tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post7318643478518215776..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: सुनील गज्जाणी की दो लघुकथाएंNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-6265797052893673422010-12-15T02:48:44.543-08:002010-12-15T02:48:44.543-08:00माननीय सुनील जी
आपकी दूसरी कृति में चप्पल के जरिये...माननीय सुनील जी<br />आपकी दूसरी कृति में चप्पल के जरिये उदार ह्रदय को प्रस्तुत किया है वो भी एक गरीब मजदुर के माध्यम से ! वर्तमान में इनकम टेक्स वालो को बड़े आला अफसरों को बेस्किमती उपहार देने मेंयहाँ तक कि 5000 रु का मोबाईल उनके बच्चो के खेलने के लिए 600रु किलो की मिठाई अफसरों के बच्चो के खाने के लिए दे देते हैं जैसे बच्चा नहीं राक्षस हो लेकिन गरीब भूखे को देने महज एक रूपया देते नहीं और दे भी देते है तो बीस गालिया साथ में<br />आपकी दूसरी रचना में आज की पीढ़ी की आपने बुजुर्गो के प्रति उदासीनता को नायाबी के साथ आत्मभाव से दर्शाया है तथा अप्रत्यक्ष सन्देश दिया है भावी पीढ़ी को कि जैसा तुम कर रहे हो ठीक वैसा ही तुम्हारे साथ होना निश्चित है. बुजुर्गो के प्रति जबरदस्त आत्मीयता है आपकी इस रचना में<br />धन्यवाद सुनील जी<br />मार्कंडेय रंगाmarkhttps://www.blogger.com/profile/08935047677493887051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-17096293134210975862010-10-06T02:32:44.983-07:002010-10-06T02:32:44.983-07:00भाई सुनील जी, आपकी दोनों लघुकथाएं बहुत ही सुन्दर ह...भाई सुनील जी, आपकी दोनों लघुकथाएं बहुत ही सुन्दर हैं ! लेकिन आपकी दूसरी लघुकथा "कमरा" ने सचमुच दिल जीत लिया ! थोडे से शब्दों में बात जिस तरह से की गई है उसने अभिव्यक्ति को काफी सशक्त बना दिया है ! <br /><br />पहली लघुकथा "चप्पल" भी ठीक है, लेकिन इसको और काफी कसा जाना चाहिए था, घटना को यहाँ थोडा ज्यादा विस्तार देकर पेश किया गया है जिसकी वजह से रचना थोड़ी ढीली पड़ गई है ! मेरा निजी मत है कि लघुकथा में जो कहा जाता है वह तो महत्वपूर्ण होता ही है लेकिन उस से भी महत्वपूर्ण वह होता है जो कि ना कहा गया हो ! आप अगर यह बिंदु ज़ेहन में रखेंगे तो आपकी लेखनी और प्रबल होगी !Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-62285904458294444012010-08-08T03:10:00.562-07:002010-08-08T03:10:00.562-07:00कमरा- लघुकथा पढ़कर अहसास हुआ-ऐसा भी होता है और एक ...कमरा- लघुकथा पढ़कर अहसास हुआ-ऐसा भी होता है और एक गहरी साँस लेकर रह गई |<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-82527198170122093192010-04-25T01:07:56.837-07:002010-04-25T01:07:56.837-07:00सुनील जी,सबसे पहले आप को दोनों लघु कथाओं के लिए बध...सुनील जी,सबसे पहले आप को दोनों लघु कथाओं के लिए बधाई ,क्योंकि आप रचनात्मक कार्य कर रहे हैं एक बात अवश्य कहना चाहूँगा की दोनों ही लघु कथाएं अतिशयता का इस सीमा तक शिकार हुई हैं कि विश्वसनीयता के दायरे से बाहर चली गई हैं.आप अच्छे रचनाकार हैं संवेदनाओं को अनुभव की ज़मीन पर विश्वास भी मिलेगा .हार्दिक शुभ कामनाएं.09818032913सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-48727925138995267902010-04-24T10:37:28.048-07:002010-04-24T10:37:28.048-07:00बहुत प्रभावशाली हैं दोनों लघुकथाएं.
