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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
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नाम : डॉ. कविता वाचक्नवी जन्म : 6 फरवरी, (अमृतसर) शिक्षा : एम.ए.-- हिंदी (भाषा एवं साहित्य), एम.फिल.--(स्वर्णपदक) पी.एच.डी. प...
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सम्पादक मंडल
- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
सफ़र पे जो निकलते हैं किसे मुश्किल नहीं मिलती
ReplyDeleteमगर जो हार जाते हैं उन्हें मंज़िल नहीं मिलती
motivation geet
like it...
आदरणीय देवमणि पाण्डेय जी
ReplyDeleteनमस्कार !
आपकी रचनाओं का तो मैं हमेशा ही कायल रहा हूं ।
हर बार आपको पढ़ना एक अनुभव से गुज़रना सिद्ध होता है ।
सफ़र पे जो निकलते हैं किसे मुश्किल नहीं मिलती
मगर जो हार जाते हैं उन्हें मंज़िल नहीं मिलती
पूरा दर्शन दृष्टिगत हो रहा है ।
दूसरा गीत भी बहुत शानदार है …
जिसमें झांको उसी आंख में
तैर रहा दुख का बादल
वाह भाई जी ! नमन है आपकी लेखनी को !
~~~~~ ~~~~~ ~~~~~ ~~~~~ ~~~~~ ~~~~~
अच्छे रचनाकार की रचनाओं से रूबरू होने का अवसर प्रदान करने के लिए आखर कलश के तीनों संपादक गण को बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुंदर प्रस्तुति!
ReplyDeleteराष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteshaandaar geet!
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली!
ReplyDeletejeevan k yatharth ko kitni khoobsurti se shabdo me piroya hai
ReplyDeleteपांडेय जी को प्रणाम तथा उनके दो लाजवाब गीत पढवाने के लिए आखर कलश का आभार और धन्यवाद्.
ReplyDeleteएक में जीवन दर्शन दूसरे में करारा कटाक्ष.
ReplyDeleteप्यारे गीत पढ़ाने के लिए आभार.
देवमणि जी के दोनों गीत उन्हीं के जैसे खूबसूरत हैं।
ReplyDeleteदेवमणि पाण्डेय जी के दोनों ही गीत सुन्दर हैं बधाई.
ReplyDelete