साधना राय की कविता - हिमालय


नामः- श्रीमती साधना राय
पिताः- स्वर्गीय श्री हरि गोविन्द राय (अध्यापक)
माता:- श्रीमती  प्रभा राय (गृहणी)
पतिः- श्री संजय कुमार राय, माइंनिक इंजीनियर  (बिजनेस-फरीदाबाद,हरियाण)
शिक्षाः- माध्यमिक परीक्षा-1982-ज्ञान भारती बालिका विद्यालय, कलकत्ता उच्च माध्यमिक परीक्षा-1984-सेठ आनन्‍द राम जयपुरिया कालेज,कलकत्ता
बी.ए.आनर्स (हिन्दी)  -1987- सेठ आन्नद राम जयपुरिया कालेज,कलकत्ता
साहित्य रत्न-1988- प्रयाग विश्वविद्यालय,इलाहाबाद
बी.ए.स्पेशल(अंग्रेजी) -1988- कलकत्ता विश्वविद्यालय,
एम.ए. (हिन्दी) -1990 - कलकत्ता विश्वविद्यालय
बी.एड. -1991 आचार्य जगदीश चन्द्र बोस कालेज,कलकत्ता
व्यवसायः- प्रध्यापक,हिन्दी शिक्षण योजना,सिलीगुडी़-1993-(तदर्थ नियुक्ति)
कनिष्ठ हिन्दी अनुवादक,धातु एवं इस्पात निर्माणी,ईशापुर,रक्षा मंत्रालय अक्टूबर,1994
कनिष्ठ हिन्दी अनुवादक,तोप एवं गोला निर्माणी,काशीपुर, रक्षा मंत्रालय कलकत्ता-फरवरी,2003
वरिष्ठ हिन्दी अनुवादक,आयुध निर्माणी बोर्ड,कलकत्ता, रक्षा मंत्रालय  - फरवरी,2006
पताः-    यमुना अपार्टमेन्ट,10/1,यादव चन्द्र घोष लेन,कोलकाता,बरानगर, कोलकाता-36
रूचिः-    साहित्यिक उपन्यास,कहानी,काव्य, संगीत-(मुकेश, मुहम्मद रफी़यशुदास, कुमार शानु , लता, आशा, कविता कृष्णमूर्ति यागनिक) संगीत वाद्य यंत्र(गिटार), हस्त कल 
**************************************************************************************** 


हिमालय
, पर्वतराज हिमालय,
कितना अद्भुत,कितना मनोरम।
दूर-दूर फैली तेरी बाहें,
विस्मित कर देती है मुझकों।
प्रथम किरणों से स्पर्शित हो,
स्वर्णमय हो जाता है तू।
तेरे क्रोड़ में फैली सुरम्य वन-खण्डी,
मानों कलाकार की स्वप्निल चित्रकारी हो जैसे।
, पर्वतराज हिमालय,
कितना अद्भुत,कितना मनोरम।
तेरे वक्षस्थल से निकले सर-सरिताएँ,
अपने नव जीवन पर हैं इतराती।
ऋषि-मुनि,विद्वजन की उत्कंठित,
जिज्ञासा की भूख मिटाता है तू।
पर्वतारोही को जिन्दगी एक समर है,
सबक सिखलाता है तू।
, पर्वतराज हिमालय,
कितना अद्भुत,कितना मनोरम।
अनंत काल से मौन खड़ा,
किस तपस्या में लीन है तू।
, महायोगी तेरी लीला देख-देख,
नतमस्तक हो उठती हूँ मैं।
*******


Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

5 Responses to साधना राय की कविता - हिमालय

  1. साधना राय जी,
    अच्छी रचना के लिए साधुवाद!
    इस रचना मेँ भाषा का प्रवाह तथा बिम्बात्मकता प्रभावित करती है।

    ReplyDelete
  2. प्रशंसनीय रचना - बधाई

    ReplyDelete
  3. साधना DIDI
    आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

    ReplyDelete
  4. रचना बहुत सुन्दर है ... हिमालय तो हमारे देश का सरताज है ...

    ReplyDelete
  5. हिमालय की चोटियों को संजीदगी से उभारा है |

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.