आधुनिक शहर के एक कोने में लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। भीड़ के लोग आश्चर्यचकित होते हुए बड़े मजे से वहाँ के दृश्य का मजा ले रहे थे। वहाँ भीड़ जम गई थी। एक यन्त्रमानव के कारण। बिल्कुल मानव की तरह का वह मानव के पूरे हाव-भाव की नकल करता था। समय-समय पर विचित्र आवाज़ निकालकर आदमियों को बुलाता था। भीड़ के आदमी उसको विज्ञान का उच्चतम अविष्कार समझकर आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे।
१) नाम: कृष्ण बजगाई
२) जन्म मिति, स्थान: २३ जून, धरान, नेपाल
३) वर्तमान निवास: ब्रसेल्स, बेल्जियम
४) प्रकाशित कृतियाँ:
क)‘यन्त्रवत्’ लघुकथासंग्रह (२००७)
ख)‘हिउँको’ तन्ना हाइकुसंग्रह(२००९)
ग)‘रोडम्याप’ लघुकथासंग्रह (२०१०)
घ)‘स्रष्टा र डिजिटल वार्ता’ साहित्यिक अन्तर्वार्ता संग्रह (२०१०)
५) प्रकाशोन्मुख कृति:
ग्रेटवालदेखि इफेल टावरसम्म (नियात्रा संग्रह)
६) सम्पादन:
क) समकालीन साहित्य डोट कॉम www.samakalinsahitya.com
ख) कविहरुका आँखामा धरान कविता संग्रह (सन् १९९८)
ग) धरान इन द आईजज अफ पोयटस् (अनुवाद/सम्पादक स्वयंप्रकाश शर्मा, सन् १९९८)
घ) धरान दर्पण (वि.सं. २०५६)
ङ) प्रयास ( २०५५ )
च) भताभुङ्गे हास्यब्यङ्ग्य पत्रिका (२०५४)
छ) स्मारिका, १२ आंै राष्ट्रव्यापी खुल्ला युवा वक्तृत्वकला प्रतियोगिता (२०५३)
ज) कर्मचारी स्मारिका, सुनसरी (२०५१)
झ) ऐतिहासिक स्थलहरुको परिचय (पूर्वाञ्चल परिचय) (२०५५),
७) पुरस्कार सम्मान :
क)महाकवि देवकोटा शताब्दी सम्मान(२०१०)
ख)अनेसास लिटरेरी वेब जर्नालिज्म एवार्ड(२००९)
८) संलग्नता:
क) वरिष्ठ उपाध्यक्षः अन्तर्राष्ट्रिय नेपाली साहित्य समाज, केन्द्रीय कार्यसमिति, वासिङ्टन डी सी, अमेरिका
ख) अध्यक्षःअन्तर्राष्ट्रिय नेपाली साहित्य समाज, बेल्जियम च्याप्टर
ग) अन्तर्राष्ट्रिय संयोजक, लघुकथा समाज नेपाल
आज के समय की मानसिकता का गहरा चित्रण...
ReplyDeleteसाथ ही कृष्ण बजगाई जी को जन्म दिवस की बधाई....कुछ घंटे पूर्व ही सही..अनेक शुभकामनाएँ.
रोचक लघुकथा....
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