लावण्या शाह सुप्रसिद्ध कवि स्व० श्री नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री हैं और वर्तमान में अमेरिका में रह कर अपने पिता से प्राप्त काव्य-परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं।समाजशा्स्त्र और मनोविज्ञान में बी.ए.(आनर्स) की उपाधि प्राप्त लावण्या जी प्रसिद्ध पौराणिक धारावाहिक "महाभारत" के लिये कुछ दोहे भी लिख चुकी हैं। इनकी कुछ रचनायें और स्व० नरेन्द्र शर्मा और स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर से जुड़े संस्मरण रेडियो से भी प्रसारित हो चुके हैं। इनकी एक पुस्तक "फिर गा उठा प्रवासी"प्रकाशित हो चुकी है जो इन्होंने अपने पिता जी की प्रसिद्ध कृति"प्रवासी के गीत" को श्रद्धांजलि देते हुये लिखी है।
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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
प्रवर्ग
"विविध रचनाएँ
(1)
अनुवाद
(3)
अमित पुरोहित की लघुकथा
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अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य
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आचार्य संजीव वर्मा ’सलिल’- वासंती दोहा गजल
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कथांचल
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कविताएँ
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क्षणिकाएं
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टी. महादेव राव की गजलें
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(1)
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देवी नागरानी की गजलें
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लघु कथाएँ
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(3)
विविध रचनाएँ
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व्यंग्य
(4)
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(1)
संकलन
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सुनील गज्जाणी की कविताएँ
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नामः- श्रीमती साधना राय पिताः- स्वर्गीय श्री हरि गोविन्द राय (अध्यापक) माता:- श्रीमती प्रभा राय...
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नाम : डॉ. कविता वाचक्नवी जन्म : 6 फरवरी, (अमृतसर) शिक्षा : एम.ए.-- हिंदी (भाषा एवं साहित्य), एम.फिल.--(स्वर्णपदक) पी.एच.डी. प...
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रोज गढती हूं एक ख्वाब सहेजती हूं उसे श्रम से क्लांत हथेलियों के बीच आपके दिए अपमान के नश्तर अपने सीने में झेलती हूं सह जा...
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(1) जब कुरेदोगे उसे तुम, फिर हरा हो जाएगा ज़ख्म अपनों का दिया,मुमकिन नहीं भर पायेगा वक्त को पहचान कर जो शख्स चलता है नहीं वक्त ...
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समीक्षा दिनेश कुमार माली जाने माने प्रकाशक " राज पाल एंड संज "द्वारा प्रकाशित पुस्तक " रेप तथा अन्य कहानियाँ "...
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आपके समक्ष लगनशील और युवा लेखिका एकता नाहर की कुछ रचनाएँ प्रस्तुत हैं. इनकी खूबी है कि आप तकनीकी क्षेत्र में अध्ययनरत होने के उपरांत भी हिं...
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संक्षिप्त परिचय नाम : दीपा जोशी जन्मतिथि : 7 जुलाई 1970 स्थान : नई दिल्ली शिक्षा : कला व शिक्षा स्नातक, क्रियेटिव राइटिंग में डिप्लोमा ...
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लेखा-जोखा
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2010
(216)
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June
(13)
- माधव नागदा की कविता - बचा रहे आपस का प्रेम
- कैलाश चंद चौहान की दो लघुकथाएँ
- बुलाकी दास 'बावरा' के तीन गीत
- कुमार संभव की दो कविताएँ
- जया शर्मा 'जयाकेतकी' की कविता - पिता
- डॉ. प्रभा मुजुमदार की कविताएँ
- चैन सिंह शेखावत की रचनाएं
- लावण्या शाह की कविता - तुलसी के बिरवे
- ओम पुरोहित ‘कागद’ की कविताएँ
- शमशाद इलाही अंसारी "शम्स" की कविताएँ
- मालचंद तिवाड़ी की कविताएँ
- अज़ीज़ आज़ाद की पाँच ग़ज़लें
- पुरुषोत्तम अब्बी ‘आजर’ की पाँच ग़ज़लें
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मेरी पसन्द
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हां, आज ही, जरूर आयें - विजय नरेश की स्मृति में आज कहानी पाठ कैफी आजमी सभागार में शाम 5.30 बजे जुटेंगे शहर के बुद्धिजीवी, लेखक और कलाकार विजय नरेश की स्मृति में कैफ़ी आज़मी ...
