राजेश चड्ढा की चार ग़जलें

राजेश चड्ढा

रचनाकार परिचय:
वरिष्ठ उदघोषक व शायर,
आकाशवाणी, सूरतगढ़, राजस्थान,
प्रेषक : दीनदयाल शर्मा,
अध्यक्ष,राजस्थान साहित्य परिषद्,
हनुमानगढ़ जं. 335512

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कश्ती का मुसाफिर हूँ , उस पार उतरना है,
मल्लाह के हाथों में , जीना और मरना है.
जीना है समंदर के, सीने से लिपट जाना,
साहिल की तरफ बढ़ना, जीना नहीं मरना है.
घर छोड़ के जाना तुम, ग़र छोड़ दे घर तुमको,
तारों का निकलना ही, रातों का संवारना है.
घर दुनिया नहीं मेरी, दुनिया है घर मेरा,
हद - बेहद दोनों के, तूफां से गुजरना है.
दिल की तुझे कह डालूँ, फिर तेरी सुनूं तुझसे,
राजेश ऋषि होकर , हमको क्या करना है.



२.
आदमी और आदमी की जात देखिए,
इसकी शह पे उसको दी है मात देखिए.
इक हाथ में उसूल, दूजे में स्वार्थ है.
साथ साथ उठेंगे दोनों हाथ देखिए.
आपकी ख़ामोशी की  कीमत बताइए,
निकल न जाए मुंह से सच्ची बात देखिए. 
अब दोस्तों से दुश्मनी का जादू सीख लो,
रिश्ते ही देंगे जख्मों की सौगात देखिए.
अब गिरेगी छत या डूबेगा मेरा घर ,
आप दिल बहलाइए बरसात देखिए.
इस नस्ल में ऐसे भी कुछ लोग होते हैं,
गोया है अदब बीवी सुलाया साथ देखिए. 
3.
आज फिर वो पुरानी कहानी याद आई,
उम्र हल्की सी हुई फिर से जवानी आई. 
ख़त का रंग खुद ही गुलाबी सा हुआ,
और कुछ बात तेरी याद जुबानी आई.
दिन को फूलों से बहुत हमने सजा कर रखा,
ख्वाब में आई तो बस रात की रानी आई. 
अब भी हाथों को मेरे तेरा भरम होता है 
जब भी हाथों में मेरे तेरी निशानी आई. 
4.
बीज बोया है फसल काटेंगे,
दर्द  बोया है गज़ल काटेंगे.
आपकी उम्र बड़ी कीमती है,
ज़िन्दगी सूद सी हम काटेंगे.
रोजा जब रोज की जरूरत हो, 
ईद पर मिलकर भूख बाँटेंगे.
आप उसूलों की बात करते हैं,
आप थूकेंगे आप चाटेंगे.
वो जो खुद भाषणों पर जीते हैं
भीड में चुप्पियां ही बांटेंगे.
*******
- राजेश चड्ढा

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12 Responses to राजेश चड्ढा की चार ग़जलें

  1. NAMASKAR , SIR AAP NE CHAUKE ME CHHAKKA MARA HAI. CAUKA ACHHA LAGA ..
    MASTAN SINGH
    HANUMANGARH
    BLOG= penaltystroke.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. kaash GAZLON ke sath aap ki aawaz bhi hoti .
    CHAUKA ACHHA LAGA ..!!! MASTAN SINGH
    MY BLOG=penaltystroke.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. सभी गजलें बहुत अच्छी लगी! बेहद सुन्दर!

    ReplyDelete
  4. Bhai,Rajesh chadha,
    Payri si juban pe payri si ghazal yu lega kisi ne Nshaa sa ker diya ho.teri ghazal ped ker Bullha sha or shiv betalvi yaad ya jatta h.jase koi sufi sant ret k tillye per betha rab se taan milla reha ho.
    Aap ka ye hi sufiyna andaj ghazal m jan dal detta h.
    Aap ki sabhi ghazle dil k Aas-pas ki h.or Dil kabhi gelt nahi hota h.mithi si or thodi si namkeen ghazal k liye dher sara Asirbad.
    NARESH MEHAN.

