नए साल की इबादत में भिन्न-भिन्न भावों से सजी सौगात

HAPPY NEW YEAR- 2011

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।।

(सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।)
इसी सनातन भावना को साथ लेकर एक बार पुनः हम जा रहे हैं वर्ष २०११ का स्वागत करने हमारे भिन्न-भिन्न भावों से सजी इन रचनाओं के साथ...

नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ..

शुभकामनाएँ ...

नए साल की नज़्मे
शुभकामनाओं के मलयानिल से
आरत्रिका की तरह आई हैं
हर किरण में स्नेहिल दुआएं-
तुम्हारे लिए !
नया साल
तुम्हें तुम्हारी पहचान दे
पहचान को सलामत रखे
आतंक के साए को दूर करे
रग-रग में विश्वास भर जाये
खूबसूरत सपने
हक़ीक़त में ढल जाएँ
जो पंछी अपने बसेरे से भटक गए हैं
वे लौट आएँ
कहीं कोई द्वेष की चिंगारी ना रहे
ठंडी हवाएँ उन्हें शांत कर जाएँ
मुस्कानों की सौगातों से
सबकी झोली भर जाए............
आओ मिलकर कहें-
'आमीन'
नया वर्ष मंगलमय हो !

- रश्मि प्रभा

नए साल की इबादत में

नए साल की इबादत में मैंने लिखी हैं
कुछ प्रार्थानाएँ
कुछ कविताएँ
कुछ गीत
नए साल के स्वागत में मैने बिछाए हैं
कुछ पंखुड़ियाँ
कुछ पत्ते
कुछ फूल
नए साल के इंतज़ार में मैंने खोल दिए हैं
सब कुण्डे
सब दरवाजे
सब झरोखे
नए साल के उत्सव में मैंने बुलाया है
पूरा गाँव
पूरा देश
पूरा विश्व

- संगीता सेठी

नये साल की
उफ! कितनी
तस्वीर घिनौनी है।
फिर
अफवाहों से ही
अपनी आंख मिचैनी है।

वही सभी
शतरंज खिलाड़ी
वही पियादे हैं,
यहां हलफनामों में भी
सब झूठे वादे हैं,
अपनी मूरत से
मुखिया की
मूरत बौनी है।

आँगन में
बंटकर तुलसी का
बिरवा मुरझाया,
मझली भाभी का
दरपन सा
चेहरा धुंधलाया,
मछली सी
आंखों में
टूटी एक बरौनी है।


गेहूं की
बाली पर बैठा
सुआ अकेला है,
कहासुनी की
मुद्राएं हैं
दिन सौतेला है,
दिन भर बजती
दरवाजे की
सांकल मौनी है।

-जयकृष्ण राय तुषार

नया साल मनाएँ

गए साल की बीती यादें
एक नया इतिहास बनाएँ
आओ हम सब मिल-जुल कर
यह नया साल मनाएँ.

जब चहुँ ओर हरियाली होगी
देश में तब खुशहाली होगी
जन-जन के जीवन को हम
एक सुखमय आदर्श बनाएँ
आओ हम सब मिल-जुल कर
यह नया साल मनाएँ.

स्वास्थ्य जीवन रक्षक होगा
स्वाध्याय हमारा लक्ष्य होगा
ऊँच-नीच के भेद मिटाकर
एक नया समाज बनाएँ
आओ हम सब मिल-जुल कर
यह नया साल मनाएँ.

समय तो यूँ ही चलता रहेगा
जो दुःख कल था कल न रहेगा
नए साल की पहली सुबह का
एक अभिनन्दन गान हम गाएँ
आओ हम सब मिल-जुल कर
यह नया साल मनाएँ.

-अश्विनी कुमार रॉय

दीपमहल

दुनिया को नया
पहाड़ों को हरा
आसमान का
वो पुराना
नीलापन
सब ले आया

तुम
आ जाओ
उस आकार में
अन्दर से साफ़ था जो

मैं
गँगा में नहा लूँगा
कुछ बूंदें
तुमसे लिपट जाएँ

एक दीप महल
कैलाश सा
उज्वल
तुमसा पवित्र
शांत
नदी के हर पानी सा नया

हर छड
नया वर्ष
हर पल
पुराने
वो पुराने
हम

ऐसे जीते हैं
चलो
सब सही हो जाये

-भरत तिवारी

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One Response to नए साल की इबादत में भिन्न-भिन्न भावों से सजी सौगात

  1. नव वर्ष का आगमन और शुभ हो गया ...
    बहुत शुभकामनायें !

    ReplyDelete

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