एकता नाहर की दो ग़ज़लें

आपके समक्ष लगनशील और युवा लेखिका एकता नाहर की कुछ रचनाएँ प्रस्तुत हैं. इनकी खूबी है कि आप तकनीकी क्षेत्र में अध्ययनरत होने के उपरांत भी हिंदी साहित्य की दोनों विधाओं गध्य और पद्य में अपने लिखने के साथ बेहद उम्दा sketches भी बनाती हैं ! बी.ई.फ़ाइनल ईअर की विद्यार्थी एकता नाहर की रचनाये समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकशित होती रहती हैं. दो अलक-अलग व्यक्तित्व की धनी एकता कवि सम्मेलनों में भी अपनी प्रस्तुति देती आई हैं. पेशेनज़र है उनके भावुक मन से निकली दो ग़ज़लें...

ग़ज़ल एक

रात की ख़ामोशी इस बात की गवाही है,
शायद आने वाली फिर एक नयी तबाही है!!

सहमा-सा हर मंजर सनसनी-सी फैली हुई,
सुनसान रास्तों पर शायद कोई आतंक का राही है!!

यह सीमा पार के हमले हैं या अपनों के हैं विद्रोह,
सारी रात कश्मीर ने इस सोच में बितायी है!!

जंग-ए-मैदान में पल-पल छलनी होते सीने,
मौत के सामानों ने कैसी होड़ मचाई है!!

‘एकता' अब तुमको भी हथियार उठाने होंगे,
अब फीकी पड़ने लगी तुम्हारी कलम की स्याही है!!

ग़ज़ल दो

तन्हा नहीं कटते ज़िन्दगी के रास्ते,
हमसफ़र किसी को तो बनाना चाहिए था !!

शब् के अँधेरे गहरे थे बहुत,
मेरे लिए रौशनी किसी को तो जलाना चाहिए था !!

रोते हुए दिल की बात वो समझ ना सके,
शायद आँखों को भी आँसू गिराना चाहिए था !!

यूँ ही ऐतवार कर बेठे एक अजनबी पर हम,
एक बार तो उस शख्स को आजमाना चाहिए था !!

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42 Responses to एकता नाहर की दो ग़ज़लें

  1. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  2. आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।

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  3. यह सीमा पार के हमले हैं या अपनों के हैं विद्रोह,
    सारी रात कश्मीर ने इस सोच में बितायी है!!
    खुबसूरत शेर बधाई

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  4. भाव हैं,विचार भी है। एकता से एक ही अनुरोध है कि वे युवा हैं अपने लेखन में थोड़ी सी सकारात्‍मक भी लाएं। बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  5. दोनों ग़ज़लों से साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि एकता जी इस विधा में सफ़लता की बुलंदियों पर जाने वाली हैं...
    बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

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  6. बहुत अच्छा प्रयास .. सोच नई है.. और भाव भी.
    इसे बनाये रखें व और बेहतर करें ....
    - prithvi

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  7. बहुत सुन्दर
    दूसरी गज़ल जादा अच्छी लगी !

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  8. अच्छी और भावपूर्ण ग़ज़लें हैं।

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  9. जनाब नरेन्द्र व्यास जी
    एकता नाहर की यह अभिवयक्ति ,ग़ज़ल कहने का एक अच्छा प्रयास है
    किन्तु यह बह्र से खरिज तो हैं ही तथा काफ़िया भी दोष पूर्ण है
    इनको अभी और प्रयास करना चाहिए ताकि आगे चल ग़ज़लें कह सकें !
    धन्यवाद

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  10. अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    कविताओं में प्रतीक-शब्दों में नए सूक्ष्म अर्थ भरता है
    देसिल बयना - 53 : जाके बलम विदेसी वाके सिंगार कैसी ?

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  11. अच्छे शब्द और भाव. ये पंक्तियाँ विशेष लगीं
    रोते हुए दिल की बात वो समझ ना सके,
    शायद आँखों को भी आँसू गिराना चाहिए था!!
    - शुभकामनाएं.

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  12. आदरणीय पुरुषोत्तम 'अज़र' जी, प्रणाम ! जी सही फ़रमाया आपने, चूँकि एकता जी अभी प्रयासरत हैं, इनकी कोशिश काबिले तारीफ है. इनके सृजन को मौजीज़ गुणीजनो की कसौटी पर रखने का एक प्रयोजन भी था कि एकता जी का talent और अधिक निखरने की और अग्रसर हों..कमियाँ दूर हों और इनका सृजन और निखरे..जो कि हमारा मूल उद्धेय भी है..! आपका बेहद आभार !! साथ ही समस्त गुनीजनो का भी दिल से आभार जो उहोने एकता जी को appreciate किया..नमन करता हूँ !

