आप 'बावरा मन' और 'अर्पित सुमन' के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति की खुशबुओं से सरोबार करती रही हैं...आज उन्ही सुगन्धित पुष्पों से चुनकर कुछ पुष्प आप सुधीपठकों की नज़र है.
याद आता है
वो माँ का लोरी सुनाना
कल्पना के घोड़े पर
परियों के लोक ले जाना
चुपके से दबे पांव
नींद का आ जाना
सपनों की दुनियाँ में
बस खो जाना ...खो जाना...खो जाना..................
याद आता है
वो दोस्तों संग खेलना
झूले पर बैठ कर
हवा से बातें करना
कोमल उन्मुक्त मन में
इच्छाओं की उड़ान भरना
बस उड़ते जाना...उड़ते जाना...उड़ते जाना.............
याद आता है
वो यौवन का अल्हड़पन
सावन की फुहारें
वो महका बसंत
समेट लेना आँचल में
कई रुमानी ख़ाब
झूमना फिज़ाओं संग
बस झूमते जाना...झूमते जाना...झूमते जाना............
याद आता है
वो हर खुशनुमा पल
बस याद आता है..............
याद आता है.............
याद आता है...........!!
***
Behad samvedansheel rachana!Guzare zamane yaad aa gaye!
ReplyDeleteस्मृतियों का सुन्दर चित्रण.. अभिभूत करती कविता..
ReplyDeleteभावनाओ से जुड़े पहलू.. रचना बेहद सुन्दर है …. उम्दा … शुभकामनाएं
ReplyDeletebhavnaaon mein gunthi sundar rachnaaen ! badhai ! suman ji ...
ReplyDeletesach hai ye yaaden kabhee saath naheen chhodteen
ReplyDeletesundar abhivyakti
वो यौवन का अल्हड़पन
ReplyDeleteसावन की फुहारें
वो महका बसंत
समेट लेना आँचल में
कई रुमानी ख़ाब
कोमल भावनाओं की उत्तम अभिव्यक्ति।
bahut sundr rchna anubhooti ki sundr abhi vykti bdhai
ReplyDeletedr.vedvyathit
सुमन मीत जी की रचनाओं की ये विशेषता है कि पाठक को अपनी ही बात लगने लगती है...
ReplyDeleteयादों के महत्व को प्रदर्शित करती ये रचना दिल को छू लेती है.
suman ji, bahut hi sundarta aur bhavnaon se bhar kar likhi rachna ke liye aapko bdhai.......... ye rachna padhte padhte main bhi apni yaadon me kho sa gya tha............. :))
ReplyDeleteguzare waqt ki manzar kashi bahut dilkash andaz me bayana kiya hai
ReplyDeleteguzare waqt ki manzar kashi bahut dilkash andaz me bayana kiya hai
ReplyDeleteBhavnaon se judi hui kalapnatmak abhivyaki....shubhkamanayein!
ReplyDelete