    ReplyDelete
  5. जनाब राजेश चड्ढा साहिब
    आपने पहली ग़ज़ल का जो मतल’अ कहा है क़ाबिल-ए-दाद है

    कश्ती का मुसाफिर हूँ , उस पार उतरना है,
    मल्लाह के हाथों में , जीना और मरना है.

    दाद हाज़िर है, क़ुबूल फ़रमाएँ

    और दूसरा शे’र

    जीना है समंदर के, सीने से लिपट जाना,
    साहिल की तरफ बढ़ना, जीना नहीं मरना है.

    वाह,बहुत ख़ूब

    बाक़ी अश’आर और ग़ज़लों में आपने अच्छी कोशिश की है मगर
    एक बात शे’र की सूरत में आपसे कहना चाहता हूँ
    शे’र आपकी ख़िदमत में हाज़िर है

    रवानी की ज़रूरत है कहो दरिया की लहरों से
    पलट कर जब इधर आएँ तो घुँघरू बाँध कर आएँ

    ReplyDelete
  6. Bhai,Rajesh Aap ki teeno ghazle bhut hi payri or sunder legi.Ghazelo mai Bullhe saha or shiv betalevi ki khusbu Aa rehi H.Jaise koi sufi sant ret k tillye per betha rab se tarr jod reha ho.koi silli-sille se hewa surat k dhoron se nikel rehi ho.Aap ko mithi si or khubsutat ghazal k liye Aasirbad.
    NARESH MEHAN

    ReplyDelete
  7. दिन को फूलों से बहुत हमने सजा कर रखा,
    ख्वाब में आई तो बस रात की रानी आई.

    waah...waah ....!!

    अब भी हाथों को मेरे तेरा भरम होता है
    जब भी हाथों में मेरे तेरी निशानी आई.

    bahut khoob ....!!

    रवानी की ज़रूरत है कहो दरिया की लहरों से
    पलट कर जब इधर आएँ तो घुँघरू बाँध कर आएँ

    Govind ji ka ye she'r bhi kabile dad hai ....!!

    ReplyDelete
  8. sabhi gazalein bahut hi sundar bhavo se bhari huyi........badhayi.

    ReplyDelete
  9. 'आखर कलश'परभाई राजेश चड्ढ़ा की शानदार व जानदार ग़ज़लेँ पढ़ कर आनंद आया।यह तो आखर कलश की उपलब्धि है वरना उनकी ग़ज़लेँ कहीं प्रकाशित नहीँ क्योँ कि वे कहीँ भेजते ही नहीँ।

    ReplyDelete
  10. मैं कुछ कहूँगा तो गोविन्‍द गुलशन जी की बात को ही रिपीट करूँगा। सटीक उस्‍तादाना टिप्‍पणी है। टिप्‍पणी के शेर:

    रवानी की ज़रूरत है कहो दरिया की लहरों से
    पलट कर जब इधर आएँ तो घुँघरू बाँध कर आएँ
    पर गोविन्‍द गुलशन जी को बधाई।

    ReplyDelete
  11. राजेश जी कि गजलें शब्दों के नए माने सामने रखती हैं.. सुन्दर !

    ReplyDelete
  12. bhai rajesh ji,
    aapki gazalein behad dilkash aur rooh ko chhune wali hain . aapka sufiana andaj aur aapka Kurta - geans with french cut ek alhada shakhsiyat se roobru karvata hai.
    aapki aavaj kash in gazalon ke shabdon ko mil pati aur aakhar kalash ka har pathak unhein sun pata to sab kuch bhulakar hum kho jate.......
    ek baar apko fir sadhuvaad.

    Jitendra kumar soni
    www.jksoniprayas.blogspot.com

    ReplyDelete

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