कुमार संभव की दो कविताएँ













तुम्हे याद आता हूं !
ना हवा मेरी गली से गुजरती है !
ना कोई रास्ता मेरे घर तक आता है !
ना सुबह किरण द्वार दस्तक देती है !
ना रात को चांद जगमगाता  है !
मैं रो पडता हूं और अश्कों को छुपाता हूं !
इतना तो बता दो क्या तुम्हे याद आता हूं !!
देखो वो पीपल का पेड भी सुख गया है
थोडा-थोडा झुक गया है
जिसकी छांव तले
हम-तुम
तुम-हम
घंटों बातें करते थे
दो चार मुलाकातें करते थे
लेकिन अब सुना है
कि वो कट जाएगा
अपनी जगह से हट जाएगा
ना तुम ना तुमहारी निशानी होगी
कुछ बातें और यादें बेगानी होगी
ये सोच कर सहम जाता हूं
मैं रो .........................
वो तेरा गिनगुनाना याद आता है !
वो तेरा पलकें गिराना याद आता है !
वो तेरा शर्माना और
मुस्कराना याद आता है !
और बहुत कुछ याद आता है !
क्या क्या बताऊं तुझे ?
मैं बहुत परेशान हूं !
खुद से ही अंजान हूं !!
वो गुलाब सम्हाल के रखा है या
तुम कंही उसे भूल ना जाओ
ये सोच के अहम जाता हूं !
मैं रो .............................
***

तिरंगा
मैंने कब मुस्कान भरी
कब लहराया मस्ती में !
मैं तो बुझा-बुझा सा लगता
अपनों की ही बस्ती में !!

मैं फहराया कम जाता हूं
लोगों का चिंतन-मनन बना !
अमर शहीदों की लाशों पर
कपडे का टुकडा कफन बना !!

इस परचम की हस्ती को
अब रोज़ मिटाया जाता है !
काश्मीर में आज तिरंगा
रोज़ जलाया जाता है !!

झंडा ऊंचा रहे हमारा
कोई कितना सम्मान करे !
जलती सरहद पर बेटे
कितने ही कुर्बान करे !!
*********
कुमार सम्भव
कवि/गीतकार
खरगोन

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8 Responses to कुमार संभव की दो कविताएँ

  1. दोनो रचनाये गज़ब की हैं मगर तिरंगा लाजवाब है……………दर्द को उभार दिया है चंद लफ़्ज़ों में ही।

    ReplyDelete
  2. भाई नरेन्द्र व्यास जी, कुमार संभव जी की दोनों कविताएं बहुत सुन्दर हैं,सुन्दर भावाव्यक्ति के साथ साथ जो रिद्म कविताओं में है, वह काबिलेगौर है। बधाई ।

    ReplyDelete
  3. सुंदर रचना ! बहुत भावपूर्ण !

    ReplyDelete
  4. भाई कुमार संभव जी,
    बहुत अछी कवितायें ! वाह !
    दोनो ही कवितायें लाज़वाब !
    बधाई हो !

    ReplyDelete
  5. Excellent Young Kavi Kumar Sambav
    aapki dano kavita aachi legi hai. special " Tiranga" aachi legi.
    aapko Badhai.
    Special Badhai Aakhar Kalash ke Editors.
    Further me bhi aapki kavita ko pdhane ka moka milga.
    Manmohan Vyas
    12 Gawarh ka chowk Bikaner
    9928113855

    ReplyDelete
  6. bahut sundar rachna.........lazwaab....
    wakai mein "tiranga " ....bahut
    umda rachna hai...

    ReplyDelete

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