tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post330934056279829098..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: देवी नागरानी की चार ग़ज़लेंNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-55065781152452368802010-10-21T08:39:12.202-07:002010-10-21T08:39:12.202-07:00देवी नागरानी की ग़ज़लें उम्दा हैं और जिस तरह तराश...देवी नागरानी की ग़ज़लें उम्दा हैं और जिस तरह तराशी गयी हैं ,बधाई की हक़दार हैं .सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-57308999490786159452010-10-14T10:24:22.188-07:002010-10-14T10:24:22.188-07:00Main Tahe dil se shukrguzaar hoon is protsahan ke ...Main Tahe dil se shukrguzaar hoon is protsahan ke liye jo adeebon ki mujhe milti rahi hai.<br />Yograj Prabhakar ji khas taur se Jin baaton ke liye unhone sahi ishaara kiya hai. Gazal lekhan to ek safar hai jahan aise kai padaav aate hain aur har mod ek naya raasta roushan hota hai.<br />appreciating......Devi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-29565459362148715672010-10-14T00:13:54.711-07:002010-10-14T00:13:54.711-07:00बेख़ुदी में छुप गई मेरी ख़ुदी कुछ इस तरह
ख़ुद ही ख...बेख़ुदी में छुप गई मेरी ख़ुदी कुछ इस तरह<br />ख़ुद ही ख़ुद को ढूंढ़ पाना कितना मुश्किल हो गया.<br />वाह...कितना उम्दा कलाम है<br />साथ ‘देवी’ आपके मुश्किल भी कुछ मुश्किल न थी<br />आपके बिन मन लगाना कितना मुश्किल हो गया.<br />कमाल का अंदाज़ है.<br />देवी जी की ग़ज़लों से कितना कुछ सीखने को मिला है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-6397427646711824762010-10-13T21:35:26.776-07:002010-10-13T21:35:26.776-07:00आदरणीय देवी नागरानी जी,
आपकी चारों ही ग़ज़लें बहुत ...आदरणीय देवी नागरानी जी,<br /><br />आपकी चारों ही ग़ज़लें बहुत ही दिलकश और पुरअसर हैं ! पढ़ कर दिल को सुकून मिला ! पहली ग़ज़ल में मुश्किल रदीफ़ का (हिसाब, जवाब, किताब, बेनकाब, शराब,लाजवाब और रबाब) का निर्बाह बहुत ही कुशलता से किया गया है ! इस ग़ज़ल का मक़ता मेरी नज़र में हुस्न-ए-ग़ज़ल है !<br /><br />दूसरी ग़ज़ल में भी काफिया रदीफ़ को बहुत ही सुन्दरता के निभाया गया है ! इतनी लम्बी रदीफ़ को इस बखूबी से इस्तेमाल करना हरेक के बस की बात नही है ! आखरी शेअर के दूसरे मिसरे (बंदगी में सर झुकना कितना मुश्किल हो गया) में शायद टाईपिंग की त्रुटी की वजह से "झुकाना" की जगह "झुकना" लिखा गया है, इसे दुरुस्त कर लें ! <br /><br />आपकी तीसरी ग़ज़ल में हुस्न-ए-मतला का इस्तेमाल बहुत ही अच्छा लगा जो काबिल-ए-दाद भी है और काबिल-ए-दीद भी ! निम्नलिखित शेअर इस ग़ज़ल की जान हैं : <br /><br />//मुस्कराकर राहतों का लुत्फ़ लेते हैं सभी<br />रास्ते दुश्वार हों तो बढ़ती है बेताबियां.//<br />//चाहती हूं मैं मिटा दूं हर नये उस अक्स को<br />लौट कर रह रह के फिर आ जाती हैं परछाइयां.//<br /><br />चौथी गज़ल का मतला बहुत ही बढ़िया कहा है आपने, मगर इसके आखरी शेअर का पहला मिसरा दोबारा से आपकी नज़रे-सानी चाहता है ! बहरहाल इतने सुंदर आशार हम सबके साथ साझा करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ! सादर !Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-81731862438691812412010-10-13T10:16:50.508-07:002010-10-13T10:16:50.508-07:00ग़ज़लें तो आपकी चारों बेहतरीन हैं लेकिन ग़ज़ल-2 की...ग़ज़लें तो आपकी चारों बेहतरीन हैं लेकिन ग़ज़ल-2 की बात ही कुछ और है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-65391918972180463802010-10-13T09:06:35.393-07:002010-10-13T09:06:35.393-07:00aadrniy nagrani ji ki rchnano ki pripkvta hi un ki...aadrniy nagrani ji ki rchnano ki pripkvta hi un ki pahchan hai doosra vishy ki gmbhirta bhi un ki rchnao ka vaishishtyhai <br />main bdhai v shubhkamnaayen prdan krta hoon aasha hai aap swikar krengi <br />dr.vedvyathit@gmail.comvedvyathithttps://www.blogger.com/profile/02253588002622732897noreply@blogger.com