tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post1447663419649816416..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: रंजना श्रीवास्तव की कविताएं : एक अवलोकन - राजेश उत्साहीNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-46691071876186468422010-11-24T08:31:42.500-08:002010-11-24T08:31:42.500-08:00साहित्य, किसी भी रूप में हो, पाठक तक कितना पहुँचत...साहित्य, किसी भी रूप में हो, पाठक तक कितना पहुँचता है इसमें भाषा की सहजता और सरलता बहुत मायने रखती है। एक सामान्य पाठक साहित्यकार हो और रचना की तत्व मीमॉंसा के स्तर तक पहुँच सके ये जरूरी नहीं। ऐसे में, मेरा प्रस्ताव विचित्र तो लग सकता है लेकिन, उचित होगा कि रचना के साथ ही विधा विशेषज्ञ की समीक्षा भी प्रकाशित हो जाये जिससे मुझ जैसे सामान्य पाठक को रचना पढ़ने का ओर अधिक आनंद प्राप्त हो सके। इससे रचना पर टिप्पणियों का स्वरूप भी अधिक स्पष्ट होगा और सार्थक टिप्पणी प्राप्त हो सकेंगी। <br />यह कुछ ऐसा ही होगा जैसे एक छात्र को रचना का भाव पक्ष साथ साथ समझाना।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-10574939735178115712010-11-23T20:19:16.953-08:002010-11-23T20:19:16.953-08:00@ पंकज जी क्षमा करें मैं कोई विद्वान नहीं हूं। एक ...@ पंकज जी क्षमा करें मैं कोई विद्वान नहीं हूं। एक साधारण पढ़ने-लिखने वाला इंसान हूं। समीक्षक हूं इसलिए एक और बात के लिए क्षमा चाहता हूं कि रंजना जी के नाम के साथ भाग्यशाली शब्द कुछ जमता नहीं है। <br /> <br />@ माणिक जी, आपके द्वारा व्यक्त शुभेच्छा के लिए आभारी हूं। पर क्षमा करें हम काम निपटा नहीं रहे हैं,बल्कि उसे जरूरी समझकर कर रहे हैं। यहां भी मैं आदर के साथ यही कहना चाहता हूं कि हम शब्दों का उपयोग अगर सोच समझकर करें तो हमारी रचनाएं सार्थक बनेंगी। <br /><br />@ अरूण जी। गुंजाइश हमेशा हर चीज में रहती है। मेरा मानना है कि कुछ बातें पाठकों के लिए भी छोडनी चाहिए। हर रचना या समीक्षा में आप नख-शिख वर्णन कर देंगे तो पाठक क्या करेगा। रचनाकार या समीक्षक का उद्देश्य होना चाहिए विषय या रचना की तरफ ध्यान आकर्षित करना।<br /><br />@ वंदना जी,जया जी, समुन जी,<br />दिनेश जी आपने इस प्रयास की सराहना की हमारा उत्साह बढ़ा। शुक्रिया। <br /><br />इस आयोजन के लिए सबसे अधिक बधाई के हकदार आखरकलश और नरेन्द्र जी हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-29848059453464086352010-11-23T02:35:57.749-08:002010-11-23T02:35:57.749-08:00आपका ये प्रयास सराहनीय है और समीक्षा पढकर भी अच्छा...आपका ये प्रयास सराहनीय है और समीक्षा पढकर भी अच्छा लगा।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-77828729097663022912010-11-22T23:12:32.861-08:002010-11-22T23:12:32.861-08:00सराहनीय प्रयास.........सराहनीय प्रयास.........सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-76990899285325541662010-11-22T22:49:16.283-08:002010-11-22T22:49:16.283-08:00kisi bhi kary ki safalta mulyankan ke bina adhuri ...kisi bhi kary ki safalta mulyankan ke bina adhuri rhti hai. Is praya s k liye dhanywad. Shubhkamnayen!jayaketkihttps://www.blogger.com/profile/08442521064107239585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-88402511924822259742010-11-22T21:31:56.951-08:002010-11-22T21:31:56.951-08:00जब मैंने रंजना जी की कवितायें पढ़ी थी तभी प्रभावित ...