भारत के लखनऊ शहर में जन्मी रचना श्रीवास्तव की लेखन, अभिनय, और संगीत में गहरी रूचि है। उन्होंने विज्ञान में स्नातक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में परा स्नातक शिक्षा प्राप्त की है।
अमेरिका आने के बाद, कविता का पहला मंच बना डैलस का रेडियो हम तुम और श्रोता थे, समस्त डल्लास में बसने वाले भारतीय।इसके बाद वे रेडियो फन एशिया (डैलस), रेडियो सलाम नमस्ते (डैलस ), रेडियो मनोरंजन (फ्लोरिडा ) और रेडियो संगीत (हियूस्टन) में नियमित कविता पाठ कर चुकी हैं।
अनुभूति, साहित्य कुञ्ज, सृजन गाथा, लेखिनी, रचनाकर, हिंद-युग्म, हिन्दी नेस्ट, गवाक्ष, हिन्दी पुष्प, स्वर्ग विभा, हिन्दी मिडिया आदि कुछ प्रमुख पत्रिकाओं में उनके लेख, कहानियाँ और कविताएँ संस्मरण और साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं। वे डैलस में रेडियो संचालक भी रह चुकी हैं और अभिनव वाद-विवाद प्रतियोगिता, लोक संगीत और नृत्य में भी अनेक पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं।
(१)
जिस्म की दरारों से
झांकते हैं सपने
जैसे फटे मोंजे से
झांकता है अंगूठा
ये सपने
जिसे सीलन भरे
अँधेरे कमरे में
चोरी-चोरी देख लेती हैं रूहें
तह करती हैं
और कपड़े से भर के बनी
तकिये के नीचे
सहेज के
रख देतीं है सपने
फिर भी
ग़रीब की जवान बेटी की तरह
महक जाते हैं ये
इस से विचलित होती हैं
परम्पराएँ
घायल हो जाती हैं मर्यादाएं
तब वो
इन नुचे सपनों को
कंडे सा सुखाती हैं दीवार पर
कभी चारा मशीन में
घास सा काट देती हैं
या मटके के पानी में डूबा के मार देती है
पर इन ज़हरीली
संगीनों के बीच भी
ये सपने पुनः उग जाते हैं
और झाँकने लगते हैं
जिस्म की दरारों से
***
(२)
शब्द अलंकारों में सज
रस के परिधान धारण कर
स्वयं कविता में ढल जाते हैं
तुम्हारे आने से
तिनकों पर मुस्कुराती है ओस
ओस में दीखते हैं इन्द्रधनुषी रंग
और कर जाते हैं मेरा श्रृंगार
तुम्हारे आने से
महकने लगती है भावनाएं
इच्छा,चोंच में भर लेती हैं आकाश
प्रेम समृद्ध होने लगता है
तुम्हारे आने से
पकने लगता है कौमार्य
पलकों पर खिलते हैं कमल
अंजुरी भर जाती है पराग कणों से
तुम्हारे आने से
जी उठती हैं प्रार्थनाएँ
जल उठते हैं मंदिर के चिराग
मै पवित्र हो जाती हूँ
तुम्हारे आने से
***
(३)
ख़त्म होता महीना
कुछ आश्वासनों को जन्म देता है
घर का मालिक टांगता है
हर जरूरतों को
पहली तारीख की नोक पर
रख ले धैर्य
पहली तारीख पर ला दूंगा दवा
रात भर खांसती
माँ से बेटे ने कहा
बाबा पेट बहुत दुखता है
चूरन भी अब काम नहीं करता है
बिटिया मिलने वाली है तनख्वाह
बड़े डाक्टर को दिखा दूंगा
दर्द से तड़पती बेटी से पिता ने कहा
सुनो जी फट गई है मेरी धोती
पडोसी की नियत भी है खोटी
धन्नो लगा ले धोती में गांठ
जैसे तैसे बचा ले अपनी लाज
चिथड़े में लिपटी बीवी से पति ने कहा
पहली तारीख की पहली किरण
उम्मीद में जला चूल्हा,
उम्मीद की बनी चाय
उम्मीद का दामन पकडे हर शय मुस्काए
उम्मीद के कपड़े पहन ,सजा उम्मीद की चप्पल पैर में
