पंकज त्रिवेदी की कविता- सिर्फ तुम.....!!

रचनाकार परिचय
नाम- पंकज त्रिवेदी
जन्म- 11 मार्च 1963
संप्रति- श्री. सी.एच. शाह मैत्रीविद्यापीठ महिला कॉलेज।
साहित्य क्षेत्र-
लेखन- कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, रेखाचित्र, उपन्यास ।
पत्रकारिता- राजस्थान पत्रिका ।
अभिरुचि- पठन, फोटोग्राफी, प्रवास, साहित्यिक-शैक्षिक और सामाजिक कार्य ।
प्रकाशित पुस्तकों की सूची-
1982- संप्राप्तकथा (लघुकथा-संपादन)-गुजराती
1996- भीष्म साहनी श्रेष्ठ वार्ताओं का- हिंदी से गुजराती अनुवाद
1998- अगनपथ (लघुउपन्यास)-हिंदी
1998- आगिया (रेखाचित्र संग्रह)-गुजराती
2002- दस्तख़त (सूक्तियाँ)-गुजराती
2004- माछलीघर मां मानवी (कहानी संग्रह)-गुजराती
2005- झाकळना बूँद (ओस के बूँद) (लघुकथा संपादन)-गुजराती
2007- अगनपथ (हिंदी लघुउपन्यास) हिंदी से गुजराती अनुवाद
2007- सामीप्य (स्वातंत्र्य सेना के लिए आज़ादी की लड़ाई में सूचना देनेवाली नोर्मन मेईलर की मुलाक़ातों पर आधारित संग्रह) तथा मर्मवेध (निबंध संग्रह) - आदि रचनाएँ गुजराती में।
2008- मर्मवेध (निबंध संग्रह)-गुजराती
प्रसारण- आकाशावाणी में 1982 से निरंतर कहानियों का प्रसारण ।
दस्तावेजी फिल्म
१९९४ गुजराती के जानेमाने कविश्री मीनपियासी के जीवन-कवन पर फ़िल्माई गई दस्तावेज़ी फ़िल्म का लेखन और दिग्दर्शन ।
निर्माण- दूरदर्शन केंद्र- राजकोट
प्रसारण- राजकोट, अहमदाबाद और दिल्ली दूरदर्शन से कई बार प्रसारण।
स्तम्भ - लेखन- टाइम्स ऑफ इंडिया (गुजराती), जयहिंद, जनसत्ता, गुजरात टु डे, गुजरातमित्र, फूलछाब (दैनिक)- राजकोटः मर्मवेध (चिंतनात्मक निबंध), गुजरातमित्र (दैनिक)-सूरतः माछलीघर (गुजरात कहानियाँ)
सम्मान - सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन में तत्कालीन विज्ञान-टेक्नोलॉजी मंत्री श्री बच्ची सिंह राऊत के द्वारा सम्मान।
सलाहकार- बाल श्रम उन्मूलन समिति, जिला-सुरेन्द्र नगर,गुजरात
सलाहकार सम्‍पादक- आखर कलश
ब्‍लॉग- विश्‍वगाथा
सिर्फ तुम.....!!

क्या वजूद है
तुम्हारे बिना मेरा यहाँ?
आज सुबह से तुम्हारा मौन
आकुलाता रहा है मुझको
तुम अपने धर्म-कर्म में मस्त हो
न कभी अधिकार जताया हमने
मगर जब भी तुम आती हो
ये सीमेंट की ईमारत भी
घर में बदल जाती है
नाचता है आँगन
तुम्हारे पैरों की थिरकन से
घर के छोटे से मंदिर में से
दिए की लौ मचलने लगती है
रसोई में काम करते तेरे हाथों के
कँगन की आवाज़
मन मोह लेती है...
अकेलेपन की गहराई में डूबा
मैं, अचानक ही
कुछ पढ़ने लगूं या लिखूं कोई कविता
तेरे अहसास पर.....
दौड़कर दिखाऊँ, सुनाऊँ तुम्हें
तुम हो कि स्मित बिखेरती
मेरे इस भोलेपन पर...
मगर
यह सबकुछ तब होता है-
जब तुम होती हो....
सिर्फ तुम.....!!
***
संपर्क-
पंकज त्रिवेदी
गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फ़ीट रोड,
सुरेन्द्र नगर,
गुजरात - 363002
096625-14007
pankajtrivedi102@gmail.com

Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

20 Responses to पंकज त्रिवेदी की कविता- सिर्फ तुम.....!!

  1. पंकज जी का सम्पूर्ण परिचय और उसकी पूरक यह कविता बहुत अच्छे लगे ।

    ReplyDelete
  2. मेरे एक मित्र का गीत था 'कवि हूँ कविता से प्‍यार किया करता हूँ; घड़ता हूँ शब्‍दों की मूरत,भावों की छैनी से श्रंगार किया करता हूँ'। आपने मूरत भी खूब घड़ी और छैनी खूब चलाई, तभी तो यह रूप ले पाई। बधाई।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर कविता -और पूर्ण परिचय..सादर

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  5. प्रेम में सरोबार कविता जैसे यौवना नदी बह रही हो..

    ReplyDelete
  6. Bahut khoob ukera hai aapne apni bhavnao ko Pankaj ji!

    ReplyDelete
  7. पंकज त्रिवेदी और उनकी कविता से मिलवाने के लिए धन्यवाद....
    आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं ....

    मेरे ब्लॉग मेरी रचना स्त्री...

    ReplyDelete
  8. बहुत अच्छे भाव..
    शानदार प्रस्तुति...बधाई.

    ReplyDelete
  9. मन के भावों की बहुत सुंदर प्रस्तुति ..बधाई

    ReplyDelete
  10. सुन्दर रचना के लिए बधाई....नवरात्र की बहुत-बहुत शुभकामनाए...आप इसी प्रकार सार्थक रचना करते रहे...यही कामना है

    ReplyDelete
  11. अति प्रभावशाली कविता...शब्द शब्द भावों को सहेजने में सफल हुए हैं...बधाई।...नवरात्रि की मंगलकामनाएं।

    ReplyDelete
  12. बेहद खूबसूरत रचना पढ्वाने के लिये हार्दिक आभार्।

    ReplyDelete
  13. पंकज जी से परिचय कराने व उनकी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  14. "आखर कलश" के सभी गुनीजन पाठकों ने मेरी कविता "सिर्फ तुम....!!" पर अपनी प्यारभरी प्रतिक्रया दी है और मेरे परिचय से अवगत होने में भी खुशी जताई है | मै आप सब का नाम आँखों से आभारी हूँ | पता नहीं इस कविता ने मेरे अंदर संवेदन की लहर दौडाई थी... शायद आपके प्यार ने भी मुझे इसी तरह उपकृत किया है... धन्यवाद

    ReplyDelete
  15. पंकज जी की एक और अच्छी रचना. बधाई

    ReplyDelete
  16. पंकज जी से परिचय कराने व उनकी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
    खूबसूरत रचना .....हार्दिक आभार्।

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.