or samay pdhi.teeno rachanyo mai karrara veyeng h.Aap ki sabhi rachanaye bhut hi khubsurat or gayanverdhek hoti h.Rachana pd ker yu legta h ki Aap muskera rehye ho.Aap ki muskan kavityo m saf jelketi h.Mari dua h ki Aap ise prkar muskra ker likhte reho.
Achhi or payri si rachana k liye sadhu-bad.
NARESH MEHAN
bahut hi sundar bhavon se saji rachnayein.
ReplyDeletebehad bhavpurn abhivyakti
ReplyDeletebdhai
madan gopal ladha
apne sapne apna samay apne bheetar kee aag mulyawaan hai.....
ReplyDeleteteenon rachnayen adwitiye paksh rakhti hain
geet aur gajal bahut hi ache lage.
ReplyDeleteAaj ke bhautik yug men Deendayal Sharma Ji ki rachnayen manviy moolyon ko bachane ka ek sundar
ReplyDeleteaur sarthak pryas hain.unhen meri taraf se badhai. Alam Khursheed
आखर कलश में साहित्यकार दीनदयाल शर्मा जी की एक गजल और दो गीत पढ़ कर मजा आ गया. शर्मा जी केवल वरिष्ठ बाल साहित्यकार ही नहीं, अच्छे कवि भी हैं. आप की प्रत्येक रचना हमारे लिए महत्वपूर्ण है. इनकी हास्य रचनाएँ भी लाजवाब हैं. सरल, सहज और स्पष्ट कवि को हार्दिक शुभकामनाएं..राजेंद्र डाल
ReplyDeleteबहुत गहन चिन्तन, लेखक को बधाई.
ReplyDeleteMere liye bahut prasnnta ki baat hai ki apko meri Gajal "Ab to Jaag" aur Geet "Sapne" aur "Samay" pasand aye...Meri aur se hardik badhaee svikar kren. Main apne mitron aur kavy Premio se agrh krta hun ki ve khule man se iski pratikriya me apne vichaar den..kami batayen, visheshta batayen..likhne aur padhne me dono tarf se Hausla badhta hai.Jinhone Pratiktriya di hai aur ise padhne wale apne Vichaar denge.. mere liye dono hi mahtw rakhte hain. meri Haardik Badhaaee..09414514666
ReplyDeleteदीन दयाल जी आप की प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.आज के समाज को आइना दिखाती हुई.आगे भी आप की रचनाएँ पढ़ने को मिले ऐसी आशा रखती हूँ
ReplyDeletesabhi rachnayen behatareen, seekh deti hui.
ReplyDeletesundra rachna
ReplyDeleteabhar
bhai sahab 'DEED' ji,
ReplyDeleteaapki gazal aur kavitayein padhi. behad sundar shilp aur bhav ke liye badhai ......
Jitendra kumar soni
www.jksoniprayas.blogspot.com
Hello Deendayal ji.. its really appreciable "Gazals" and "poems". I liked it very much. Good work..
ReplyDeleteDear Sir Deendayal ji. maine aapka bahut name suna hai. aapki ek haasya vyangy "Saari khudaai ek taraf" bhi padhi. bahut achi lagi. aur ye gazal aur kavitaaye to laajawab hai. isme ek line mujhe bahut achi lagi....
ReplyDeleteगलत काम में गुस्सा आता, धीरज क्यों नहीं धरता मैं,
उम्मीदें पालूं दूजों से, खुद करने से डरता मैं
waah. laajwab...nice work sir.
jyoti lohiya. sgnr.
nice gazals and poems. very deep poems. bilkul saral aur sehaj shabdo me likhi gai hai. aage bhi aisi rachnaaye padhne ko mile to badi khushi hogi.
ReplyDeleteArpit kulria. Bikaner.
deendayal ji kamaal kar diya aapne to. . aisi gazal likhi hai. vaastvikta bataati hai ye to. kalpana se kahi door. bahut ache. bahut pasand aai. bhartendu
ReplyDeletekavita aur gazal laajwab hai.
ReplyDeleteGAZAL AUR KAVITA SHANDAAR HAI.YOU HAVE DONE VERY WELL.
ReplyDeleteMASTAN SINGH
BLOG= penaltystroke.blogspot.com
"कौन बुझाए खुद के भीतर रहो जलाते आग", "सपने तो लेते हैं हम सब ऊंची रखते आस", "गलत काम में गुस्सा आता धीरज क्यों नहीं धरता मैं" नामक तीन रचनाएं पढ़ने को मिलीं। इन रचनाओं में आपने जीवन के अनुभवों को बड़े करीने से संजोया है । भटके हुए लोगों को राह दिखाने के लिए उपदेशात्मक रचनाएं क्भी-क्भी कारगर सिध्द होती हैं। आपके प्रयास को साधुवाद !
ReplyDeleteसद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
भाई दीनदयाल जी शर्मा देश के लब्ध प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार हैँ।कलम के धनी हैँ।हास्य व्यंग्य सम्राट हैँ। अच्छे कहानीकार,नाटक-एकांकीकार, कवि व उद्घोषक भी हैँ आप।इस ब्लाग पर वे अपनी अच्छी कविताओँ के साथ उपस्थित मिले तो बड़ा अच्छा लगा। आनंद आया।उनके चेहरे पर पगड़ी भी बहुत फब रही। अच्छी रचनाओँ व सुन्दर फोटो के लिए बधाई!
ReplyDelete-ओम पुरोहित'कागद' omkagad.blngspotcom
waah uncle.....ghazab uncle ki ajab ghazab kavita...waah
ReplyDeletedd sharmji ki gazal aur geet padh kar aanand aa gaya. bahut hi sahaj andaj me sacchi baat likhte hai.jaisa unka vyawhar hai waisa hi lekhan bhi hai.
ReplyDelete....kirti rana/blog pachmel
अच्छी कहन के लिये अच्छे विचार और अच्छा शब्द ज्ञान और सही व्याकरण तो न्यूनतम आवश्यकता है ही और ये तीनों पक्ष आपकी रचनाओं में मौज़ूद ही नहीं हैं आपकी वैचारिक सरलता को भी स्पष्ट करते हैं। दोहा छन्द का उपयोग कर ग़ज़ल कहने वाले कम ही हैं, जिसमें आज एक नया नाम आपके रूप में सामने आया। हॉं ग़ज़ल के रूप में स्वीकार करने में ग़ज़ल-विशारदों को आपत्ति हो सकती है। मफझे तो आपके सहज भाव और सहज भाषा दोनों अच्छे लगे।
ReplyDeleteमेरी रचनाओं पर जिन - जिन साहित्यकारों, काव्य प्रेमिओं व शुभचिंतकों ने प्रतिक्रिया दी है , उनका मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ और अपेक्षा करता हूँ कि वे आगे भी इसी तरह अपने विचारों से कृतार्थ करते रहेंगे. और देश भर से जो परिचित अपरिचित साहित्य प्रेमी व साहित्यकार इस ब्लॉग को क्लिक करके पढेंगे...उनसे निवेदन है कि वे मेरी रचनाओं पर भी एक बार नजर जरूर डालें और हो सके तो अपनी प्रतिक्रिया में दो शब्द जरूर लिखें..आप सबका फिर से आभार. http://deendayalsharma.blogspot.com , 09414514666
ReplyDeleteAapki kavita laajwab hai.
ReplyDeletewah dushant bhai kaya bat h yar
ReplyDelete