tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post1781866617777763473..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: नीलेश माथुर की तीन कविताएँNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-43164379346059506262010-05-22T07:59:21.854-07:002010-05-22T07:59:21.854-07:00नीलेश माथुर की कविताएँ आक्रोश लिए हैं और संवेदनाएं...नीलेश माथुर की कविताएँ आक्रोश लिए हैं और संवेदनाएं भी, पढ़कर अच्छा लगा!<br />-अशोक लवAshkhttps://www.blogger.com/profile/11520165726417369282noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-70217591054615956072010-05-21T02:11:28.069-07:002010-05-21T02:11:28.069-07:00भाई निलेश जी,
आपकी तीनोँ कविताएं शानदार हैँ। बधाई!...भाई निलेश जी,<br />आपकी तीनोँ कविताएं शानदार हैँ। बधाई!<br />आपके भीतर भविष्य का कवि छुपा है,उसे खुल कर बाहर आने देँ।अभी प्रसंशाए चेहरे को मिल रही हैँ। जिस दिन रूह खुश हो तो समझना उस दिन आपके भीतर का कवि खुश हुआ है।ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-37253911802852151632010-05-21T01:52:58.257-07:002010-05-21T01:52:58.257-07:00मुझ अदने से लेखक को आपने जो स्नेह दिया उसके लिए आख...मुझ अदने से लेखक को आपने जो स्नेह दिया उसके लिए आखर कलश और आप सभी को बहुत धन्यवाद!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-75824542324857785302010-05-21T01:14:37.198-07:002010-05-21T01:14:37.198-07:00धुंधला चुके चित्र-वर्पमान परिवेश में बदलते मानवीय ...धुंधला चुके चित्र-वर्पमान परिवेश में बदलते मानवीय मूल्यों की यथार्थ अभिव्यक्ति है...भागदौङ भरी जिन्दगी में पीछे छूटते और दरकते रिश्तों की कविता है..हर क्षण को जी लेना ही जिन्दगी है....जिस्म और रूह का विभाजन त्रासद है वही यत्रंणाप्रद है वे स्थितियां जो इसे स्वीकार करती है..............सराहनीय प्रस्तुति.......अपना सृजन अनवरत रखे बन्धु........शुभकामनाएं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03959513530880200076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-7901164612477809552010-05-20T16:00:58.840-07:002010-05-20T16:00:58.840-07:00श्री नीलेश जी की तीन-तीन बेहतरीन कवितायें पढवाने क...श्री नीलेश जी की तीन-तीन बेहतरीन कवितायें पढवाने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार नरेन्द्र जी..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-68863465038676482352010-05-20T11:58:47.602-07:002010-05-20T11:58:47.602-07:00नीलेश जी की तीनों रचनाएं जीवन के विविध रंगों को सम...नीलेश जी की तीनों रचनाएं जीवन के विविध रंगों को समेटे हुए है।बहुत की खूबसूरत एवं अच्छी बन पड़ी है।हर्षिताhttps://www.blogger.com/profile/04799029469213410208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-44611129136239935162010-05-20T11:20:03.029-07:002010-05-20T11:20:03.029-07:00शायद वो इंसान नहीं थे
क्योंकि विभाजन की त्रासदी से...शायद वो इंसान नहीं थे<br />क्योंकि विभाजन की त्रासदी से<br />वो अनजान नहीं थे!<br />उत्तम रचनाएं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-60230775649476650222010-05-20T11:11:23.088-07:002010-05-20T11:11:23.088-07:00उस लकीर के एक तरफ
जिस्म
और दूसरी तरफ
रूह थी,
बहुत ...उस लकीर के एक तरफ<br />जिस्म<br />और दूसरी तरफ<br />रूह थी,<br />बहुत सुन्दर रचनायें. ये अन्तिम रचना तो कमाल की है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-39534487743077888332010-05-20T11:09:08.874-07:002010-05-20T11:09:08.874-07:00वाह! झकझोर दिया इन रचनाओं ने, बेहतरीन!वाह! झकझोर दिया इन रचनाओं ने, बेहतरीन!viveksharma(nalayak)https://www.blogger.com/profile/06964013220986251956noreply@blogger.com