संक्षिप्त परिचय- प्राण शर्मा
वजीराबाद (पाकिस्तान) में १३ जून १९३७ को जन्मे प्राण शर्मा ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। कॉवेन्टरी के प्राण शर्मा ब्रिटेन में हिन्दी ग़ज़ल के उस्ताद शायर हैं। प्राणजी बहुत शिद्दत के साथ ब्रिटेन के ग़ज़ल लिखने वालों की ग़ज़लों को पढ़कर उन्हें दुरुस्त करने में सहायता करते हैं। हिन्दी ग़ज़ल पर उनका एक लंबा लेख चार-पांच किश्तों में ‘पुरवाई’ में प्रकाशित हो चुका है। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में पहली हिन्दी कहानी शायद प्राण शर्मा ने ही लिखी थी। भारत के साहित्य से पत्रिकाओं के जरिए रिश्ता बनाए रखने वाले प्राण शर्मा अपने मित्र एवं सहयोगी श्री रामकिशन के साथ कॉवेन्टरी में कवि सम्मेलन एवं मुशायरा भी आयोजित करते हैं। उन्हें कविता, कहानी और उपन्यास की गहरी समझ है।
ग़ज़ल
हाथों से उनके कभी पानी पिया जाता नहीं
दुश्मनों से दुश्मनों के घर मिला जाता नहीं
हर किसी दूकान से क्या-क्या लिया जाता नहीं
घर सजाने के लिए क्या-क्या किया जाता नहीं
माना, पीने वाले पीते हैं उसे हँसते हुए
ज़हर का प्याला मगर सबसे पिया जाता नहीं
जब भी देखो गलियों और बाज़ारों में फिरते हो तुम
घर में टिक के तुमसे क्या पल भर रहा जाता नहीं
सोचना पड़ता है हर पहलू को सब के दोस्तो
फैसला हर एक जल्दी में किया जाता नहीं
दिल को लेने-देने की क्या बात करते हो जनाब
प्यार में अनुबंध कोई भी किया जाता नहीं
जीने वाले जी रहे हैं ज़िन्दगी को बरसों से
आप हैं कि आप से इक पल जिया जाता नहीं
वक़्त क्यों बर्बाद करते हो, चलो छोड़ो इसे
खस्ता हालत में कोई कपड़ा सिया जाता नहीं
आप कहिये तो हज़ारों चेहरे पढ़ दूँ साहिबों
आदमी का दिल मगर मुझसे पढ़ा जाता नहीं
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-प्राण शर्मा
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-प्राण शर्मा