श्याम सखा श्याम के 'कोहरे' पर दो गीत

श्याम सखा श्याम पेशे से चिकित्सक [ छाती रोग]MBBS FCGP होने के साथ-साथ एक बेहद भावुक कवि हृदय के धनि भी हैं. अब तक आपकी १८ पुस्तकें[ ३ उपन्यास-४ कथा संग्रह १गज़ल संग्रह १ दोहा सत्सई आदि प्रकाशित हो चुकी हैं. इसके साथ ही आपकी लगभग १०० कहानिया, लघु कथाएं व इतनी ही गज़ल कविताएं भी प्रकाशित हो चुकी हैं. वर्तमान में आप 'मसि-कागद प्रयास ट्रस्ट' की साहित्य्क त्रैमासिकी का ११ वर्ष से निरन्तर संपादन कर रहे हैं. आज इन्ही की नज़र से कोहरे के दो रूप प्रस्तुत है....
कोहरा

(१)

धुंध है
कोहरा है
ठिठुर-ठिठुर
बदन हुआ दोहरा है

झीलों में दुबके
बैठे हैं हंस
मौसम झेल रहा
मौसम का दंश
हर और ठिठुरन का पहरा है

परिजन घर में हैं
चोर इसी डर में हैं
राहगीर सभी
बटमारों की जद में हैं

टोपी पहन चौकीदार हुआ बहरा है

कोहरा
है झल्ला गया
सब तरफ़ बस
छा गया
जन जीवन हुआ,
पिटा सा मोहरा है

(२)

धुंध है
अंधेरा है
नभ से उतर कोहरे ने
धरा को घेरा है

दुबके पाँखी
गइया गुम-सुम
फूलों से भौंरे
तितली गुम
मौसम ने मौन राग छेड़ा है

ठिठुरे मजूर
अलाव ताप रहे
पशु पंछी भी
थर-थर काँप रहे
धुंध में राह ढूंढ रहा सवेरा है

रेल रुकी
उड़ पाते विमान नहीं
सहमी फ़सलें
खेत जोतें किसान नहीं

सूझे हाथ न तेरा मेरा है

सूरज की
किरने हुईं गाइब
चंदा घर जा
बैठा है साहिब
सब जगह कोहरे का डेरा है
--

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4 Responses to श्याम सखा श्याम के 'कोहरे' पर दो गीत

  1. धुंध में राह ढूंढ रहा सवेरा है
    सब जगह कोहरे का डेरा है

    कोहरे का चित्र खूब आपने उकेरा है,
    शब्‍दों की सीमा में कोहरे को घेरा है।
    सूरज की ताकत भी छिन्‍न-भिन्‍न लगती है
    उसकी भी किरणों पर कोहरे का पहरा है।

    ReplyDelete
  2. परिजन घर में हैं
    चोर इसी डर में हैं
    राहगीर सभी
    बटमारों की जद में हैं

    ठिठुरे मजूर
    अलाव ताप रहे
    पशु पंछी भी
    थर-थर काँप रहे
    धुंध में राह ढूंढ रहा सवेरा है
    aur
    सूरज की
    किरने हुईं गाइब
    चंदा घर जा
    बैठा है साहिब
    सब जगह कोहरे का डेरा है
    .... .... kohre mein sardi ka prabhav kuch jyada hi hota hai .
    .bahut hi sundar jiwant chitran kiya hai aapne...badhai

    ReplyDelete
  3. कोहरे को लेकर अच्‍छी रचना। पर श्‍याम जी थोड़ा सा मोह छोड़ देते तो दोनों रचनाएं और बेहतर बनतीं।

    ReplyDelete
  4. इसीलिए इलाज की सारी दवाएं बे असर रहती हैं .इतना अवश्य है कि चिंतन के स्तर पर इसका विश्लेषण आशा जगाता है .धन्यवाद .

    ReplyDelete

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