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देखने में मकां जो पक्का है
ReplyDeleteदर हकीकत बड़ा ही कच्चा है
ग़ज़ल का आगाज़ ज़िन्दगी कि हकीकत को एक बिंदु में समेट कर मतले में पेश कर पाया है जिसके लिए नीरज को मेरी बधाई कबूल हो. रदीफ़ भी बेजोड़ इस्तेमाल किया है जो खूब फब रहा है भाव पूर्ण मिस्रोज़ के साथ
वो बशर यार सबसे सच्चा है..
ReplyDeleteनीरज साहब को उनकी खुबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.
आखर-कलश टीम को प्रस्तुति के लिए बधाई.
सुलभ
niraj ji ki to har prastuti lajawaab hoti hai........badhayi.
ReplyDeletebehtareen gazlen
ReplyDeleteआप सभी साहित्य शिल्पियों का बहुत-बहुत आभार!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना।
ReplyDeleteइसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
आखर कलश की टीम को बेहतरीन ब्लॉग के लिए बधाई .....
ReplyDeleteदिल से ....
बहुत बढिया प्रस्तुति।बधाई।
ReplyDeleteachha kaha
ReplyDeleteaap yuhi likhte rahe ,ham padte rahe.
ReplyDeletewww.apnimaati.blogspot.com
बेहतरीन अशआर से भरी ग़ज़लें।
ReplyDeleteअच्छा फलसफ़ाना नज़रिया है दोनों ग़ज़लों में।
नीरज भाई तुसी ग्रेट हो।
तोहफा कबूल करो।
रहनुमां से डरा करो नीरज
ReplyDeleteक्या पता कब कहां किसे पटके..
kya gazb ashaar hain sabhi ke sabhi!
१.
ReplyDeleteदेखने में मकां जो पक्का है
दर हकीकत बड़ा ही कच्चा है
Kya kahen? Aap nishabd kar dete hain!
आजमाना न डोर रिश्तों की
ReplyDeleteटूट जाती अगर लगे झटके
रहनुमां से डरा करो नीरज
क्या पता कब कहां किसे पटके
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
ReplyDeleteधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,
kya kahne neeraj ji.donon gazalein umda hain .wah.
ReplyDeletesada zaban me bahtarin gazlon ke liy mubarakbaad
ReplyDeleteWah wah Neeraj ji.......bahut hi umda gazalein....badhaai,
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