Archive for 9/1/11 - 10/1/11

सरोजिनी साहू का कहानी संग्रह "रेप तथा अन्य कहानियाँ" (दिनेश कुमार माली द्वारा हिंदी भाषा में अनूदित)- समीक्षा: अलका सैनी

समीक्षा 

दिनेश कुमार माली
जाने माने प्रकाशक "राज पाल एंड संज "द्वारा प्रकाशित पुस्तक "रेप तथा अन्य कहानियाँ "दिनेश कुमार माली द्वारा  हिंदी भाषा में अनूदित प्रसिद्द उड़िया लेखिका सरोजिनी साहू का कहानी संग्रह है . दिनेश जी के हिंदी अनुवाद की ख़ास बात ये है कि किसी भी कहानी को पढने पर ये नहीं लगता कि यह उड़िया भाषा से हिंदी में अनुवाद है बल्कि बिल्कुल मूल रचना जान पड़ती है . दिनेश जी एक पुरुष होने के बावजूद जिस तरह एक औरत के मनोभावों और भावनाओं को समझते हुए उसे जिस तरह पन्नों पर उकेरते है वो वाकिया में काबिले तारीफ़ है . उनकी इसी दक्षता को पहचानते हुए यह पुस्तक दिल्ली के जाने माने प्रकाशक ' राज पाल एंड संज'  ने हाथ में ली . मुझे यहाँ यह कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि उनकी कहानियों के इस भावना परिपूर्ण  अनुवाद को पढ़ते  हुए ही मैंने अपने अंतर्मन में झांकते  हुए अपनी खुद की कहानियाँ लिखने की भी प्रेरणा पाई . 
इस पुस्तक  में लेखिका ने एक औरत के मन के  भीतर गहराई में छुपी हुई विभिन्न भावनाओं और संवेदनाओं को  बहुत ही सरलता से अपनी कहानियों में अंकित किया है . औरत मन से अत्यंत ही संवेदनशील और भावुक होती है इसलिए एक ही परिस्थिति को वह किस तरह पुरुष की अपेक्षा सूक्ष्म निरीक्षण करती है यही उनकी कहानी बलात्कृता में दर्शाया गया है . औरत अपनी भावनाओं के कारण हर पक्ष के अत्यंत ही गोपनीय पहलुओं तक पहुँच जाती है . 


कहानी रेप जो कि पुस्तक का शीर्षक भी है में औरत के मन की दबी हुई भावनाएं किस तरह सपनों का रूप धारण कर लेती है जबकि सपने का पात्र कहीं भी वास्तविकता में औरत के मन से मेल नहीं खाता है . जिस बेबाकी से लेखिका ने इस कहानी को लिखा है उस हद तक शायद ही कोई पति अपनी पत्नी के इस तरह के सपने को भी बर्दाश्त नहीं कर सकता हकीकत में तो दूर की बात है . हमारे समाज में अभी तक यही देखने में आता है कि पुरुष अपनी आजादी को हकीकत में भी जिस तरह भी इस्तेमाल करे परन्तु औरत के मन में आए किसी भाव को भी वह कबूल नहीं कर सकता . 
दुःख अपरिमित में एक छोटी लड़की में घर के माहौल में भेदभाव के वातावरण के कारण उसकी मन स्थिति इतनी विकृत हो जाती है कि वह हर समय डर के साए में रहती है इसलिए खुद को नई मुसीबत में घिरा पाती है .


कहानी चौखट में एक जवान लड़की के मन के भावो को दर्शाया गया है कि घर में बाप और भाइयों के रौब दार व्यवहार के घुटन भरे माहौल से छुटकारा पाने के लिए वह किस तरह से छटपटाती  है . इसी कशमकश में वह भविष्य की अनिश्चितता  को भी ना विचारते हुए एक लड़के के साथ  भाग कर प्रेम विवाह कर लेती  है उस समय उसे सिर्फ अपनी माँ की बेबसी का ध्यान आता है .


कहानी गैरेज में किस तरह एक औरत जो कि गृहणी है अपने घर के गैरेज को लेकर अपनी काम वाली के साथ मिलकर आए दिन तरह- तरह के सपने बुनती है . इस कहानी में लेखिका ने घर में रहने वाली औरतों के मन की भावो को दर्शाया है कि वह कुछ करना चाहते हुए भी कई बार कुछ नहीं कर पाती और इसी अधूरेपन में अंत तक विचरती रहती है .