जब मैंने रंजना जी की कवितायें पढ़ी थी तभी प्रभावित हुआ था.. आखर कलश पर प्रकाशित श्रेष्ठतम रंच्नाओं में यह एक थीं.. समीक्षा का कालम इस कविता से शुरू हुई है तो उम्मीदें बढ़ गई हैं... साथ ही भाई राजेश उत्साही जी जब समीक्षा कर रहें हो तो कविता को पुनः पढने का मन करता है.. राजेश जी ने बहुत संतुलित रूप से कविता की समीक्षा की है... लेकिन समीक्षा में काफी गुंजाईश है... कविता के content, style, structure पर और भी चर्चा हो सकती थी... रंजना जी और उत्साही जी को शुभकामना सही.. कभी मेरी कविता भी राजेश भाई की निगाहों में आएगी, इस प्रतीक्षा में..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-17688187457729613272010-11-22T21:03:47.772-08:002010-11-22T21:03:47.772-08:00राजेश उत्साही जी आप और आखर कलश बहुत बड़े मायने में...राजेश उत्साही जी आप और आखर कलश बहुत बड़े मायने में ये एक बहुत ज़रूरी काम निपटा रहे हिं. बहुत बेबाकी से लिखी गयी समीक्षा रचनाकार को सही दिशा देने का काम करेगी.ब्लॉग्गिंग में जिस चीज की कमी थी वो ये कि आये और गए कमेन्टबाजों के बजाय अपनी रचनाओं की सही मायने में खुलकर समीक्षा करने वालो को प्रेरित करने की ज़रूरत हैं.ऐसी समीक्षाएं ही समय रहते रचनाकारों को पार लगा सकती है .साहित्य का भी भला होता दिखेगा.इस स्तम्भ के सतत जीवित रहने की कामना करता हुआ बहुत शुभेच्छा रखता हूँ.<br />-- <br />सादर,<br /><br />माणिक;संस्कृतिकर्मी<br />17,शिवलोक कालोनी,संगम मार्ग, चितौडगढ़ (राजस्थान)-312001<br />Cell:-09460711896,http://apnimaati.com<br />My Audio Work link http://soundcloud.com/manikji''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडलhttps://www.blogger.com/profile/16471251362095496908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-21368076442258000172010-11-22T19:36:13.259-08:002010-11-22T19:36:13.259-08:00"आखर कलश" पर श्री नरेन्द्रजी ने अपनी इस..."आखर कलश" पर श्री नरेन्द्रजी ने अपनी इस ब्लॉग-पत्रिका को हमेशा नया रूप देने का भरसक प्रयास और प्रयोग किया है | उनकी सफलता के साथ "समीक्षा-अवलोकन" का स्तंभ शुरू करके पाठकों की जिज्ञासा बढ़ाई है | इससे अच्छी रचनाएं तो मिलेगी ही, साथ ही नए लिखने वालों को एक दिशा या मार्गदर्शन भी मिलेगा | <br />श्री राजेश उत्साही जी तो विद्वान है और उनके ज्ञान का लाभ हमेशा मिलता है | "आखर कलश", श्री नरेन्द्र जी और श्री राजेश जी को बधाई | रंजना जी को मैं भाग्यशाली मानता हूँ कि शुरुआत उनसे हुई है |Pankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/10063320631434883552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-81044910220220006372010-11-22T17:35:48.224-08:002010-11-22T17:35:48.224-08:00प्रयास प्रशंसनीय है, बधाईप्रयास प्रशंसनीय है, बधाईदिनेश कुमार मालीhttps://www.blogger.com/profile/14281453196523014918noreply@blogger.com