विमला भण्‍डारी की कविता - कहां खो गए




 
     मातृ-दिवस पर विशेष







कहां खो गये

जागे थे भाग कभी
बजे ढोल, बंटे बताशे भी
लोरी और पालने के स्वर भी वहीं
फिर आज न जाने वे नन्दलाल कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

नहला धुलाकर
साफ-सुथरे कपडे पहना
लगा दिये थे तूने काजल के टीके
फिर आज न जाने वो झूलेलाल कहां खो गये ?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

कई दौरो में
ऐसा भी इक दौर आया
तब मां मैंने तुझे खूब नचाया था
फिर आज न जाने सारे चुम्बन कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

पुरवाई चली जोरसे
या बिजली ने ली अंगडाई
दुबके सिमटे ये उत्पाती पतंगे
फिर आज न जाने किस छोर में कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।
टिफन और तरकारी
के ताने बाने बुना करती थी
भोर सवेरे में
फिर आज न जाने वो सितारे कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

सुनो विशाखा की मां
आओ तो दिलावर की अम्मा
सम्बोधन के तार
फिर आज न जाने ढीले कहां से हो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

पल्लू में लिपटे
पल्लू छूटे तो दुख सताये
तुझे बिन बताये
फिर आज न जाने वे छैने कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

डांटकर तो कभी
पुचकार कर तूने सिखाये थे
चाहत के सबक
फिर आज न जाने वे सबब कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

झरबेरी हो चाहे
खट्टी-मीठी, तेरी नयनों का मधु
बरसा था दिनरैन
फिर आज न जाने तेरे दीवाने कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।
तूने जनी संताने
गूंजे भी थे तेरे घरोंदे
खामोश सदा के लिए
फिर आज न जाने ये वीराने क्यों ह गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

आंचल को फैलाये
तूने तो ढक दिये थे
सबको गिन गिनकर
फिर आज न जाने सभी शावक कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।

