डॉ. राजेश व्‍यास की कविताएँ


रचनाकार परिचय 
चरैवेति...चरैवेति। जीवन का नाम ही चलना है। ...मंजिल को नहीं, अपने आप को तलाशने मुम्बई, दिल्ली और बीकानेर के   बाद अब जयपुर में कार्य। हिन्दी एवं राजस्थानी मे निरंतर लेखन। केन्द्रीय विधा कविता, आलोचना। केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2001-02 में लेखक यात्रा फैलोशिप। अब तक कविता, यात्रा, कला आलोचना की 16 पुस्तकें प्रकाशित। प्रतिष्ठित राहुल सांकृत्यायनपुरस्कार,जनसम्पर्क पत्रकारिता के लिए विशिष्ट माणक अलंकरणराजस्थान युवा छात्र संस्था की ओर से "कला लेखन" सम्मान प्रदत्त। संप्रति राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र समूह के डेली न्यूजदैनिक में प्रति शुक्रवार सम्पादकीय पृष्‍ठ पर प्रकाशित होने वाला कला समीक्षा विषयककला तटकॉलम लेखन। दैनिक नवज्योति में लगातार 5 वर्ष तक कला समीक्षा विषयक कला दीर्घाकॉलम, राजस्थान पत्रिका में सरगमकॉलम का लगातार तीन वर्ष तक लेखन। दूरदर्शन केन्द्र दिल्ली एवं जयपुर के लिए कोई डेढ़ दर्जन से अधिक वृत्तचित्रों का लेखन। दूरदर्शन द्वारा निर्मित यात्रा वृतान्त वृत्तचित्र धारावाहिक डेजर्ट कॉलिंग’ (20 कड़ियों का धारावाहिक) पहले जयपुर दूरदर्शन से प्रसारित और अब राष्ट्रीय चैनल से प्रसारित हो रहा है।
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शब्दों के घाव

चुन-चुन कर
फेंक दिए हमने
सभी अक्षर
अंधे कुओं में।
भाषा के चेहरे पर
इसी से लगे हैं
शब्दों के घाव।

शब्द-एक

शब्दों की नहीं होती
कोई अंतिम यात्रा
अलिखित और मौन में भी
शास्वत है                       
चरैवेति, चरैवेति।

शब्द-दो

नाप लेते हैं
शब्द
अरबों-खरबों
मिलों की दूरियां
पाट देते हैं
मन की
गहरी खुदी खाइयां।
औचक
भौचक करते
सप्रयास न बन सकने वाला
बना देते हैं
जब वे कोई वाक्यांश
अहसास कराने लगते हैं वे
बूझ ली हो जैसे उन्होंने
मन के भीतर की
अनसूलझी
हजारों-हजार पहेलियां।
शब्द सेतु है
जीवन का।
******* 
- डॉ. राजेश व्‍यास 

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5 Responses to डॉ. राजेश व्‍यास की कविताएँ

  1. बहुत ही सुन्दर कविताएँ!

    ReplyDelete
  2. कविने सही कहा है ...
    शब्द सेतु है
    जीवन का।
    बहुत सुन्दर !

    ReplyDelete
  3. एक शब्द --- जबरदस्त !!!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर कविताएँ हैं राजेश जी
    बधाइयाँ

    ReplyDelete
  5. ACHCHHEE KAVITAAON KE LIYE MEREE BADHAAEE AUR
    SHUBH KAMNA.

    ReplyDelete

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