tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post3065675082625738495..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: गोविन्द गुलशन की चार ग़ज़लेंNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-26582217753051923142012-01-05T06:50:42.788-08:002012-01-05T06:50:42.788-08:00प्रिय गुलशन जी, जब से आपकी 'जलता रहा चराग &#...प्रिय गुलशन जी, जब से आपकी 'जलता रहा चराग ' पढ़ी है हम तो तब से ही आपके मुरीद हैं. <br />भगवान् आपको लम्बी उम्र दे ताकि आप सदियों तक अपने चाहने वालों को अपनी रचनाओं से<br />आनंदित करते रहेंJeetendra Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/13766556209377552808noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-3116319147998980602011-04-12T03:43:46.729-07:002011-04-12T03:43:46.729-07:00शुक्रगुज़ार हूँ आप सब का कि आपने
मुझे नाचीज़ को अप...शुक्रगुज़ार हूँ आप सब का कि आपने<br />मुझे नाचीज़ को अपनी मुहब्बतों से नवाज़ा<br />यूँही दुआओं में बनाए रखिएगाGOVIND GULSHANhttps://www.blogger.com/profile/01140648535118496417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-13214305899564683002010-08-12T20:47:26.990-07:002010-08-12T20:47:26.990-07:00क्या बात है,बेहद खूबसूरत गज़लें हैं ....भाई गुलशन ज...क्या बात है,बेहद खूबसूरत गज़लें हैं ....भाई गुलशन जी,बहुत-बहुत बधाई.<br /><br /> "ओमप्रकाश यती"ओमप्रकाश यतीhttps://www.blogger.com/profile/03097758271779661463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-4262867722480845342010-06-03T21:32:19.957-07:002010-06-03T21:32:19.957-07:00गुलशन साहब की सारी की सारी ग़ज़लें कमाल की हैं...द...गुलशन साहब की सारी की सारी ग़ज़लें कमाल की हैं...दुगुन काफिये रदीफ़ वाली ग़ज़ल के लिए खास बधाई... <br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-35041855663484826012010-06-02T06:37:08.228-07:002010-06-02T06:37:08.228-07:00नमस्कार..बात ..खास तौर पर ’ कागद जी,कपूर साहेब,आज़...नमस्कार..बात ..खास तौर पर ’ कागद जी,कपूर साहेब,आज़ेर जी ’ ने कह ही दी..पहले की तीनों गज़लें उम्दा हॆं..आखिरी गज़ल क़ाफ़िया और रदीफ़ दुगुन में इस्तेमाल किए जाने के प्रयोग का शिकार हो गई लगती है..इसी वजह से बहर बडी हो गयी और वज़्न जाता रहा..शेष गज़लें बेहतरीन हॆं...गुलशन जी और आखर कलश का शुक्रिया.राजेश चड्ढ़ाhttps://www.blogger.com/profile/13615403040017262901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-43526418648779215652010-06-01T09:47:36.521-07:002010-06-01T09:47:36.521-07:00Behtreen Prastuti...... GULSHAN ji ko naman...Behtreen Prastuti...... GULSHAN ji ko naman...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-68961183129100988542010-06-01T04:05:49.831-07:002010-06-01T04:05:49.831-07:00प्रिय गोविन्द गुलशन जी, सोना पीतल वाले शेर पर गौर ...प्रिय गोविन्द गुलशन जी, सोना पीतल वाले शेर पर गौर फ़रमाएं<br /><br />गंगा जल की बात निराली खुद प्यासा मैं सागर ठहरा<br />सब लोगों की प्यास बुझाऊं मैं कोई वो जल थोड़ी हूँPurshottam Abbi 'Azer'https://www.blogger.com/profile/03431269617828485788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-11181293282467927382010-06-01T03:56:18.413-07:002010-06-01T03:56:18.413-07:00सादर प्रणाम आदरणीय तिलकराज जी
आपके आदेशानुसार बतान...सादर प्रणाम आदरणीय तिलकराज जी<br />आपके आदेशानुसार बताना चाहूंगा कि आदरणीय श्री गोविन्द जी का अभी तक कोई ब्लॉग या साईट नहीं है..हाँ, उनके ग़ज़ल संग्रह के अवलोकनार्थ लिंक प्रेषित है..कृपया अवलोकन कीजियेगा..<br /><br />http://forum.urduworld.com/f1083/<br /><br />www.kavitakosh.org/govindgulshan<br /><br />सादरNarendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-30999337932877944072010-05-31T05:18:14.215-07:002010-05-31T05:18:14.215-07:00इतनी शानदार गजलों को पढवाने का शुक्रिया।इतनी शानदार गजलों को पढवाने का शुक्रिया।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-35020417721003821992010-05-31T03:20:21.421-07:002010-05-31T03:20:21.421-07:00This comment has been removed by the author.Purshottam Abbi 'Azer'https://www.blogger.com/profile/03431269617828485788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-7237884813746259082010-05-31T03:17:23.796-07:002010-05-31T03:17:23.796-07:00दे कर जिगर का खून अगर सींच लेते हम
तब बाग आधियों ...दे कर जिगर का खून अगर सींच लेते हम<br />तब बाग आधियों में उखड़ता नही कभी<br /><br />"गुलशन"तेरे ख्याल कि तारीफ़ क्या करूं<br /> अच्छी ग़ज़ल का शेर उजड़ता नही कभीPurshottam Abbi 'Azer'https://www.blogger.com/profile/03431269617828485788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-57117477134173662532010-05-30T11:44:00.217-07:002010-05-30T11:44:00.217-07:00बहुत खूब.