ना कोस किस्मत को
ना दे कर्मो की दुहाई
जमाने की द्रुत गति में
फिर आज न जाने हम सब कहां खो गये?
मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।
******* 
रचनाकार परिचय 
नाम : श्रीमती विमला भंडारी
जन्म : १ फरवरी १९५५; राजनगर, जिला राजसमंद (राज)
शिक्षा : बी.एस सी. ; बी.जे.एम.सी. ; एम.ए.(हिन्दी साहित्य)
संप्रति :  लेखिका एवं पत्रकार
सृजन भाषा : राजस्थानी / हिन्दी
सृजन विधाएँ : इतिहास, कहानी, कविता, नाटक, फीचर, लेख, बाल उपन्यास, बाल कहानी
प्रकाशित पुस्तकें : १९९६, २००८ - प्रेरणादायक बाल कहानियां (बाल कहानी संग्रह)
१९९९
- इल्ली और नानी, दो भाग  (बाल उपन्यास)
२००० - जंगल उत्सव (बाल कहानी संग्रह)
२००१ - बालोपयोगी कहानियाँ (बाल कहानी संग्रह)
२००२ - औरत का सच (कहानी संग्रह)
२००५ - आभा (राजस्थानी उपन्यास)
२००८ - बगिया के फूल (बालकहानी संग्रह)
२००८ - करो मदद अपनी (बालकहानी संग्रह)
२००८ - थोड़ी सी जगह (कहानी संग्रह)
२००८ - मजेदार बात (बालकहानी संग्रह)
२००८ - सत री सैनाणी (राजस्थानी नाटक)
(इतिहास)
१९९९ - सलूम्बर का इतिहास (मेवाड़ का प्रमुख ठिकाना)
(अन्य पुस्तकों में)
१९९६ - राजस्थान के ठिकानों एवं घरानों की पुरालेखीय सामग्री (शोधपत्र)
२००० - देशी रियासतों में स्वतंत्रता आंदोलन (शोधपत्र)
२००५ - युग युगीन मेवाड़ (शोधपत्र) २००५
२००७ - मेवा रियासत एवं जनजातियाँ (शोधपत्र) २००७
(अन्य पत्रिकाओं में)
२००० - मज्झमिकादेशी रियासतो में स्वतंत्रता आंदोलन(राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात); सं. डॉ. मनोहरसिंह राणावत
२००१-२००२ - MAHARANA PRATAP, Journal of Rajput history and culture,ChandigarhVol. 2nd
२००३ - मज्झमिका, मालवा और राजसथान के दक्षिणी अंचल में स्वतंत्रता संग्राम, सं. डॉ. मनोहरसिंह राणावत
२००३-२००४
- MAHARANA PRATAP, Journal of Rajput history and culture ,Chandigarh)Vol. 4th
शोध पत्रिका इंस्टिटृयूट ऑफ राजस्थान स्टडीज जनारदनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ,वर्ष ५५ अंक ३-४, पूर्णांक २२०-२२१
शोधपत्र वाचन : १९९५ - प्रताप शोध प्रतिष्ठान, उदयपुर के सेमीनार में पत्रवाचन
१९९५ - प्रताप शोध प्रतिष्ठान के राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस के १७वें अधिवेशन में पत्रवाचन
१९९८ - मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रादेशिक सेमीनार में पत्रवाचन
२००२ - जवाहर विद्यापीठ, कानो के नेशनल सेमीनार में पत्रवाचन
२००२ - इंस्टिटृयूट ऑफ राजस्थान स्टडीज, राजस्थान विद्यापीठ, व प.सा.केन्द्र उदयपुर में पत्रवाचन
२००२ - प्रतापशोध प्रतिष्ठान एवं राजस्थान विद्यापीठ में पत्रवाचन
२००२ - जवाहर विद्यापीठ में पत्रवाचन
२००३ - नट नागर शोध संस्थान सीतामऊ, मध्यप्रदेश में पत्रवाचन
२००३ - जवाहर विद्यापीठ में पत्रवाचन
२००५ - प्रतापशोध प्रतिष्ठान एवं आई.सी.एच.आर, नई दिल्ली के तत्वावधान में पत्रवाचन
२००६ - प्रतापशोध प्रतिष्ठान संभाग स्तरीय गोष्ठी में पत्रवाचन
२००६ - माणिक्यलाल वर्मा,राजस्थान विद्यापीठ, राजस्थानी भाषा सा.सं. अकादमी ज्ञानगोठ में
२००७ - प्रतापशोध प्रतिष्ठान संभाग स्तरीय गोष्ठी में पत्रवाचन
प्रौशिक्षा २००२-०७ राज्य संदर्भ केन्द्र, मेवाड़ी बोली में साहित्य सृजन
अन्य प्रकाशन :  राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में लगभग ३५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन
विभिन्न पुस्तकों में प्रकाशन
प्रसारण : जयपुर दूरदर्शन से साक्षात्कार, व जयपुर, उदयपुर एवं चितौड़गढ़ आकाशवाणी केन्द्र से नाटक, कहानी, वार्ता का प्रसारण,हिन्दी व राजस्थानी)
पुरस्कार : २००१-०२ राष्ट्रीय बाल शिक्षा एवं बाल कल्याण परिषद, लाडनूं का श्यामादेवी कहानी**पुरस्कार
१९९४-९५ राजस्थान साहित्य अकादमी का शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार
स्कूल / कॉलेज के साहित्कि, सांस्कृतिक तथा सामाजिक गतिविधियों के कई प्रमाण पत्र
सम्मान : १९९५-२००८ युगधारा सृजन धर्मिता सम्मान
२००० राष्ट्रकवि पं. सोहनलाल द्विवेदी बाल साहित्य में विशेष सम्मान
२००३ हिन्दी दिवस पर राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशेष सम्मान
१९९५-२००३ गणतंत्र दिवस पर सलूंबर नगर द्वारा विशेष सम्मान
२००७ हाड़ा रानी गौरव संस्थान, सलूम्बर द्वारा विशेष सम्मान
सम्मान मिले रोशनलाल पब्लिक स्कूल द्वारा, नगर पालिका कानोड द्वारा, नेहरू युवा संगठन् ईंटाली खेड़ा द्वारा
सम्बद्धता : संस्थापिका - सलिला (साहित्यक संस्था, सलूम्बर)
पूर्वउपप्रधान - स्काऊट एवं गाईड, उदयपुर मंडल
पार्षद - नगरपालिका, सलूम्बर वर्ष १९९०-१९९५, २०००-२००५
सम्भागिता
प्रशिक्षण, ब्रिटिश काउंसिल डिवीजन, नई दिल्ली
प्रशिक्षण, हरिशचुद्र माथुर राजस्थान लोक प्रशासन संस्थान, उदयपुर
अनुभव मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विषय की गेस्ट लेक्चरार
संयोजन अनेक साहित्यकार सम्मेलनों का आयोजन एवं सहभागिता (राज्य व अंर्तराज्य)
सम्पर्क : vimlaj_bhandari@rediffmail.com

Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

5 Responses to विमला भण्‍डारी की कविता - कहां खो गए

  1. बहुत ही सुन्दर कविता है,मातृ दिवस की शुभकामना!

    ReplyDelete
  2. बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! मात्री दिवस पर उम्दा प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  3. "तूने जनी संताने
    गूंजे भी थे तेरे घरोंदे
    खामोश सदा के लिए
    फिर आज न जाने ये वीराने क्यों ह गये?
    मां आज तू नितान्त अकेली हो गई।"---marmik !

    ReplyDelete
  4. भरपूर अभिव्यक्त हुईँ विमला जी!
    माँ ही जाने माँ की पीड़ा!बांटती प्यार जुटाती पीड़ा!
    बहुत अच्छी कविता। बधाई!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर... मां की स्मृति को पुनर्जीवित करती हुई..

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.