सुदर्शन ‘प्रियदर्शिनी’ की कविताएँ
















अंधेरों के नाम

यह रात का
बचा खुचा अंधेरा
है या मेरे मन
का घटाटोप 
जो खिङकी की
चौखट पर
जम कर बैठा
अन्दर झांक
रहा है  

खिङकी की
सलवटों के
बाहर बिछी
हैं न जाने
कितनी
अनकही
अनब्याही
अनाहूत
विवशतांए
और आकांशायें
जिन पर
बिखर रहे हैं
गहरी पावस से
शिथिलित
अपने जनों के
आंसू   

आंसू
पत्धर
बन कर
चिपक गये हैं
दरीचों के
बीचो बीच
दीमक से
चाटते रहे हैं
घर की
हर दीवार
और चौखट
खिङकी खोल भी
क्या होगा        
***
आवाज दो

आज तुम
इस शाम
मुझे
इस अंधियारे
में उसी नाम
से पुकारो
जिस नाम से
पहली बार
तुम ने
बुलाया था
ताकि मैं
वही पुरानी
हूक में
डूब कर
सारा मालिन्य
धो कर
तुम्हारी आवाज पर
फिर से
लौट पाउं
*******
लघु कवितायें

दीमक

आशाओं
और अपेक्षाओं
के रथ पर
सवार
रहते हैं हम
नही जानते
किसी ने
पहियों को
दीमक चटा
रखी है
***
दंभ

चटपट
खतम हो जाता है
सौहार्द
आत्मीयता
और अपनापन
जब निकल
आता है
दांत निपोरे
असली स्वार्थ
स्‍वेच्‍छा और
दंभ
******* 
रचनाकार परिचय
नाम: सुर्दशन प्रियदर्शिनी
जन्म: १९४२ लाहौर अविभाजित भारत
शिक्षा: पी.एच.डी. (हिन्दी) अनेक वर्षों तक भारत में शिक्षणकार्य किया।
आप अमरीका में १९८२ में आईं तब से लेखन लगभग बंद रहा। विगत दो-तीन सालों से भारत की पत्रिकायों में छपने लगी हैं। आपने अमरीका में रह कर भारतीय संस्कृति पर आधारित लगभग दस साल तक पत्रिका निकाली, टी वी प्रोग्राम एंव रडियो प्रसारण भी किया। वर्तमान में आप केवल स्वतंत्र लेखन कर रहीं हैं।
पुरस्कार
महादेवी पुरस्कार  हिन्दी परिषद टोरंटो  कनाडा
महानता पुरस्कार   फेडरेशन ऑफ इंडिया ओहायो
गर्वनस मीडिया पुरस्कार  ओहायो यू.एस.ए.
प्रकाशित रचनायें (उपन्यास)
रेत के घर (भावना प्रकाशन)
जलाक (आधारशिला प्रकाशन)
सूरज नही उगेगा (बिशन चंद एंड सन्‍स)
कविता संग्रह
शिखंडी युग (अर्चना प्रकाशन)
बराह (वाणी प्रकाशन)
पता:
सुदर्शन प्रियदर्शिनी
२४६ स्ट्रेटर्फड डराइव
बराडवियू हाईटस, ओहायो

Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

6 Responses to सुदर्शन ‘प्रियदर्शिनी’ की कविताएँ

  1. SUDARSHAN PRIYDARSHNI KO UNKEE ACHCHHEE
    KAVITAAON KE LIYE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.

    ReplyDelete
  2. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

    ReplyDelete
  3. बहुत ही बेहतरीन रचनाएँ हैं ! खास तौर पर 'आवाज दो',बहुत गहराई है रचना में!

    ReplyDelete
  4. sabhi rachnayein bahut hi shandar.........ek se badhkar ek hain.

    ReplyDelete
  5. बहुत अच्छी कविता के लिएँ धन्यवाद |
    - पंकज त्रिवेदी

    ReplyDelete
  6. saaree kavitayen behad achchhee lagee ..kam lafzon me gahree soch ..bahut khoob..!

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.