नीरज गोस्वामी की गजलें














.
देखने में मकां जो पक्का है
दर हकीकत बड़ा ही कच्चा है

जिंदगी कैसे प्यारे जी जाये
ये सिखाता हरएक बच्चा है

छांव मिलती जहां दोपहरी में
वोही काशी है वोही मक्का है

जो अकेले खड़ा भी मुस्काये
वो बशर यार सबसे सच्चा है

जिसको थामा था हमने गिरते में
दे रहा वो ही हमको धक्का है

आप रब से छुपायेंगे कैसे
जो छुपाकर जहां से रख्खा है

जब चले राह सच की हमनीरज
हर कोइ देख हक्का बक्का है

 ******

.
ज़िन्दगी में यहां वहां भटके
क्या मिला अंत में बता खटके

आचरण में बात ला पाये
वक्त जाया किया उसे रटके

आखरी जब उड़ान हो या रब
मन हमारा ज़मीं ना अटके

वार पीछे से कर गये अपने
काश करते मुकाबला डटके

संत है वो कि जो रहा करता
भीड़ के संग भीड़ से कटके

राह आसान हो गयी उनकी
जो चलें यार बस जरा हटके

बोलना सच शुरू किया जबसे
लोग फिर पास ही नहीं फटके

आजमाना डोर रिश्तों की
टूट जाती अगर लगे झटके

रहनुमां से डरा करो नीरज
क्या पता कब कहां किसे पटके
*******
- नीरज गोस्वामी

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18 Responses to नीरज गोस्वामी की गजलें

  1. देखने में मकां जो पक्का है
    दर हकीकत बड़ा ही कच्चा है
    ग़ज़ल का आगाज़ ज़िन्दगी कि हकीकत को एक बिंदु में समेट कर मतले में पेश कर पाया है जिसके लिए नीरज को मेरी बधाई कबूल हो. रदीफ़ भी बेजोड़ इस्तेमाल किया है जो खूब फब रहा है भाव पूर्ण मिस्रोज़ के साथ

    ReplyDelete
  2. वो बशर यार सबसे सच्चा है..

    नीरज साहब को उनकी खुबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.

    आखर-कलश टीम को प्रस्तुति के लिए बधाई.

    सुलभ

    ReplyDelete
  3. niraj ji ki to har prastuti lajawaab hoti hai........badhayi.

    ReplyDelete
  4. आप सभी साहित्य शिल्पियों का बहुत-बहुत आभार!!

    ReplyDelete
  5. बहुत अच्छी रचना।
    इसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  6. आखर कलश की टीम को बेहतरीन ब्लॉग के लिए बधाई .....
    दिल से ....

    ReplyDelete
  7. बहुत बढिया प्रस्तुति।बधाई।

    ReplyDelete
  8. बेहतरीन अशआर से भरी ग़ज़लें।
    अच्‍छा फलसफ़ाना नज़रिया है दोनों ग़ज़लों में।
    नीरज भाई तुसी ग्रेट हो।

    तोहफा कबूल करो।

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  9. रहनुमां से डरा करो नीरज
    क्या पता कब कहां किसे पटके..
    kya gazb ashaar hain sabhi ke sabhi!

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  10. १.
    देखने में मकां जो पक्का है
    दर हकीकत बड़ा ही कच्चा है
    Kya kahen? Aap nishabd kar dete hain!

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  11. आजमाना न डोर रिश्तों की
    टूट जाती अगर लगे झटके


    रहनुमां से डरा करो नीरज
    क्या पता कब कहां किसे पटके

    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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  12. कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
    धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
    कलम के पुजारी अगर सो गये तो
    ये धन के पुजारी
    वतन बेंच देगें।



    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,

    ReplyDelete
  13. kya kahne neeraj ji.donon gazalein umda hain .wah.

    ReplyDelete
  14. sada zaban me bahtarin gazlon ke liy mubarakbaad

    ReplyDelete
  15. Wah wah Neeraj ji.......bahut hi umda gazalein....badhaai,

    ReplyDelete

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