tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post5006062562613076153..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: डॉ. वेद व्यथित की गीतिकाएंNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-2871281126358089082010-11-29T03:13:05.265-08:002010-11-29T03:13:05.265-08:00बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-74631474588798035082010-11-28T06:25:40.422-08:002010-11-28T06:25:40.422-08:00बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
http://saaransh...बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........<br /><br />http://saaransh-ek-ant.blogspot.comManav Mehta 'मन'https://www.blogger.com/profile/01826811764168414349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-49895386591485828412010-11-27T20:30:00.605-08:002010-11-27T20:30:00.605-08:00वेद जी को पहले भी पढने का सौभाग्य मिलता रहा है. यह...वेद जी को पहले भी पढने का सौभाग्य मिलता रहा है. यहाँ प्रकाशित गजलों से मैं बहुत उत्साहित नहीं हूँ. रचनाओं के चयन में शायद चूक हुई है है. कुछ टंकण की त्रुटियाँ हैं तो कुछ बहर की. भर्ती के शब्द भी प्रवाह में बाधा बनते दिखते हैं. फिर भी, गजल तो ग़ज़ल ही होती है-वो भी वेद जी की.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-36781706794031527192010-11-27T00:25:44.327-08:002010-11-27T00:25:44.327-08:00bahut khub!!bahut khub!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-47598113383281756152010-11-26T06:10:51.646-08:002010-11-26T06:10:51.646-08:00mere priy bndhu jauhr ji ne bdi kripa kee hai vast...mere priy bndhu jauhr ji ne bdi kripa kee hai vastv me yh pta nhi kaise bhool vsh chhot gya hai kripya ise isi roop me len <br />bhai jauhr ji bahut 2 hardik aabharvedvyathithttps://www.blogger.com/profile/02253588002622732897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-8703964328236575632010-11-26T04:31:33.374-08:002010-11-26T04:31:33.374-08:00०विज्ञप्ति०
‘मुक्तक विशेषांक’ हेतु रचनाएँ आमंत्रि...०विज्ञप्ति० <br />‘मुक्तक विशेषांक’ हेतु रचनाएँ आमंत्रित - <br />देश की चर्चित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन’ का आगामी एक अंक ‘मुक्तक विशेषांक’ होगा जिसके अतिथि संपादक होंगे सुपरिचित कवि जितेन्द्र ‘जौहर’। उक्त विशेषांक हेतु आपके विविधवर्णी (सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, शैक्षिक, देशभक्ति, पर्व-त्योहार, पर्यावरण, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य, आदि अन्यानेक विषयों/ भावों) पर केन्द्रित मुक्तक/रुबाई/कत्अ एवं तद्विषयक सारगर्भित एवं तथ्यपूर्ण आलेख सादर आमंत्रित हैं।<br /> <br />इस संग्रह का हिस्सा बनने के लिए न्यूनतम 10-12 और अधिकतम 20-22 मुक्तक भेजे जा सकते हैं।<br /><br /> लेखकों-कवियों के साथ ही, सुधी-शोधी पाठकगण भी ज्ञात / अज्ञात / सुज्ञात लेखकों के चर्चित अथवा भूले-बिसरे मुक्तक/रुबाइयात/कत्आत भेजकर ‘सरस्वती सुमन’ के इस दस्तावेजी ‘विशेषांक’ में सहभागी बन सकते हैं। प्रेषक का नाम ‘प्रस्तोता’ के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। प्रेषक अपना पूरा नाम व पता (फोन नं. सहित) अवश्य लिखें।<br /><br />इस विशेषांक में एक विशेष स्तम्भ ‘अनिवासी भारतीयों के मुक्तक’ (यदि उसके लिए स्तरीय सामग्री यथासमय मिल सकी) भी प्रकाशित करने की योजना है। <br /><br />प्रेषित सामग्री के साथ फोटो एवं परिचय भी संलग्न करें। समस्त सामग्री केवल डाक या कुरियर द्वारा (ई-मेल से नहीं) निम्न पते पर अति शीघ्र भेजें-<br /><br />जितेन्द्र ‘जौहर’<br />(अतिथि संपादक ‘सरस्वती सुमन’)<br />IR-13/6, रेणुसागर,<br />सोनभद्र (उ.प्र.) 231218.<br />मोबा. # : +91 9450320472<br />ईमेल का पता : jjauharpoet@gmail.com <br />यहाँ भी मौजूद : jitendrajauhar.blogspot.comजितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-22942446103300144262010-11-26T04:29:55.323-08:002010-11-26T04:29:55.323-08:00डॉ. वेद व्यथित जी के साथ अनगिन पत्रिकाओं में छपा ह...डॉ. वेद व्यथित जी के साथ अनगिन पत्रिकाओं में छपा हूँ। स्वाभाविक है मैंने उन्हें पढ़ा भी ख़ूब है।<br /> <br />हम जहाँ चले लौट आये वहीं<br />जिन्दगी भर मगर खूब चलते रहे<br /><br />यहाँ प्रथम पंक्ति में किसी अनवधानतावश ‘जहाँ’ शब्द के ठीक बाद ‘से’ शब्द छूट गया है...देख लीजिएगा!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-45115783730385121562010-11-25T10:16:37.841-08:002010-11-25T10:16:37.841-08:00कुछ टंकण त्रुटियॉं रह गयी हैं पहले नवगीत में जो 21...कुछ टंकण त्रुटियॉं रह गयी हैं पहले नवगीत में जो 212, 212, 212, 212 की बह्र पर ग़़ज़ल के बहुत करीब है और थोड़ा और प्रयास कर ग़़ज़ल हो सकता था लेकिन ऐसा सोचना ठीक न होगा। नवगीत का अपना ही आनन्द ओर अस्तित्व है, जरूरी नहीं कि हर रचना ग़़ज़ल ही हो।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.com