सुनील जी बहुत ...बहुत प्रभावशाली हैं दोनों लघुकथाएं.<br />सुनील जी बहुत बहुत बधाई.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-36284678524967000682010-04-23T09:42:53.890-07:002010-04-23T09:42:53.890-07:00अच्छी लघु कथायें, हॉं सुभाष नीरव जी की बात का भी ...अच्छी लघु कथायें, हॉं सुभाष नीरव जी की बात का भी ध्यान रखेंगे तो बेहतर रहेगा। आपके पात्र सत्य भी हो सकते हैं लेकिन कथानक अगर व्यवहारिक प्रेरणा दे रहा हो तो सोने पर सुहागा।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-50955914291545781292010-04-23T08:43:15.351-07:002010-04-23T08:43:15.351-07:00आप सभी गुणीजनों और साहित्यशिल्पियों का कोटिश: आभा...आप सभी गुणीजनों और साहित्यशिल्पियों का कोटिश: आभार कि आपने अपनी बेबाक प्रतिक्रियाओं से मेरा हौसला अफजाई किया और मेरा मान बढाया| मगर मैं यह भी निवेदनपूर्वक कहना चाहूंगा कि 'चप्पल' और 'कमरा' के पात्रों को मैंने जनदीकी से देखा है, ये सिर्फ कथा ही नहीं है बल्कि एक सच्चाई है| बेशक मेरी कुछ त्रुटियां रही है जिनको मैं भवष्यि में ध्यान रखूंगा| आपका पुन: आभार ।।सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-13539440846985484362010-04-23T08:08:16.764-07:002010-04-23T08:08:16.764-07:00भाई सुनील जी, आपकी दूसरी लघुकथा "कमरा" प...भाई सुनील जी, आपकी दूसरी लघुकथा "कमरा" प्रभावकारी है और उसमें एक अच्छी लघुकथा के गुण मौजूद हैं। पहली लघुकथा "चप्पल" नि:संदेह अविश्वनीयता के घेरे में आ गई है। साथ ही साथ भाषा में अभी और कसाव की जरूरत जान पड़ती है। फिर भी, आपको बधाई !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-6079008341801347352010-04-23T05:01:03.032-07:002010-04-23T05:01:03.032-07:00laghu katha ke shilp aadi takniki pakshon par to m...laghu katha ke shilp aadi takniki pakshon par to main kuchh nahin kahunga magar kathanak ki vishvasniyta par mera kehna hai ki han,aisa bhi hota hai.nirala ji,muktibodh,hareesh bhadani or galib ke aise hi kisse sune-padhe hain.aankhon ke samne bhi aise vakyat hue hain.mere mitra pramod sharma,mayamrig,sanjy madho or susheel gadiko aisa karte pratyaksh dekha hai.jeb ke sare ke sare paise dete huve dekha hai.sushil gadi ko to poora vetan bhikhari ko dete huve bhi dekha hai.maine yadi na dekha hota to mere liye bhi ye kathanak avishvasniy hi hota kyon ki maine aaj tak is kadar paisa nahin diya.ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-91442127709639341132010-04-23T04:29:30.861-07:002010-04-23T04:29:30.861-07:00सुनील भैया बहुत छोटी मगर सार्थक कथाएं हैं. जल्दी भ...सुनील भैया बहुत छोटी मगर सार्थक कथाएं हैं. जल्दी भी ख़त्म हो गयी और आनंद भी आया.पहली वाली ज्यादा असर कर गयी.<br /><a href="http://apnimaati.blogspot.com" rel="nofollow"> APNI MAATI </a><br /><a href="http:/maniknaamaa.blogspot.com" rel="nofollow"> MANIKNAAMAA </a>''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडलhttps://www.blogger.com/profile/16471251362095496908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-26942139792396665052010-04-23T04:00:33.502-07:002010-04-23T04:00:33.502-07:00Dear Sunil ji..