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  13. ekta ko kalam ki sayahi nasib nahi hoti , lahu ki ek bund hi kafi hai..
    2.kuch logo ki aankhe behri hoti hai unhe dil ke rone ki aawaj sunai nahi deti is like aankhe bhi unki nahi roti..

    sadar..
    yogendra kumar porohit
    M.F.A.
    BIKANER,INDIA
    http://yogendra-art.blogspot.com

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  14. बहुत सुंदर..बढ़िया ग़ज़ल पढ़ने को मिली..एकता जी को बधाई

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  15. दोनों रचनाएँ बेहद पसंद आयीं.....

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  16. मुझ अबोध बालिका को आप सभी का अपार स्नेह और आशिर्वाद मिला !
    आप सभी का बहुत बहुत आभार
    धन्यवाद
    नरेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने अपने विचारो से मेरी रचनाओ को और भी खूबसूरत बनाया!
    पुरुसोत्तम जी,मॆ अपनी लेख्ननी मे सुधार लाने का पूरा प्रयास करूगी!
    भूल चूक के लिये माफ़ी चाहती हू!
    आशा है आप सभी का मार्गदर्शन,प्यार और आशीर्वाद ्मिलता रहेगा!
    सादर
    एकता नाहर

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  17. Ekta ki dono gazalon main nayapann hai..! Bhaav khoobsurat hain...! Shubhkamnayen...!

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  18. dono hi gazalein shaandaar hain ... likhti rahiye

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  19. शायरी में लड़कपन लगता है, जो उम्र के मुताबिक़ तो ठीक ही है, जारी रखिये ....

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  20. Ekta,
    Bahut sunder bhaav yukt ghazal
    ‘एकता' अब तुमको भी हथियार उठाने होंगे,
    अब फीकी पड़ने लगी तुम्हारी कलम की स्याही है!!
    Surinder Ratti
    Mumbai

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  21. ये वो उम्र है जब मुझे ग़़ज़ल का ग़ भी नहीं आता था। एकता इस उम्र में प्रयास कर रही हैं, भाव हैं शब्‍द हैं, शिल्‍प भी आ जायेगा। इंटरनैट के माध्‍यम से ग़़ज़ल पर आधार ज्ञान का लाभ तो इस पीढ़़ी को सहज उपलब्‍ध है।

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  22. congratulation ekta ji and i fully appreciate that you have soul for nationality this is great sign for forthcoming young writer . i would like that you have to affert through "Kalam" very positively these sensation matter we want a solution in favour of india.
    and next nazma i like very very much. your creation with emotion and bottom of heart . very lovely i really appreciate. again thanks to you and narendra vyas and sunil gajjani for AAKHAR KALASH
    Markanday

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  23. सहमा-सा हर मंजर सनसनी-सी फैली हुई,
    सुनसान रास्तों पर शायद कोई आतंक का राही है!!
    achchha prayas... dono gajle bhavpurn hain. shubhkamna

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  24. Nice way of expressing inner flow but it has to be flawless too... Meter is missing & so is the structure which is bare-essential for a ghazal!

    All the best...

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  25. ह्रदय से बहुत बहुत बधाई एकता जी
    आपकी पहली ग़ज़ल जो कि देश भक्ति से ओत प्रोत है और आपने अद्भुत राष्ट्र भक्ति का जज्बाटी प्रस्तुत किया है
    तथा आपकी दूसरी ग़ज़ल ह्रदय को छूते हुए निकली है तथा मैं आपकी भावना कि कद्र करता हु आपकी विविधता विलक्षण है कि दो बिलकुल भिन्न विषय पर आपने लिखा है एक और देश प्रेम दूसरी और प्रेम सन्देश का सार आप कि इजाजत हो तो मैं इन गजलो को संगीत बध्द कर आपको माननीय संपादक महोदय के माध्यम से प्रेषित करना है

    धन्यवाद और पुनह बधाई आपको और आखर कलश के नरेन्द्र जी एवं सुनील जी को
    मार्कंडेय रंगा

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  26. Markanday jee
    आपने मेरि रचनायो को इतना सराहा और उन्हे सन्गीत्बध्द करने का सोचा,मे आपकी आभारी हू!
    आप उचित समझे तो बिल्कुल आप मेरि रचनायो को सन्गीत्बध्द करे!
    मे अपनी रचनायो को सन्गीत के सुरो मे सुनने के लिये उत्सुक हू!
    उम्मीद है आप मुझे अपने सन्गीतमय सुरो मे मेरी रचनायो को प्रेषित करेगे!
    सादर
    एकता नाहर

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  27. आप सभी का बेहद शुक्रिया,
    आभारी हू
    एकता नाहर

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  28. सहज काव्य प्रतिभा!!

