डॉ. इला प्रसाद की लघुकथा - प्रतिद्वन्द्वी

रचनाकार परिचय 

नाम: इला प्रसाद
जन्म: २१ जून को झारखंड की राजधानी राँची में।
शिक्षा: पी एच डी( भौतिकी)
लेखन : कविता, कहानी, संस्मरण , लेख आदि साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन के अतिरिक्त विज्ञान सम्बन्धी लेखों का हिन्दी में अनुवाद और स्वतंत्र लेखन भी। भारत एवं अन्य देशों की  पत्र-पत्रिकाओं में लगभग नियमित लेखन।  उत्तरी अमेरिका के प्रवासी रचनाकारों के विभिन्न संकलनों में रचनाएँ संकलित। कुछ समय कनाडा की पत्रिका "हिन्दी चेतना " के सम्पादक मंडल में। हिन्दी चेतना के बुल्के विशेषांक के सम्पादन में प्रमुख भूमिका। अमेरिका की पत्रिका "हिन्दी जगत" के सम्पादक मंडल में।
प्रकाशित कृतियाँ :   "धूप का टुकड़ा " (कविता संग्रहएवं "इस कहानी का अंत नहीं" ( कहानी- संग्रह) एक कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन।
रुचियाँ:   योग, रेकी, बागवानी, पर्यटन एवं पुस्तकें पढ़ना।
व्यवसाय : अध्यापन।
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वह उसे देखता और चिढ़ जाता!
वह भी उसे देखती और परेशान हो जाती।
वे दोनों आते-जाते कारीडोर में मिलते और एक-दूसरे से कतरा कर निकल जाते।
उसे समझ नहीं आता था कि वह हर बार उसे इस स्कूल में कैसे मिल जाता है, वह तो हर रोज यहाँ आती नहीं!
उसे यह भी ठीक से पता था कि वह उसे बिल्कुल पसन्द नहीं करता। एक बार सामने से आ रहे उसके बैज पर उसने उसका नाम पढ़ने की कोशिश की थी, तो उसने खट से भांप लिया और अपना बैज उलट दिया। लेकिन वह उस पर नजर रखता था। वह अक्सर ही उसे काउन्टर पर अपने पीछे खड़ा पाती, जब वह अपने पेपर जमा कर रही होती, कुछ पूछ रही होती। तब उसे भी बेहद चिढ़ होती थी उससे।
फ़िर कुछ महीनों बाद एक दिन वे असिस्टेंट प्रिन्सिपल के आफ़िस में मिल गए। मिस्टर लोगान ने परिचय कराया
- "रूबी सिंह , इनसे मिलिए , ये हैं चार्ल्स पेरेज। अगले सेशन में पूर्णकालिक नौकरी के लिए साक्षात्कार देंगे। समाज विज्ञान से हैं। ' फ़िर वे चार्ल्स से मुखातिब हुए "चार्ल्स , ये रूबी सिंह हैं। विज्ञान विषय में पूर्णकालिक नौकरी की उम्मीदवार।" वे एक दूसरे को देखकर मुसकराए। अब दुश्मनी की कोई वजह नहीं थी। वे प्रतिद्वन्द्वी नहीं थे। 
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सम्पर्क  :

ILA PRASAD
12934, MEADOW RUN
HOUSTON, TX-77066
USA

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8 Responses to डॉ. इला प्रसाद की लघुकथा - प्रतिद्वन्द्वी

  1. अच्छी लगी लघुकथा।
    एक खूबसूरत रिश्‍ता इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि कितनी खूबी के साथ हम किसी को समझते हैं। बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि किस खूबी के साथ हम गलतफहमी को दूर करते हैं ।

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  2. अच्छी लधुकथा।
    कथानक,भाषा,शैली और शिल्प के स्तर पर भी सराहनीय। बधाई!
    www.omkagad.blogspot.com

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  3. बहुत सुन्दर कथा है ... गलतफहमियां अक्सर परेशानियों के कारण बनते हैं ...

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  4. acchhi lagi yah kahaani aapki mujhe....ranchi se aapke ghar ke paas se rajiv thepra...urf bhootnath

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  5. ILA PRASAD KEE SASHAKT LAGHU KATHAA NE APNAA
    PRABHAAV CHHODAA HAI.BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.

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  6. Pratidwandi samaaj me shankaalu maansiktaa ko shabdon me baandhati ek sshakt laghukathaa. Badhaai.
    Shashi Padha

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  7. "...अब दुश्मनी की कोई वजह नहीं थी। वे प्रतिद्वन्द्वी नहीं थे। " bahut sunder laghu katha... sasakth ewam saarthak.. kam shabodm me gambhir vishay ko chhua hai

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  8. Sunder abhivyakti jsimein sandesh aur zeevan ke rishton ki mahavata jhalkti hai

    ReplyDelete

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