your story is just a mirror of so...Dear Sunil ji.. <br />your story is just a mirror of social condition of daily life in society.. mostly story is giving a strong message to reader its a real culture of our story line .so please notice this point of your writting.i hope in future i will read your some very bold and storng story with big vision of yours ..<br />my best wishes for your writting and its must you will live continue with your vision ..ha<br />regards<br />yogndra kumar purohit<br />M.F.A.<br />BIKANER,INDIAyogendra kumar purohithttps://www.blogger.com/profile/05718273177616298030noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-54021619335610815762010-04-23T03:55:45.742-07:002010-04-23T03:55:45.742-07:00...बहुत खूब ...दोनों ही लघुकथाएं लघु न होकर विस्त्......बहुत खूब ...दोनों ही लघुकथाएं लघु न होकर विस्त्रत भाव लिये हुये हैं, बेहद प्रभावशाली व प्रसंशनीय ...बहुत बहुत बधाई !!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-88414499410604481162010-04-23T03:01:13.213-07:002010-04-23T03:01:13.213-07:00सुनील जी, लघु कथाएं शिल्प की दृष्ट से सशक्त हैं, ल...सुनील जी, लघु कथाएं शिल्प की दृष्ट से सशक्त हैं, लेकिन उनका कथानक विश्वसनीय नहीं है. किसी भी भिखारी को हम अधिकतम कितना पैसा देते हैं? दस रुपये य बीस रुपये? मेरा खयाल है कि इतना भी नहीं देते. <br />दूसरी कहानी में भी विश्वसनीयता कम ही है. रिश्तों में कितनी ही कड़वाहट क्यों न हो, मौत जैसे सच का सामना कर सब सहम जाते हैं. बुरी से बुरी बहू भी ऐसा नहीं करेगी, भले ही दिखाने के लिये.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-13569378802923005202010-04-23T01:38:48.307-07:002010-04-23T01:38:48.307-07:00कहानी में खुद को रखने की जिद से उबरेंगे तो और बेहत...कहानी में खुद को रखने की जिद से उबरेंगे तो और बेहतर रच पाएंगे भाई. मेरा तो पक्का भरोसा है, तब ही आप खुद को अभिव्यक्त कर पाएंगे. हाँ. इतना बड़ा दावा तो मैं ही कर सकता हूँ.खम्मा...Hariish B. Sharmahttps://www.blogger.com/profile/01016007919647306863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-32651755211786916082010-04-22T23:55:03.603-07:002010-04-22T23:55:03.603-07:00"चप्पल" लघु कथा संवेदना से ओतप्रोत और दू..."चप्पल" लघु कथा संवेदना से ओतप्रोत और दूसरी लघु कथा "कमरा" में ख़त्म होती संवेदना पर सटीक लिखा है..लेखक को हार्दिक बधाई.दीनदयाल शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07486685825249552436noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-76543373822747717882010-04-22T22:54:05.110-07:002010-04-22T22:54:05.110-07:00दोनो ही लघु कथायें झकझोरती हैं………………आज मानव कही तो...दोनो ही लघु कथायें झकझोरती हैं………………आज मानव कही तो इतना ह्रदयविहीन हो गया है और कहीं इतना कोमल कि फूल भी अपनी कोमलता भूल जाये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-10180789750239049602010-04-22T22:09:45.220-07:002010-04-22T22:09:45.220-07:00चप्पल लघु कहानी में ख्वाहिशों को मार कर इंसानियत क...चप्पल लघु कहानी में ख्वाहिशों को मार कर इंसानियत को बचाए रखने का एक बेहतरीन उदहारण प्रस्तुत किया गया है ,जो वक्त की अहम् जरुरत है .. इन भावनाओं की प्रस्तुती के लिए लेखक को <br />साधुवादAsha Pandey ojhahttps://www.blogger.com/profile/06737367342327960806noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-58815543640854011252010-04-22T19:42:36.278-07:002010-04-22T19:42:36.278-07:00बिल्कुल अविश्वसनीय नहीं पहली कथा.... ऐसे लोग हैं ,...बिल्कुल अविश्वसनीय नहीं पहली कथा.... ऐसे लोग हैं , हर कोई ऐसा नहीं होता इसलिए विश्वास करना मुश्किल होता हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-34248720911846391052010-04-22T19:40:54.732-07:002010-04-22T19:40:54.732-07:00चप्पल की स्थिति और करुणा की जीत मन को झकझोर गई,
व...चप्पल की स्थिति और करुणा की जीत मन को झकझोर गई, <br />वहीँ कमरे के खालीपन की व्यथा स्तब्ध कर गई.....बहुत ही <br />सवेदनशील कथारश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-3664087556642333582010-04-22T12:52:33.442-07:002010-04-22T12:52:33.442-07:00दोनों लघुकथाएं अच्छी हैं । सुनीलजी को बधाई !
भाई ...दोनों लघुकथाएं अच्छी हैं । सुनीलजी को बधाई !<br /><br />भाई दीपक 'मशाल'जी , <br />आपको लेकिन पहली वाली लघुकथा चप्पल अविश्वसनीय लगी । <br />ऐसी बात नहीं है , मेरे और मेरे स्वर्गीय पिताजी सहित और भी कई लोगों के साथ इस तरह के वाकए पेश आने का मैं स्वय भी गवाह हूं । <br />हां, महानगरों में संवेदनशीलता नाममात्र ही रह गई है, परंतु इसके पीछे के कारण तलाश किए जाने चाहिए । …अस्तु !<br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-70321708753357405062010-04-22T10:07:37.080-07:002010-04-22T10:07:37.080-07:00दूसरी लघुकथा बहुत अच्छी तरह से समाज में व्याप्त एक...दूसरी लघुकथा बहुत अच्छी तरह से समाज में व्याप्त एक मानसिकता को दर्शाती है, लेकिन पहली वाली अविश्वसनीय लगती है.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.com