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डेढ़ दिन की दिल्ली में तीन मुलाकातें - *दिल्ली जिनसे आबाद है :* कहने को दिल्ली में दस दिन रहा, पर दस मित्रों से भी मुलाकात नहीं हो सकी। शिक्षा के सरोकार संगोष्ठी में भी तमाम मित्र आए थे, पर...
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‘खबर’ से ‘बयानबाज़ी’ में बदलती पत्रकारिता - मीडिया और खासतौर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया से ‘खबर’ गायब हो गयी है और इसका स्थान ‘बयानबाज़ी’ ने ले लिया है और वह भी ज्यादातर बेफ़िजूल की बयानबाज़ी. नेता,अभिनेता...
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दीवाली - *दीवाली * एक गंठड़ी मिली मिट्टी से भरी फटे -पुराने कपड़ो की कमरे की पंछेती पर पड़ी ! यादे उभरने लगी खादी का कुर्ता , बाबूजी का पर्याय बेलबूटे की साडी साडी ...
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नए घरोंदों की नीव में- दो बिम्ब - *नतमस्तक हूं* ======== मैने नहीं चखा जेठ की दुपहरी में निराई करते उस व्यक्ति के माथे से रिसते पसीने को, मैं नहीं जानता पौष की खून जमा देने वाली बर...
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थार में प्यास - जब लोग गा रहे थे पानी के गीत हम सपनों में देखते थे प्यास भर पानी। समुद्र था भी रेत का इतराया पानी देखता था चेहरों का या फिर चेहरों के पीछे छुपे पौरूष का ही ...
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सम्पादक मंडल

- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
लावण्या दीदी की तारीफ करने की हिम्मत मैंने कभी नहीं की है...आज भी नहीं करुँगी....
ReplyDeleteउनके उदगार उनकी क्षमता के स्वयं साक्षी हैं...
आभार...
नैवेद्य जल से अभिसिंचित, तुलसी के चौबारे पर रखा दिया, भक्ति भाव से ज्योतिर्मान, सतत शुभाकांक्षी, वह सब आपके अंतस का उजागर रूप है.
ReplyDeleteसात्विकता का मानवीयकरण है.
ममत्व की ऊर्जामय शक्ति, चित्त में चिन्मय की भक्ति कर्त्तव्य कर्म यह सब ही तो कृष्ण के उपदिष्ट विषय है.
शुभ विचारों का सृजन और लव लीनता जन्म का शुभ लक्षण है.
आपकी इस कृति को नमन है
डॉ.मृदुल कीर्ति
हिन्दी काव्य मैनें उतना ही पढ़ा जितना 60 के दशक में उच्चतर माध्यमिक शालाओं में पढ़ाया जाता था। अब जब कभी अच्छी कविता पढ़ने को मिलती है तो आनंद मिलता है। आज भी मिला। कविता में प्रयुक्त शब्दों से ही ये शब्द जिन्दा हैं।
ReplyDeleteLavanya jee kee kavitaaon ko padhna sadaa hee
ReplyDeletesukhad lagtaa hai.Unke shabdon mein sangeet
bastaa hai.
Aisi rachnakaron ki rachna pe kuchh bhi kahne ki qabiliyat nahi rakhti!
ReplyDeleteAise diggaj rachnakaron ki rachna pe mere jaisi adna-si wyakti kya kahe?
ReplyDeleteप्यार से चूमता माथा , हथेली , बारम्बार वो मैं हूँ
ReplyDeleteरसोई घर दुवारी पास पडौस नाते रिश्तों का पुलिन्दा
जो बांधती , पोसती प्रतिदिन वह , बस मैं एक माँ हूँ !
lavanya ji ko padna aur guftaar karna sach mein sukhad raha hai.. atmeeyata unki rachanon ki neev hai jo unhein varse mein mili hai aur karya kshamta, kya kahiye. Hum aur aap donon sakshi hai. Lavanya aapki kalam ka zor aur aage..aur aage...
tulsi ke birve si sarthak maa ,or utani hi sarthak hai aapki rachna ......badhai
ReplyDeletelavanya sahiba ko aadab mukhtalif tahazib me apni tahzib ko zinda rakhe hove ho is ke liye mubarak bad aapki kavitao me os ki khushbu mahsus ki jasakti h
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत आभार व मंगल कामना सह:
ReplyDelete- लावण्या