उत्साह भरा निकला वो घर से
लौटा तो प्रश्न भरी आँखें
चिपक गईं उससे
देखत को भेली बाटत को चुरकुना
गरीब की तनखाह का यही हाल है होना
कुछ पैसे बनिए को दिए
कुछ मकान के किराये में गए
दोस्तों का उधार चुकाया
जो बचे वो ये रहे
बेबसी पिघल के गलों पर लुढ़क गई
माँ,धन्नो और बिटिया ने
अपनी जरूरतों की गठरी बांध
दुछत्ती पर डाल दी
वो जानती है की इन्हें करना होगा
पहली तारीख का इंतजार
***
-रचना श्रीवास्तव
तीनों कवितायें तीन विशिष्ट अनुभूतियाँ हैं।
ReplyDeleteउम्मीद में जला चूल्हा,
उम्मीद की बनी चाय
उम्मीद का दामन पकडे हर शय मुस्काए
प्रभावकारी पंक्तियाँ
PAHALI DO RACHANAYEN TO APRATEEM HAIN!
ReplyDeleteरचना श्रीवास्तव जी की कविताओं का एक-एक शब्द भावपूर्ण है..... बहुत सुन्दर है...सुनील जी, इतनी अच्छी कविताओं से जोड़ने के लिए आभार...।
ReplyDeleteरचना श्रीवास्तव जी की बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी कविताओं के लिए शुभकामनायें एवं साधुवाद !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति के लिए सुनील गज्जाणी जी एवं नरेन्द्र व्यास जी को बधाई।
कविताओं का एक-एक शब्द भावपूर्ण है, बहुत सुन्दर आभार!
ReplyDeleteये सपने पुनः उग जाते हैं
ReplyDeleteऔर झाँकने लगते हैं
जिस्म की दरारों से...
sapno me bhi dard...
arre sapno me to khusboo bikheriye..:)
teeno rachnayen TOP CLASS!!
पहली कविता में प्रयुक्त बिंब बहुत ही अद्भुत हैं। सपने जिस्म की दरारों से झांकते हैं- सचमुच।
ReplyDeleteबेहतरीन कविताएँ...
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक...
कितने सटीक बिम्ब बन पड़े हैं..
बधाई.
रचना श्रीवास्तव का बहुत ही व्यापक अनुभव जगत है । ये जीवन का रेशा-रेशा पड़ताल कर जो लिखती हैं वह दिल के हर कोने में घर कर लेता है । इतनी अच्छी कविताएँ बहुत कम पढ़ने को मिलती हैं । मेरी दिली बधाई !
ReplyDeleteरचना जी ने अपनी टिपण्णी पोस्ट नहीं कर पाने के कारण मेल द्वारा प्रेषित की-
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आप सभी के स्नेह शब्दों का बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आप सभी का आशीर्वाद सदा ऐसे ही मिलता रहेगा .
पुनः धन्यवाद
रचना
भावपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteपहली बार आपको पढ़ा.तीनों कवितायें बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteबहुत भावनात्मक और मार्मिक रचनायें
ReplyDelete्तीनो कविताये अद्भुत और बेजोड हैं……………बेहतरीन बिम्ब प्रयोग्……………शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......
ReplyDeleteरचना जी से परिचय बहुत अच्छा लगा। तीनों रचनाओं को सुन्दर बिम्बों और भावों से सजाया है। धन्यवाद इन्हें पढवाने के लिये।
ReplyDeleteतीनों रचनाएँ बहुत सुन्दर..बेजोड विम्बों का प्रयोग...लाज़वाब
ReplyDeleteरचना जी बहुत खुब इससे सुन्दर कोई रचना हो ही नहीं सकती।
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