नाम : डॉ. हरदीप कौर सन्धु
जन्म : 17 मई 1969 को बरनाला (पंजाब) में।
शिक्षा : बी. एससी . बी.एड. एम.एस
सी., (वनस्पति विज्ञान), एम. फ़िल., पी.एच.डी.
सम्प्रति :कई वर्ष पंजाब के एस. डी.
कालेज में अध्यापन (बॉटनी लेक्चरार), अब सिडनी (आस्ट्रेलिया
में)।
कार्यक्षेत्र :
हिंदी व पंजाबी में नियमित
लेखन। अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
हिन्दी
की अंतर्जाल पत्रिका अनुभूति, रचनाकार , पंजाब स्क्रीन, गवाक्ष एवं सहज साहित्य में कविताएँ , पुस्तक समीक्षा, कहानी ,हाइकु ,ताँका तथा चोका प्रकाशित |
पंजाबी
की अंतर्जाल पत्रिका पंजाबी माँ , लफ्जों का पुल , लिखतम, शब्द सांझ, पंजाबी मिन्नी ,पंजाबी हाइकु, पंजाब स्क्रीन एवं साँझा
पंजाब में कविता , कहानी , हाइकु तथा ताँका प्रकाशित |
वस्त्र-परिधान, विज्ञापन की दुनिया , अविराम त्रैमासिक आदि
पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित , कुछ ऐसा हो और चन्दनमन संग्रह में हाइकु
प्रकाशित ।
उत्कृष्ट रुचियाँ :
साहित्य के प्रति रुझान के साथ-साथ रंग एवं चित्रकला से गहरा लगाव ,रंगकला की अनेक विधाओं में तैल-चित्रण, सिलाई -कढ़ाई तथा क्राफ्ट - कार्य आदि |
विशेष उल्लेख :
'शब्द' आशीष स्वरूप मुझे विरासत में मिले |लेखन के प्रति झुकाव तथा
बुनियादी साहित्य संस्कार मुझे अपने ननिहाल परिवार से मिला | शब्दों का सहारा न मिला होता तो मेरी रूह ने कब का दम तोड़ दिया होता | इन शब्दों की दुनिया ने मुझे कभी अपनों से दूर होने का अहसास नहीं होने दिया | विदेश में रहते हुए भी मुझे मेरा
गाँव कभी दूर नहीं लगा | हर पल यह मेरे साथ ही होता है मेरे ख्यालों में | मैं हिन्दी व् पंजाबी दोनों
भाषा में लिखती हूँ | लिखना कब शुरू किया ...अब याद नहीं ....हाँ इतना याद है कि जब कभी बचपन में लिखा ....माँ और
पिता जी ने थपकी व् शाबाशी दी जिसकी गूँज आज भी मेरे कानों में मिसरी
घोलती है तथा लिखने की ताकत बनती है | जब कभी दिल की गहराई से कुछ
महसूस किया ....मन-आँगन में धीरे से उतरता चला गया | इन्हीं खामोश लम्हों को
शब्दों की माला में पिरोकर जब पहना तो ये रूह के आभूषण बन सुकून देते रहे |साथ--साथ खाली पन्नों पर अपना हक जमाने लगे और
भावनाएँ शब्दों के मोती बन इन पन्नों पर बिखरने लगीं |
ई - मेल : hindihaiku@gmail.काम
हुआ प्रभात
ReplyDeleteसृष्टि ले अँगड़ाई
कली मुस्काई
प्रकृति छेड़े तान
करे प्रभु का गान
बेहतरीन प्रयास , सारे हाइकु समुन्नत हैं थोड़े संवेदन शील शब्दों का चयन वांछित हैं , शुभकामनायें हरदीप जी /
हरदीप जी ने प्रकृति के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं का सुंदर चित्रण किया है. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसभी ताँके प्रकृति के समीप हैं...प्रकृति का वर्णन करने में सफल हैं|
ReplyDeleteमुझे बहुत अच्छे लगे|बधाई एवं शुभकामनाएँ...
सादर
ऋता
'प्रकृति का आंगन' में हरदीप जी के माधुर्य से ओतप्रोत तांका मन को बाँध लेते हैं.हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर........बधाई
ReplyDeletesabhi taanke bahut sundar, prkriti-gaan karte hue prkriti kee chhata bikhar rahi hai. bahut badhai Hardeep ji ko.
ReplyDeleteaapke tanka pdh kr aap prakriti ko ek anokhe andaj me dekha .aap ke tanka me prakriti jivit ho uthi hai bahut bahut badhai
ReplyDeleterachana
Very Beautiful like always ! Keep it up Hardeep !
ReplyDeleteलेते हैं जन्म
ReplyDeleteएक ही जगह पे
फूल व काँटे
एक सोहता सीस
दूसरा दे चुभन
prkriti ka sunder chitran
sunder t6anka
Behtariin..Badhai swiikaren
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