डॉ.कविता ‘किरण’ की पांच ग़ज़लें

रचनाकार परिचय

नामः डॉ.कविता किरण
शिक्षाः एम.कॉम., डी.लिट् की मानद उपाधि
लेखनः गीत, गजल, बालगीत, कविता और कहानियाँ
भाषाः हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी
प्रकाशित पुस्तकें
दर्द का सफर (गजल संग्रह) पुरस्कृत, तुम कहते हो तो (कविता संग्रह)चुपके-चुपके (क्षणिकाएं), बखत री बातां (राजस्थानी गजल संग्रह), बोली रा बाण (राजस्थानी गजल), मुखर मून (राजस्थानी काव्य संग्रह), तुम्हीं कुछ कहो ना! (गजल संग्रहं), ये तो केवल प्यार है (गीत संग्रह)
प्रकाशन की प्रतीक्षा में
नीली आँखे (कहानी संग्रह), मै अच्छा इन्सान बनूंगा (बालगीत), तूफानों में जलते दीपक (बालगीत संग्रह), सूळी ऊपर सेज (राजस्थानी दोहे), पैली-पैली प्रीत (राजस्थानी गीत)
कार्यक्षेत्र       
देश-भर में होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में कवयित्री के रूप में स्‍थापित।
आकाशवाणी जोधपुर, उदयपुर, जयपुर, तथा दिल्ली से प्रसारित।
दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारण, डीडी-१, सब टीवी, ईटीसी, लाइव इंडिया चैनल व जयपुर दूरदर्शन से काव्य पाठ प्रसारित।
अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
सम्मान और पुरस्कार
सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री पवन चामलिंग द्वारा सम्मानित
टेपा सम्मान (उज्जैन), काव्य रत्न सम्मान (पानीपत), रोटरी क्लब, गेंगटोक से सम्मानित, हिन्दी अकादमी, (दिल्ली), राजस्थानी भाषा सेवा-सम्मान (बीकानेर), कर्णधार सम्मान (राजस्थान पत्रिका, जयपुर), राजस्थानी महिला साहित्यकार सम्मान, (नगर श्री चुरू), हिन्दी साहित्य संगम पुरस्कार, बोकारो सहित अनेको सस्थाओं से सम्मानित।               
उपलब्धियां
आओ प्यार करेंगुण्डागर्दीफिल्मों में गीत
भारत-नेपाल मैत्री संघ की ओर से नेपाल में सम्मानित
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले से काव्य पाठ
लोकगीत गायन के अनेकों ऑडियो केसेट प्रसारित
हुडदंग-२००९,इलाहाबाद मेंसर्वविधा सर्वश्रेष्ठ कवयित्रीअवार्ड
साहित्य शिरोमणि अवार्डअहमदाबाद
*****************************************************
१.
दिल पे कोई नशा न तारी हो
रूह तक होश में हमारी हो

कुछ फकीरों के संग यारी हो
जेब में कायनात सारी हो

हैं सभी हुस्न की इबादत में
इश्क का भी कोई पुजारी हो

चोट देकर लगाये मरहम भी
इस कदर नर्म दिल शिकारी हो

वक्त को जीत ही नहीं सकता
चाहे कितना बडा जुआरी हो

चाहती हूं मेरे खुदा मुझ पर
बस तेरे नाम की खुमारी हो

मौत आए तो बेझिझक चल दें
इतनी  पुख्ता किरणतयारी हो
2.

चैन हासिल कहीं नहीं होता
आपको क्यों यकीं नहीं होता

नहीं होता खुदा खुदा जब तक
आदमी आदमी नहीं होता

आप हैं सामने हमारे और
हमको फिर भी यकीं नहीं होता

उम्र-भर साथ-साथ चलने से
हमसफर हमनशीं नहीं होता

नाप ले दूरियां भले आदम
आस्मां ये जमीं नहीं होता

जो न मिलतीकिरणतेरी बाहें
मौत का पल हसीं नहीं होता
3.