जैसा की बलराम जी ने कहा सभी ग़ज़लें उस्त...बहुत खूब.<br />जैसा की बलराम जी ने कहा सभी ग़ज़लें उस्ताद-क़लम से निकली हैं। एक-एक शेर में वजन है।<br />- पृथ्वीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-8338676047348211102010-05-30T10:56:31.728-07:002010-05-30T10:56:31.728-07:00मैनें पहले भी निवेदन किया था कि गुलशन जी का कोई सं...मैनें पहले भी निवेदन किया था कि गुलशन जी का कोई संग्रह हो तो अवश्य बतायें, इतनी उम्दा ग़ज़लें किसी उस्ताद की कलम से ही निकल सकती हैं।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-842332871265272652010-05-28T09:22:54.685-07:002010-05-28T09:22:54.685-07:00सभी ग़ज़लें उस्ताद-क़लम से निकली हैं। एक-एक शेर में व...सभी ग़ज़लें उस्ताद-क़लम से निकली हैं। एक-एक शेर में वजन है।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-76680619114321086022010-05-28T05:18:22.401-07:002010-05-28T05:18:22.401-07:00सूरज हूँ जल रहा हूँ बचा लीजिए मुझे
बादल मेरे क़रीब...सूरज हूँ जल रहा हूँ बचा लीजिए मुझे<br />बादल मेरे क़रीब उमड़ता नहीं कभी<br /><br />bahut khoob,achha laga pad kerरचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-46466791500646763432010-05-28T04:01:47.141-07:002010-05-28T04:01:47.141-07:00जिसकी जड़ें ज़मीन में गहरी उतर गईं
आँधी में ऐसा पे...जिसकी जड़ें ज़मीन में गहरी उतर गईं<br />आँधी में ऐसा पेड़ उखड़ता नहीं कभी<br /><br />बुझा रही है चराग़ों को वक़्त से पहले<br />न जाने किसके इशारों पे चल रही है हवा<br /><br />ख़ूब काम आती है आपकी हुनरमंदी<br />आपका अँधेरे में तीर ख़ूब चलता है<br /><br />सुख हूँ मैं फिर आ जाऊँगा मुझको जाने से मत रोको<br />जाऊँ, जाकर लौट न पाऊँ मैं कोई वो पल थोड़ी हूँ <br /> बहुत-बहुत सुन्दर शेर. सभी गज़लें बहुत खूबसूरत हैं. आभार.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-8925191395105101332010-05-27T23:54:59.073-07:002010-05-27T23:54:59.073-07:00Excellent Gulshan G
Very very support to aakharkal...Excellent Gulshan G<br />Very very support to aakharkalash<br />......Manmohan Vyasmanmohanhttps://www.blogger.com/profile/03494487565654312756noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-12256441874795437762010-05-27T23:36:37.959-07:002010-05-27T23:36:37.959-07:00aanand aa gaya! Padhtihi chali gayi...!aanand aa gaya! Padhtihi chali gayi...!shamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-70440855034741299452010-05-27T18:21:03.875-07:002010-05-27T18:21:03.875-07:00बहुत सुन्दर गज़लें हैं ... एक से बढ़कर एकबहुत सुन्दर गज़लें हैं ... एक से बढ़कर एकIndranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-70558108340254842202010-05-27T15:57:46.167-07:002010-05-27T15:57:46.167-07:00शानदार मत्ले से पहली ग़ज़ल का आग़ाज़ किया है गोविंद गु...शानदार मत्ले से पहली ग़ज़ल का आग़ाज़ किया है गोविंद गुलशनजी ने <br />"ग़म का दबाव दिल पे जो पड़ता नहीं कभी <br />सैलाब आँसुओं का उमड़ता नहीं कभी" <br />…और जैसे जैसे आगे बढ़ते हैं अश्आर अपने हुस्न की गिरफ़्त में लेते जाते हैं <br />"जिसकी जड़ें ज़मीन में गहरी उतर गईं<br />आँधी में ऐसा पेड़ उखड़ता नहीं कभी "<br />पूरा का पूरा दर्शन अंतर्निहित है उपरोक्त शे'र में ।