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प्रभा जी की जर कविता समकालीन कविता का उत्तम उदहारण है.. बिम्ब नए हैं.. शब्दों का प्रयोग अभिनव है.. नयापन है... जैसे जब प्रभा जी कहती हैं "बेहतर नहीं है क्या
ReplyDeleteसमानान्तर
साथ साथ चलना
निर्धारित दूरी की
मर्यादा बाँथे रखना
एक लम्बी राह तक
जो किसी अनन्त पर जाकर
एक हो जाती है.
".. कविता ए़क नया राह दिखाती है.. इस्सी तरह ... "एक सितारे के टूटने से
आकाश का विस्तार
कम नहीं हो जाता
आँसूओं की कुछ बूंदों से
नहीं बढता है
सागर का तल
" में विषय को नए ढंग से कहा गया है... बधाई! आखर कलश कि प्रतिष्ट भी इन कविताओं से बढ़ेगी...
कैनवास पर तूलिका की छटायें
ReplyDeleteऐसी लगी ये कवितायें।
PRABHA JI,
ReplyDeleteAAPKI UPARYUKT KAVITAYEN PRABHAVIT KARTI HAIN .
SHABDON KA UCHIT,UPYUKT EVAM SAHI SANDHARBHON ME SAMUCHIT PRAYOG KIYA HAI AAP NE . SHABDON KA AISA UPYOG AAJ KAL KAM HI DEKHNE KO MILTA HAI .
BHAVABHIVYAKTI BHI SATEEK HAI.
BADHAI !
तांडव भुगतने के बाद भी
ReplyDeleteहर बार
उठ खडी होती हूँ मैं
संकल्प के साथ
संजीवनी के सहारे
नये सपनों को
सजाये हुए.
सभी कविताएं बहुत सुन्दर और सधी हुईं. बधाई.
kai dinon baad kuchh achchhi kavitayen padhne ko milin aapki is patrika mein.
ReplyDeletePrabha Ji,
ReplyDeleteNamaste, bahut hi behtareen kavitayein likhi hain aapne. Sab alag alag vishay hain aur shabdon ka maya jaal ussey aapne badi achchi tarah se sajaya hai.
Surinder Ratti
Prabha ji aapko in saskat rachnaon ke liye bahut bahut badhayi. inke tevar dil par vaar karte huehain. sunder ati sunder
ReplyDeleteनिरन्तर
टूट कर भी
कहाँ टूटते हैं सपने
बस रह जाते हैं
मन के सुदूर कोने में
कुछ वक्त के लिये
मौन
और मुखरित हो जाते हैं
अवसर पाते ही.
एक सितारे के टूटने से
आकाश का विस्तार
कम नहीं हो जाता
आँसूओं की कुछ बूंदों से
नहीं बढता है
Pratibhaji
ReplyDeleteinsashakt rachaon ke nirale tevar sene ke us paar chedte hue gaye. bahut sunder abhivyakti ke liye daad
निरन्तर
टूट कर भी
कहाँ टूटते हैं सपने
बस रह जाते हैं
मन के सुदूर कोने में
कुछ वक्त के लिये
मौन
और मुखरित हो जाते हैं
अवसर पाते ही.
एक सितारे के टूटने से
आकाश का विस्तार
कम नहीं हो जाता
आँसूओं की कुछ बूंदों से
नहीं बढता है
ek shabd..........behtareen!!
ReplyDeleteमजूमदार जी के कृतित्व से परिचय कराने का शुक्रिया।
ReplyDelete--------
भविष्य बताने वाली घोड़ी।
खेतों में लहराएँगी ब्लॉग की फसलें।
Prabhaji ki kavitao me nayapan hai aur bahut hi sundar aur satik baat kahane ki kshamata hai... itana anubhav jo hai, likhegi hi... meri or se shubhkamanaye...
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