अलका सैनी
इस तरह लेखिका के इस कहानी सग्रह की हर एक कहानी औरत के मन और उसकी भावनाओं के हर एक पहलु को उजागर करती है . औरत अलग- अलग  परिस्थितियों  में किस तरह इतनी गहराई में सोचती है इसको लेखिका ने बखूबी दर्शाया है . औरत जब नौकरी करती है तब किस- किस तरह के हालात उसे झेलने पड़ते है बच्चों और पति में वह किस तरह ताल मेल बिठाती है या फिर जब वो माँ बनने वाली होती है तो किस तरह की हालत को झेलती है . इस कहानी सग्रह में औरत के हर रूप माँ , बेटी , बहन , पत्नी बन कर किस तरह की परिस्थितियों  से गुजरना पड़ता है ये सब पढ़ने का मौका मिलता है. यहाँ तक कि लेखिका ने औरत के मन में प्रेम और सैक्स को लेकर छुपी हुई अधूरी भावनाओं और इच्छाओं को बहुत ही निडरता से लिखा है जो कि हर औरत के मन के किसी कोने में छुपी होती है परन्तु कई बार उसे घर की जिम्मेवारियां निभाते- निभाते खुद  भी अपनी भावनाओं के बारे में पता नहीं चल पाता . इस उड़िया भाषा के कहानी सग्रह को हमारी मातर   भाषा में इतनी खूबसूरती से हमारे समक्ष प्रस्तुत करने का सारा श्रेय दिनेश कुमार माली जी को जाता है जिससे भारत के ही नहीं अपितु पूरी दुनिया के भारतीय इसे पढ़ कर औरत की भावनाओं के करीब पहुँच सकते है . .

कहानी संग्रह: रेप तथा अन्य कहानियाँ
कहानीकार: सरोजिनी साहू
अनुवादक: दिनेश कुमार माली
प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, कश्मीरी गेट, दिल्ली -11006
प्रथम संस्करण: 2011
ISBN: 978-81-7028-921-0
पृष्ठ संख्या: 175, पेपर बैक
मूल्य: एक सौ पचहत्तर रुपये

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अशोक आंद्रे की कविताएँ

साकार करने के लिए  

कविताएँ रास्ता ढूंढती हैं
पगडंडियों पर चलते हुए
तब पीछा करती हैं दो आँखें
उसकी देह पर कुछ निशान टटोलने के लिए.
एक गंध की पहचान बनाते हुए जाना कि
गांधारी बनना कितना असंभव होता है
यह तभी संभव हो पाता है
जब सौ पुत्रों की बलि देने के लिए
अपने आँचल को अपने ही पैरों से
रौंद सकने की ताकत को
अपनी छाती में दबा सके,

आँखें तो लगातार पीछा करती रहतीं हैं
अंधी आस्थाओं के अंबार भी तो पीछा कर रहे हैं
उसकी काली पट्टी के पीछे

रास्ता ढूंढती कविताओं को
उनके क़दमों की आहट भी तो सुनाई नहीं देती
मात्र वृक्षों के बीच से उठती
सरसराहट के मध्य आगत की ध्वनियों की टंकार
सूखे पत्तों के साथ खो जाती हैं अहर्निश
किसी अभूझ पहेली की तरह
और गांधारी ठगी-सी हिमालय की चोटी को

पट्टी के पीछे से निहारने की कोशिश करती है .

कविताएँ फिर भी रास्ता ढूंढती रहती हैं
साकार करने के लिए
उन सपनों को-
जिसे गांधारी पट्टी के पीछे
रूंधे गले में दबाए चलती रहती है.
********* 


बाबा तथा जंगल

परीकथाओं सा होता है जंगल
नारियल की तरह ठोस लेकिन अन्दर से मुलायम
तभी तो तपस्वी मौन व्रत लिए
उसके आगोश में निरंतर चिंतन मुद्रा में लीन रहते हैं
बाबा ऐसा कहा करते थे.
इधर पता नहीं वे, आकाश की किस गहराई को छूते रहते
और पैरों के नीचे दबे -
किस अज्ञात को देख कर मंद-मंद मुस्काते रहते थे
उन्ही पैरों के पास पडीं सूखी लकड़ियों को
अपने हाथों में लेकर सहलाते रहते थे.
मानो उनके करीब थकी हुई आत्माएं
उनकी आँखों में झांकती हुई कुछ
जंगली रहस्यों को सहलाती हुई निकल रही हैं.
फिर भी वे टटोलते रहते थे जीवन के रहस्य
उन्ही रहस्यों के बीच जहां उनके संघर्ष
समय के कंधे पर बैठ
निहारते थे कुछ अज्ञात.
उनके करीब पहाड़ फिर भी खामोश जंगल के मध्य
अनंत घूरता रहता था.
यह भी सच है कि जंगली कथाओं की परिकल्पनाओं से बेखबर
मंचित हो सकने वाले उनके जीवन के अध्याय
अपनी खामोशी तोड़ते रहते,
ताकि उनका बचपन-
उनके अन्दर उछल कूद करता
जंगल को उद्वेलित कर सके
ताकि वे अपने संघर्ष को नये रूप में परिवर्तित होते देख सकें --सिवाय अंत के .
*********

 
लगभग सभी राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में श्री अशोक आंद्रे की रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. आपने 'साहित्य दिशा' साहित्य द्वैमासिक पत्रिका में मानद सलाहकार सम्पादक और 'न्यूज ब्यूरो ऑफ इण्डिया' मे मानद साहित्य सम्पादक के रूप में कार्य किया है. अब तक आपकी कुल छ किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा आप National Academy award 2010 for Art and Literature from Academy of Bengali Poetry, kolkata से भी सम्मानित हुए हैं.

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