<br />यह सिल्सिला दूसरी और तीसरी ग़ज़ल में भी बदस्तूर बरक़रार रहता है…<br />"वो जाम बर्फ़ से लबरेज़ है मगर उससे<br />लिपट-लिपट के मुसलसल पिघल रही है हवा"<br />क्या अंदाज़े-सुख़न है !<br />…और <br />"ख़ूब काम आती है आपकी हुनरमंदी<br />आपका अँधेरे में तीर ख़ूब चलता है"<br />…और ख़ास ग़ज़ल के रूप में प्रस्तुत आपकी चौथी ग़ज़ल आमफ़हम ज़ुबान में कही गई अच्छी प्रयोगात्मक ग़ज़ल है ।<br />गोविंदजी उम्मीद की रौशनी दामन से छूटने नहीं देते , और आशावादी स्वर में कहते हैं…<br />"सुख हूँ मैं फिर आ जाऊँगा मुझको जाने से मत रोको<br />जाऊँ, जाकर लौट न पाऊँ मैं कोई इक पल थोड़ी हूँ"<br />प्रिय नरेन्द्रजी सहित <b>आखर कलश</b> की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई एक अच्छे फ़नदां - ग़ज़लगो के अश्आर से रू ब रू करवाने के लिए ! <br /><br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com" rel="nofollow">शस्वरं</a> </b> पर भी ख़ाकसार की जानिब से ऐसे हुनरमंद अदीबों को दावते-सुख़न है<br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com" rel="nofollow">शस्वरं</a>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-78454355626156275722010-05-27T10:19:45.066-07:002010-05-27T10:19:45.066-07:00बहुत शानदार ग़ज़लें हैं.
पढवाने के लिये बहुत बहुत ...बहुत शानदार ग़ज़लें हैं.<br />पढवाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया.चैन सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/18079689283863767097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-91615408358691833252010-05-27T10:16:32.000-07:002010-05-27T10:16:32.000-07:00गोविन्द गुलशन जी, आपकी चारोँ ग़ज़लेँ लाज़वाब हैँ।कहन,...गोविन्द गुलशन जी, आपकी चारोँ ग़ज़लेँ लाज़वाब हैँ।कहन,बहर,वज़न मेँ हर आशार मुक्कमल। अरकान काबिल-ए-गौर।अगर कोई ग़ज़ल कहने का शोक फरमाता है तो उसे यहां पढ़ना चाहिए।<br />बधाई हो गोविन्द जी !<br />*अंतिम ग़ज़ल मेँ पीतल शब्द की पुनरावृति अख़रती है। पुनः देखेँ।<br />*आप मेरे ब्लाग पर पधारेँगे तो खुशी होगी।<br />www.omkagad.blogspot.comओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-24258694616062712962010-05-27T09:37:19.394-07:002010-05-27T09:37:19.394-07:00सूरज हूँ जल रहा हूँ बचा लीजिए मुझे
बादल मेरे क़रीब...सूरज हूँ जल रहा हूँ बचा लीजिए मुझे<br />बादल मेरे क़रीब उमड़ता नहीं कभी!<br /><br /><br /> बुझा रही है चराग़ों को वक़्त से पहले<br />न जाने किसके इशारों पे चल रही है हवा<br /> <br />कमाल कि गज़लें है, बहुत दिनों बाद इस तरह कि गज़लें पढने को मिली है, मेरे पास इनकी तारीफ के लिए शब्द नहीं है, आखर कलश से निवेदन है कि लेखक का अगर ब्लॉग है तो लिंक देने कि कृपा करे!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-59822307469239518702010-05-27T09:10:04.719-07:002010-05-27T09:10:04.719-07:00मुझसा मुझे भी चाहिए सूरज ने ये कहा
साया मेरा ज़मीन ...मुझसा मुझे भी चाहिए सूरज ने ये कहा<br />साया मेरा ज़मीन पे पड़ता नहीं कभी<br /> <br />सूरज हूँ जल रहा हूँ बचा लीजिए मुझे<br />बादल मेरे क़रीब उमड़ता नहीं कभी<br /><br />बहुत बढिया गज़लें पढवाने का आभारप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.com