गीता पंडित की कविताएँ

1. स्त्री

Painting by Picasso
सिक्त
नयन हैं
फिर भी मन में
मृदुता
रखकर मुस्काती,

अपने
नयनों की
बना अल्पना
नभ को
रंगकर सुख पाती|
**

2. पीर ना अपनी दे पाऊँगी

संचय

मेरे तुम्हें समर्पित
पीर ना
अपनी दे पाऊँगी ।

मेरे अश्रु
हैं मेरी थाती
जीवन भर
की रही कमाई,
नयनों की
है तृषा बुझानी
अंतर्मन
Painting by Picasso
पलकों पर लायी,

अंतर का
ये नीर मेरे मीते!
तुमको
ना दे पाऊँगी|

विष या अमृत
अंतर क्या अब
श्वासें
जैसे मोल चुकायें.
पंछी बनकर

प्रीत उड़ गयी
सुर धड़कन
में कौन सजाए,

नीरव क्षण
का गीत मेरे मीते !
तुमको
ना दे पाऊँगी

संचय
मेरे तुम्हें समर्पित
पीर ना
अपनी दे पाऊँगी।
**

3. कौन जो गाथा प्रणय की

कौन जो
गाथा प्रणय की
कहके
सुनके जायेगा,

कौन जो
मन की व्यथाएँ
आके
अब सहलायेगा,

प्रेम वंदन,
प्रेम चंदन,
प्रेम जीवन गान है,
बिन तुम्हारे

सुर सजीला
एक ना हो पायेगा |

है विकट
ये साधना पर
प्रेम
सहज अनुभूति है ,
Painting by Picasso
प्रेम ही से
हो रही इस
जगती
की अभिव्यक्ति है,

प्रेम ही
जब मूक बोलो
कौन
किसको गायेगा,

एक है
जो हममें तुममें
एक ना हो पायेगा |

है इती
और अथ में जो भी
प्रेम का
बस खेल है,

कितनी
अनगिन हैं भुजाएं
प्रेम का
बस मेल है,

प्रेम बिन
कैसा जगत ये
काठ
बन रह जायेगा,

होगा
अभिशापित ये जीवन
जीव
ना गा पायेगा|
***

परिचय: गीता पंडित
जन्म स्थानः हापुड़ उ.प्र.
शिक्षा: एम. ए. (अंग्रेज़ी साहित्य), एम. बी. ए. (मार्केटिंग)
ई.मेल: gieetika1@gmail.com
ब्लोग: http//bhaavkalash.blogspot.com

अंतस में क्रंदन नहीं होता तो लेखनी में स्पंदन भी नहीं होता।
परिचय क्या?
बूंद सीपी में गिरी, तो मोती-और रेत में गिरी तो?
श्रद्धेय जनक, गीतकार श्री "मदन शलभ" का वरद-हस्त इस विधा में रत रहने की प्रेरणा रहा है। किसी गीत के पहले दो बोल पिता ने घुट्टी में दे दिये होंगे...
उसी गीत को पूर्ण करने के प्रयास मे।
“मन तुम हरी दूब रहना” मेरे प्रथम काव्य संग्रह से कुछ कवितायेँ
**
गीता पंडित
वैशाली (एन सी आर )
इंडिया



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16 Responses to गीता पंडित की कविताएँ

  1. कोटिश: आभार व्यास जी,

    " मन तुम हरी दूब रहना " की पहली झलक
    मुझे भाव-विभोर कर गयी..


    सच कहूँ तो कृति भी शिशु वत स्नेहमयी होती है
    ऐसा मुझे यहाँ आभास हुआ ...
    अपनी कवितायेँ देखकर...


    एक बार फिर से आभारी हूँ "आखर कलश" की .


    शुभ कामनाएँ
    गीता पंडित

    ReplyDelete
  2. वाह!! बहुत गहन अभिव्यक्तियाँ...आभार गीता जी को पढ़वाने का.

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब, भावनाओं की बहुत प्यारी अभिव्यक्ति, बधाई गीता जी |

    ReplyDelete
  4. Geeta jee ko achchhi kavitaon ke liye badhai

    ReplyDelete
  5. geeta ji bahut hi sunder abhivyakti hai bhavon ki
    bahut bahut badhai
    rachana

    ReplyDelete
  6. aaj pehli baar aapke blog per ayee hoon sabhi rachnayein sunder agi

    ReplyDelete
  7. पीर ना
    अपनी दे पाऊँगी- तीनों कविताएँ बहुत अच्छी लगी गीता जी.

    ReplyDelete
  8. तीनों प्रभावशाली रचनाएँ - बहुत सुंदर - गीता जी को बधाई

    ReplyDelete
  9. कोमल भावों को आकार देती अच्‍छी कविताएं हैं, जो अपनी बुनावट में नवगीत का आस्‍वाद देती हैं। बधाई गीताजी को।

    ReplyDelete
  10. गीता जी की कविताएं प्रभावित करती हैं।

    ReplyDelete
  11. geeta ji ki rachnaayen gahan anubhooto liye huve hain ... shukriya padhwaane ka ...

    ReplyDelete
  12. अच्छी कविताओं के लिए गीता जी को बधाई !
    तीनों कविताएं किसी गीत से कम नहीं !
    बहरी एवम भीतरे लय प्रभावित करती है !

    ReplyDelete
  13. आप सभी मित्रों ने मेरे लेखन को पसंद किया
    इसके लियें मैं हृदय से आभारी हूँ...


    सभी को शुभ-कामनाएँ
    गीता पंडित

    ReplyDelete
  14. Geeta pandit ji Aap ki kavitiya Estri Anterman ko khul ker Abhiveykt kerti h,Aap n bhut hi payara or paviter likha h,Aap k sewado m ek takt h,jo dil bhiter tek ther jati h,Aap ko is sunder or kuch souchne ko mazbur krne wali kavita k liye sadhu-bad deta hu,Aap ki lekhni m yu hi tajgi beni rehy.

    ReplyDelete
  15. हृदय से आभार नरेश जी |

    ReplyDelete

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