अविनाश वाचस्पति |
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अविनाश वाचस्पति
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अविनाश वाचस्पति |
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avinash ji ne bilkul sahi kaha..........moorkh banne ke liye jab koi khud ko prastut kar de to samne wala uska fayada kyun na uthaye.....sarthak lekh.
ReplyDeleteहम अपने आपको सबसे बड़ा बुद्दिमान समझते हैं..यही हमारी मूर्खता है...आज जो विश्वास करता है...वही लुटा जा रहा है.....अविनाश जी का व्यंग्य अच्छा बन पड़ा है...बधाई.
ReplyDeleteमूर्ख दिवस और एक शिक्षा......
ReplyDeleteव्यंग्य का उद्देश्य आपको स्पष्टत: ज्ञात है यह आपके इस व्यंग्य से स्पष्ट हो गया। मूर्खता की पराकाष्ठा समझते बूझते मूर्ख बनने में ही है।
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