-ओम पुरोहित 'कागद'
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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
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सम्पादक मंडल
- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
सरल भाषा में भावनाओं से छलछलाती कविताओं के साथ हम भी एक दूसरी दुनिया में चले गये जो कवि की नि हायत अपनी होती है |अच्छी कवितायेँ पढ़ने को मिली !शुक्रिया |
ReplyDeleteइन सुन्दर रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteSabhee rachnayen ekse badhke ek hain,lekin sabse pahlee rachana behad achhee lagee!
ReplyDeletesabhi kavitayen man bhavan hai badhai
ReplyDeleterachana
Om jee kii sabhi kavitaen achchha prabhav chhodtin hain,in behtareen rachnaon ke liye badhai deta hoon.
ReplyDeleteOm Purohit ji sabhi (6) kavitayen sundarta se buni gai hain aur dil ko chhoone men kaamyab hain.
ReplyDeleteMeri or se unhen hardik Badhaiiii.
सभी कविताएँ बहुत उत्कृष्ट हैं. ओम जी को बधाई और शुभकामनाएँ.
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