Friday, June 28, 2013
खुद मुख्तार औरत व अन्य कविताएँ- देवयानी भारद्वाज
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रोज गढती हूं एक ख्वाब सहेजती हूं उसे श्रम से क्लांत हथेलियों के बीच आपके दिए अपमान के नश्तर अपने सीने में झेलती हूं सह जा...
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Friday, June 21, 2013
अबकि बार तू सीता बनके मत आना- एकता नाहर 'मासूम'
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अबकि बार तू सीता बनके मत आना स्त्री तेरे हज़ारों रूप, तू हर रूप में पावन,सुन्दर और मधुर। पर अबकि बार तू सीता या राधा बनके मत आना, द्...
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Wednesday, June 19, 2013
वह इक आम सी लड़की- शाहिद अख्तर की कविताएँ
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सवालों के खोटे सिक्के आंख का यह आसमान क्यों इस तरह पिघलता है कि ख्वाबों के खूंटों से सरक-सरक कर गिर जाती है नींद? सदियों के ...
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Monday, June 17, 2013
नवनीत पाण्डे के कुछ शब्दचित्र
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पता नहीं... माँ समझौतों में पूरी हुई पिता संघर्षों में दोनों ही का दिया कुछ-कुछ है मेरे पास पूरा किस में हूँगा ...
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Friday, June 7, 2013
वो बहारों का मौसम बदल ही गया- एक ग़ज़ल- शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
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नज़रें करती रहीं कुछ बयां देर तक हम भी पढ़ते रहे सुर्खियां देर तक आओ उल्फ़त की ऐसी कहानी लिखें ज़िक्र करता रहे ये जहां देर तक बज़्...
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