सुरिन्दर रत्ती की एक नज़्म और एक कविता


सुरिन्दर रत्ती

रचनाकार संक्षिप्‍त परिचय
रचनाकार नाम: सुरिन्दर रत्ती
जन्म स्थान: मुंबई
शिक्षा: बी. कॉम मुंबई यूनिवर्सिटी 
संगीत, और लेखन में रूचि, कुछ गानों की रेकॉर्डिंग हुई थी वह रिलीज़ हो चुके हैं
सम्प्रत्ति: मुंबई में युनिवर्सल म्यूजिक में मेनेजर पद पर कार्यरत 
एक पुस्तक पर कार्य चल रहा है



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उर्दू नज़्म "बदगुमानी"

वो शिकार हो गया है बदगुमानी का, 
वक़्त आया जैसे किसी की क़ुर्बानी का 
कुछ लोगों की होती अजीब हरकतें,
उम्दा सुबूत पेश करते नादानी का
खुद गुमराह हुए हैं या किये गए हैं,
एक अनोखा  सबब पाया परेशानी का
बदगुमां दमाग में रोज़न होने लगे,
बरपा बेमज़ा कहर शऊर मनमानी का
जाने  कैसे "रत्ती" तौफ़ीक़ ने पाँव पसारे
नया फुतूर देखा हैरतअंगेज़ कहानी का
शब्दार्थ 
बदगुमानी = गलत धारणा, गुमराह = पथभ्रष्ट 
सबब = कारण, बदगुमां = संशयी, रोज़न = छेद,   बरपा = उपस्थित
शऊर = तरीका,  तौफ़ीक़ = हिम्मत, शक्ति, फ़ूतूर = दोष
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कविता "उतावले शब्द"

सजल नयनों की भाषा
में थी एक अजीब निराशा,
निराशा में छुपा था एक सपना
अनदेखा दृश्य कुछ कहानियां, बातें,
और मस्तक की सिलवटों के पीछे नेत्र
जिनमें बसा था एक शहर 
सुनसान
उन अधरों पर थे कई उतावले शब्द 
जो पड़े रहे, अटके रहे 
कई दिनों, महीनों
मन बुद्धि  की राह तकते
उचित समय की बात जोहते
क़ैद होकर रह गए
मन की चारदिवारी में
भीतर के घमासान में 
पिसते-पिसते धूल हो गए  .....
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- सुरिन्दर रत्ती - मुंबई 

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4 Responses to सुरिन्दर रत्ती की एक नज़्म और एक कविता

  1. उचित समय की बात जोहते
    क़ैद होकर रह गए
    मन की चारदिवारी में
    भीतर के घमासान में
    पिसते-पिसते धूल हो गए .....
    क्या खूब कही है ..सच-मुच उचित समय के इन्तजार में बहुत सी बातें दिल में ही दबी रह जाती है !

    ReplyDelete
  2. सुरिन्दर रत्ती नज्म एवं कविता दोनों ही काबिले तारिफ हैं।

    ReplyDelete
  3. `vakt jaise aaya kisi kurbani kaa'. bahut sundar abhivyakti.Badhai.

    ReplyDelete
  4. रत्ती जी की कविता प्रभावित करती है।

    ReplyDelete

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