tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post4782020142365656844..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: नन्द भारद्वाज की कविता- जो टूट गया है भीतरNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-12880456483976109132010-10-11T07:05:48.905-07:002010-10-11T07:05:48.905-07:00कविता का कुल प्रभाव अंदर तक भेदता है। पर कविता में...कविता का कुल प्रभाव अंदर तक भेदता है। पर कविता में सहजता की थोड़ी और दरकार है। यूं नंद जी जिस जगह पर हैं वहां उनसे यह अपेक्षा करना थोड़ी सी नाइंसाफी तो है,पर मन नहीं मानता कहे बिना।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-23434610228184683882010-10-11T04:17:48.277-07:002010-10-11T04:17:48.277-07:00नन्द जी की कविता के लिए कुछ कहना मेरे वश में नहीं ...नन्द जी की कविता के लिए कुछ कहना मेरे वश में नहीं है ,पढ़ कर बहुत अच्छा लगा ,लहूलुहान अन्तकरण, व्यक्त होने की सीमा तक ठहरी हुई पीड़ा .... फिर भी सहज होकर जीने की प्रेरणा देती ..अन्तेर्मन में उर्जा प्रदान करती हुई रचना है यह ......शुक्रियारचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-56363227047384897572010-10-10T23:08:32.582-07:002010-10-10T23:08:32.582-07:00बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है मन की टूटन की.अपने हिस्से...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है मन की टूटन की.अपने हिस्से का गम सबको खुद सहना पड़ता है.किसीको फर्क नहीं पड़ता आप के मन में क्या चल रहा है.बहुत खूब!!Dr. kavita 'kiran' (poetess)https://www.blogger.com/profile/10137044674020780363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-39884008441367701222010-10-10T22:35:04.195-07:002010-10-10T22:35:04.195-07:00नंद की समय के भीतर देखने की कोशिश अच्छी लगी. यह बह...नंद की समय के भीतर देखने की कोशिश अच्छी लगी. यह बहुत कठिन काम है. समय को किसी सापेक्षता में देखना तो आसान है लेकिन उसे उसकी निरपेक्षता में देखना बहुत ही कठिन. जब कवि उसके बाहर खड़ा होकर उसे देखता है, तभी वह लोगों का टूटना, बिखरना देख सकता है, तभी वह देख सकता है कि समय में ट्कराकर शेष क्या है, यह शेष ही असली ऊर्जा है. नंद जी उसकी पहचान कर पा रहे हैं, यह अच्छी बात है. उन्हें मेरी बधाई. Subhash Raihttps://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-75418322028807373462010-10-10T19:09:37.662-07:002010-10-10T19:09:37.662-07:00सदा की तरह आज भी एक बेहतरीन प्रस्तुति। आभार। बहुत ...सदा की तरह आज भी एक बेहतरीन प्रस्तुति। आभार। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। <br />या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।<br />नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।<br />नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/10/blog-post_11.html" rel="nofollow">दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-2661105185132450302010-10-10T11:28:13.803-07:002010-10-10T11:28:13.803-07:00बहुत अच्छी कविता है नन्द जी की।बहुत अच्छी कविता है नन्द जी की।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-59841589123348045902010-10-10T09:54:24.871-07:002010-10-10T09:54:24.871-07:00सहने दो बन्दी को अपने हिस्से का अवसाद
चुन लेने दो ...सहने दो बन्दी को अपने हिस्से का अवसाद<br />चुन लेने दो जीये हुए अनुभव का कोई अंश<br />शायद बच रहा हो कहीं एक संकल्प<br /><br />अंत में यही सोच एक बार फिर से उठ कर चलने की हिम्मत देती हुई.<br />बहुत कोमल एहसास <br /><br />शुक्रिया..इसे हम तक पहुचाने के लिए.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-28039548690413131472010-10-10T09:29:05.196-07:002010-10-10T09:29:05.196-07:00नन्द बाबू की रचना यहाँ पढ़ करा आखर कलश का मां और ब...नन्द बाबू की रचना यहाँ पढ़ करा आखर कलश का मां और बढ़ गया है ऐसा लगता है <br /><br />-- <br />सादर,<br /><br />माणिक;संस्कृतिकर्मी<br />17,शिवलोक कालोनी,संगम मार्ग, चितौडगढ़ (राजस्थान)-312001<br />Cell:-09460711896,http://apnimaati.com<br />My Audio Work link http://soundcloud.com/manikji''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडलhttps://www.blogger.com/profile/16471251362095496908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-77376044148619107642010-10-10T08:29:30.255-07:002010-10-10T08:29:30.255-07:00बहुत खूब सूरत कविता.. जिन्दगी के करीबबहुत खूब सूरत कविता.. जिन्दगी के करीबअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com