बीआईटी, सिंदरी, धनबाद से केमिकल इंजीनियरिंग में बी. ई. मोहम्मद शाहिद अख्तर छात्र जीवन से ही वामपंथी राजनीति से जुड़ गए। अपने छात्र जीवन के समपनोपरांत आप इंजीनियर को बतौर कैरियर शुरू करने की जगह एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। पूर्णकालिक कार्यकर्ता की हैसियत से आपने बंबई (अब मुंबई) के शहरी गरीबों, झुग्गीवासियों और श्रमिकों के बीच काम किया। फिल्हाल आप प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की हिंदी सेवा 'भाषा' में वरिष्ठ पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं।
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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
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सम्पादक मंडल

- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
SHAHID AKHTAR JI KEE DONON KAVITAON KEE SAHAJ ABHIVYAKTI MAN KO
ReplyDeleteCHHOO GAYEE HAI . BADHAEE AUR SHUBH KAMNAAYEN .
ReplyDeleteकाश तुम्हारा दिल कोई अखबार होता
कि तुम्हारे उदास होने की
तुम्हारे गम की
और तुम्हारी परेशानियों की
खबरें झूठी निकलती
क्या बात है ...
शाहिद जी की दोनों ही कवितायेँ लाजवाब लगीं .....
बढ़िया साहब....बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबढ़िया साहब....बहुत बढ़िया
ReplyDeleteशुरू से आखिर तक
ReplyDeleteहर्फ-दर-हर्फ सब पढ़ जाता
और जान लेता
सारा हाल-अहवाल तुम्हारा
काश तुम्हारा दिल कोई अखबार होता
पता चल जाता मुझे
कि आज कितने खुश हो तुम
या कितने उदास हो
और कितने मायूस हो तुम
कि आज तुम्हारे दिल की वादियों में
खिले हैं खुशी के फूल कितने
क्या बात है शाहिद साहब !!
बहुत स्वाभाविक अभिव्यक्ति है जनाब !
बहुत खूब !!