प्रकृति का आँगन {ताँका }
ताँका शब्द का अर्थ है
लघुगीत | यह
जापानी काव्य की एक पुरानी काव्य शैली
है । हाइकु का उद्भव इसी काव्य शैली से हुआ माना
जाता है । इसकी संरचना 5+7+5+7+7=31वर्णों की होती है।
1.
लेते हैं
जन्म
एक ही
जगह पे
फूल व काँटे
एक सोहता
सीस
दूसरा दे
चुभन
2.
लेकर फूल
तितलियों
को गोद
रस
पिलाता
वेध देता
बेदर्द
भौरों का
तन काँटा
3.
चंचल
चाँद
खेले
बादलों संग
आँख-मिचौली
मन्द-मन्द
मुस्काए
बार-बार
छुप जाए
4.
दूल्हा
वसन्त
धरती ने
पहना
फूल-
गजरा
सज-धज
निकली
ज्यों
दुल्हन की डोली
5.
ओस की
बून्द
मखमली
घास पे
मोती
बिखरे
पलकों से चुनले
कहीं गिर न जाएँ !
6.
दुल्हन
रात
तारों
कढ़ी चुनरी
ओढ़े यूँ
बैठी
मंद-मंद
मुस्काए
चाँद
दूल्हा जो आए !
7.
बिखरा
सोना
धरती का
आँचल
स्वर्णिम हुआ
धानी -सी
चूनर में
सजे हैं
हीरे- मोती
8.
पतझड़
में
बिखरे सूखे पत्ते
चुर्चुर करें
ले ही आते सन्देश
बसंती पवन का
9.
पतझड़ में
बिन पत्तों के पेड़
खड़े उदास
मगर यूँ न छोड़ें
वे बहारों की आस
10.
बिखरे सूखे पत्ते
चुर्चुर करें
ले ही आते सन्देश
बसंती पवन का
9.
पतझड़ में
बिन पत्तों के पेड़
खड़े उदास
मगर यूँ न छोड़ें
वे बहारों की आस
10.
हुआ प्रभात
सृष्टि ले अँगड़ाई
कली मुस्काई
प्रकृति छेड़े तान
करे प्रभु का गान
सृष्टि ले अँगड़ाई
कली मुस्काई
प्रकृति छेड़े तान
करे प्रभु का गान
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जन्म : 17 मई 1969 को बरनाला (पंजाब) में।
शिक्षा : बी. एससी . बी.एड. एम.एस सी., (वनस्पति विज्ञान), एम. फ़िल., पी.एच.डी.
सम्प्रति :कई वर्ष पंजाब के एस. डी. कालेज में अध्यापन (बॉटनी लेक्चरार), अब सिडनी (आस्ट्रेलिया में)।
शिक्षा : बी. एससी . बी.एड. एम.एस सी., (वनस्पति विज्ञान), एम. फ़िल., पी.एच.डी.
सम्प्रति :कई वर्ष पंजाब के एस. डी. कालेज में अध्यापन (बॉटनी लेक्चरार), अब सिडनी (आस्ट्रेलिया में)।
कार्यक्षेत्र :
हिंदी व पंजाबी में नियमित
लेखन। अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
हिन्दी
की अंतर्जाल पत्रिका अनुभूति, रचनाकार , पंजाब स्क्रीन, गवाक्ष एवं सहज साहित्य में कविताएँ , पुस्तक समीक्षा, कहानी ,हाइकु ,ताँका तथा चोका प्रकाशित |
पंजाबी
की अंतर्जाल पत्रिका पंजाबी माँ , लफ्जों का पुल , लिखतम, शब्द सांझ, पंजाबी मिन्नी ,पंजाबी हाइकु, पंजाब स्क्रीन एवं साँझा
पंजाब में कविता , कहानी , हाइकु तथा ताँका प्रकाशित |
वस्त्र-परिधान, विज्ञापन की दुनिया , अविराम त्रैमासिक आदि
पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित , कुछ ऐसा हो और चन्दनमन संग्रह में हाइकु
प्रकाशित ।
वेब पर हिन्दी हाइकु नामक चिट्ठे का सम्पादन।
इसके अतिरिक्त पंजाबी वेहडा, शब्दों का
उजाला, और देस परदेस नाम से वे अन्य चिट्ठे
लिखना |
उत्कृष्ट रुचियाँ :
साहित्य के प्रति रुझान के साथ-साथ रंग एवं चित्रकला से ग हरा लगाव ,रंगकला की अनेक विधाओं में तैल-चित्रण, सिलाई -कढ़ाई तथा क्राफ्ट - कार्य आदि |
विशेष उल्लेख :
'शब्द' आशीष स्वरूप मुझे विरासत में मिले |लेखन के प्रति झुकाव तथा
बुनियादी साहित्य संस्कार मुझे अपने ननिहाल परिवार से मिला | शब्दों का सहारा न मिला होता तो मेरी रूह ने कब का दम तोड़ दिया होता | इन शब्दों की दुनिया ने मुझे कभी अपनों से दूर होने का अहसास नहीं होने दिया | विदेश में रहते हुए भी मुझे मेरा
गाँव कभी दूर नहीं लगा | हर पल यह मेरे साथ ही होता है मेरे ख्यालों में | मैं हिन्दी व् पंजाबी दोनों
भाषा में लिखती हूँ | लिखना कब शुरू किया ...अब याद नहीं ....हाँ इतना याद है कि जब कभी बचपन में लिखा ....माँ और
पिता जी ने थपकी व् शाबाशी दी जिसकी गूँज आज भी मेरे कानों में मिसरी
घोलती है तथा लिखने की ताकत बनती है | जब कभी दिल की गहराई से कुछ
महसूस किया ....मन-आँगन में धीरे से उतरता चला गया | इन्हीं खामोश लम्हों को
शब्दों की माला में पिरोकर जब पहना तो ये रूह के आभूषण बन सुकून देते रहे |साथ--साथ खाली पन्नों पर अपना हक जमाने लगे और
भावनाएँ शब्दों के मोती बन इन पन्नों पर बिखरने लगीं |
ई - मेल : hindihaiku@gmail.काम