    हमारी शुभेच्छा आपके साथ, उँचाईयां सर करें,यही भाव॥

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  29. ekta jee, achchhi aur pyari gajal ke liye bahut bahut badhai......:)

    ReplyDelete
  30. जनाब नरेन्द्र व्यास जी,
    आपके अनुरोध के मुताबिक ग़ज़ल को बहर (छंद) व शब्दों का परिभाषित करते हुए प्रेशित कर रहा हूं !
    आशा करता हूं एकता को यह ग़ज़ल पसंद आएगी और साथ में उत्साहवर्धन भी होगा !

    फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन
    2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2
    जिंदगी का लुत्फ़ उठाना चाहिए था
    बात बिगड़ी को बनाना चाहिए था

    मंजिलें मिलती कहां हैं जिंदगी में
    हमसफ़र अपना बनाना चाहिए था

    किस कदर गहरा अंधेरा छा गया है
    राह में दीपक जलाना चाहिए था

    दिल कि बातें वो मेरी समझा नहीं जब
    क्यूं मुझे आँसू गिराना चाहिए था

    अजनबी पर था भरोसा कर लिया यूं
    आजमाना भी तो आना चाहिए था

    ReplyDelete
  31. आपने सही कहा parushottam जी,
    पर साहित्यिक माहौल के अभाव के कारण सहित्य की विधाओ को स्पस्ट रूप से नही समझ पाई!फ़िर भी सहित्य मे असीम रुचि और लगाव है!आप जैसे साहित्य से धनी महानुभावो का मार्गदर्शन यू ही मिलता रहेगा तो जल्द ही सारी शिकायते दूर कर दूगी!
    पर मे
    फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन
    2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2
    को अपनी रचना के शब्दो मे अच्छी तरह से कैसे समाहित करू...
    इस बात पर भी आप अपनी टिप्पडी दे तो बेहतर होगा!

    ReplyDelete
  32. फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन
    2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2
    ये क्या है...मुझे भी बताएं..मैं भी कुछ सीख जाऊं..लिखने का तो सभी कुछ न कुछ जोड़ तोड़ कर लिख लेते हैं लेकिन वो साहित्य के नियम के अनुसार हो ऐसी मेरी भी तमन्ना है...जवाब जानने को उत्सुक हूँ..

    ReplyDelete
  33. प्रिय एकता नाहर व शेखर सुमन ग़ज़ल को बहर (छंद) को समझने के लिए आप उत्सुक है
    यह एक महत्वपूर्ण विषय है मुझे हार्दिक खुशी है ! आप मेरा नाम कोपी करके गूगल साइट में पेस्ट कर दें !
    पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
    आप ई-मेल भी कर सकते हैं !
    p.abbi@yahoo.co.in
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  34. अब फीकी पड़ने लगी तुम्हारी कलम की स्याही है!!

    nahi ekata. kalam sabse dhardar hathiyar hai.isaki shyahi ko fiki nahi hone dena hai.
    aapme dam hai.
    sadhna karte rahiye.

    ssneh-
    manoj bhawuk
    www.manojbhawuk.com

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  35. दोनों रचनाएँ बेहद पसंद आयीं.....

    regards

    ReplyDelete
  36. एकता जी आपकी दोनों गज़लों को पढ़ा मैं इससे अत्यंत प्रभावित हुआ दोनों गज़ले बेहद प्रेरणास्पद है की मैं निशब्द हूँ आपको दीपावली की अग्रीम शुभकामनाये हार्दिक आभार

    ReplyDelete
  37. Ye gazle apne likhi hai ???

    wakai laazawab hai...


    mere khayal se ap 1 ache kaviyatri ho sakti hai.

    ap meri kavitaye bhi kpbhai.blogspot.com dekh skti hai

    ReplyDelete
  38. विचार नए हैं ... कहने का अंदाज़ भी है .. शिल्प आते आते आ ही जाएगा ... बहुत बहुत शुभकामनाएं ....

    ReplyDelete
  39. vichar nye or aalokik h....sabdo me tajgi h ..ubharte telent ko hmari subhkamnaye..

    ReplyDelete
  40. U.N. singh B-32 aakriti garden Bhopal
    nai sugandh ke sath sabdno ka tana bana buna gaya hai chalte rahiye!

    ReplyDelete

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