है समंदर को सफीना कर लिया
हमने यूं आसान जीना कर लिया

अब नहीं है दूर मंजिल सोचकर
साफ माथे का पसीना कर लिया

जीस्त के तपते झुलसते जेठ को
रो के सावन का महीना कर लिया

आपने अपना बनाकर हमसफर
एक कंकर को नगीना कर  लिया

हंस के नादानों के पत्थर खा लिये
घर को ही मक्का मदीना कर लिया
4.
आंख मेरी फिर सजल होने को है
लग रहा है इक गजल होने को है

फिर नजर मेरी तरल होने को है
फिर मेरा दुश्मन सफल होने को है

आज फिर गम की पहल होने को है
दर्द का दिल में दखल होने को है

उम् पूरी आजकल होने को है
मौत का वादा अमल होने को है

नींद में सबकी खलल होने को है
इक कली खिलकर कमल होन का है

आज अल्लाह का फजल होने को है
आज हर मुश्किल सरल होने को है

5.
मोम के जिस्म जब पिघलते हैं
तो पतंगो के दिल भी जलते हैं

जिनको खुद पर नहीं भरोसा है
भीड के साथ-साथ चलते हैं

दिन में तारों को किसने देखा है
चोर रातों में ही निकलते हैं

कैसे पहचान लेंगे चेहरे से
लोग गिरगिट है रंग बदलते हैं

सख्तियां मुजरिमों पे होती है
तब कहीं जाके सच उगलते हैं

प्यार से सींचकर किरणदेखो
पतझडों में भी पेड फलते हैं
********
डॉ.कविता किरण
नेहरू कॉलोनी,फालना-३०६११६
जिलाः पाली (राजस्थान)

kavitakiran.blogspot.com 

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16 Responses to डॉ.कविता ‘किरण’ की पांच ग़ज़लें

  1. अच्छी ग़ज़लें, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।

    ReplyDelete
  2. पाँचों ग़ज़लें बहुत ही प्यारी हैं .

    मोम के जिस्म जब पिघलते हैं
    तो पतंगों के दिल भी जलते हैं

    आपकी शान में ........

    शम्मा की जिन्दगी तो जारी सहर तक रहती
    पतंगे मिटने को उस वक्त ही मचलते हैं.

    इतनी अच्छी गजलों के लिए धन्यवाद !

    ReplyDelete
  3. is kadar narm dil shikari ho...vah ! panchon gazalen ek se badh kar ek...badhaee..

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

    ReplyDelete
  5. jitni tareef ki jaye utni kam hai Kavita ma'am ki in perfect gazals ki.. abhar aapka

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  6. ...बेहद प्रसंशनीय गजलें, बहुत बहुत बधाईंया!!!!

    ReplyDelete
  7. Kiran ji ki ghazlen achchhi hain. Badhai!
    Pahli ghazal ka maqta Kiran ka dhyan dobara chahta hai.

    ReplyDelete
  8. wah kavita ji ,wah!
    aapki panchon gazhal shandar or jandar hain.aapke pas to tamam prakar ki khoobsoorti hai.gazhlon ko bhi khoobsoorat bana deti hain.aapka gala bhi la jawab hai.aakhar kalash ko apni vani bhi bhejo!

    ReplyDelete
  9. अच्‍छी ग़ज़लें। बधाई।

    ReplyDelete
  10. kavita kiran ji ko padh kar achcha laga..
    very nice.....

    ReplyDelete
  11. किरण जी की गज़लें बहुत ही खुबसूरत है। बधाई हो।

    ReplyDelete
  12. मोहतरमा कविता किरण जी की हर ग़ज़ल गहरा असर छोड़ती है. जो उनकी शायरी की पुख़्तगी का सुबूत है.
    पहली ग़ज़ल का ये शेर-
    हैं सभी हुस्न की इबादत में
    इश्क का भी कोई पुजारी हो
    कितना दिलचस्प है!!!
    और
    उम्र-भर साथ-साथ चलने से
    हमसफर हमनशीं नहीं होता
    ये सच कितना खूब है..
    नाप ले दूरियां भले आदम
    आस्मां ये जमीं नहीं होता
    वाह.....वाह....वाह
    ये देखिये
    आपने अपना बनाकर हमसफर
    एक कंकर को नगीना कर लिया
    कमाल का शेर है.
    आंख मेरी फिर सजल होने को है
    लग रहा है इक गजल होने को है
    तमाम मतलों वाली ये ग़ज़ल अलग अंदाज़ में है.

    ReplyDelete
  13. massa allah kya khub sayari hai apki
    dil khus ho gai apki sayari padke, bilkul dil ke karib feel hua

    bhagwan kare aap aur bhi ucchayion ko chue
    best of luck

    ReplyDelete
  14. ..बेहद प्रसंशनीय गजलें, बहुत बहुत बधाईंया!!!!

    ReplyDelete
  15. khubsurt gzlon ke liye mubark baad pesh karta hn

    ReplyDelete
  16. कविता जी आपकी गजल गीत व कविताएं में पढनं के बजाए सुनना जदा पंसद करता हूँ । क्योंकि आपके शब्दों में ही नहीं अवाज में भी जादू हैं ।

    ReplyDelete

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