क्रांति की रचनाएँ













१. मोड

हर मोड पर
अपना एक हिस्सा रख
आगे बढती हूं मैं
कि जब भी पलटकर देखूं
कोई तो हाथ हिलाता हुआ दिखे।

२. वापसी

आसमान छूकर
वापस लौटी तो पाया,
जो दो बालिश्त जमीन थी अपनी
वो भी अपनी न रही।

३. घर

हम अपने घर में
अंधेरे में भी चल लेते हैं,
दूसरों के घर में
उजाले में भी ठोकर लगती है।

४. क्षण

संधि के क्षण
बीत जाने के बाद
युद्ध हो या न हो
शांति कभी नही रहती।

५ स्मृति

कोई स्मृतिकण
उसका प्रवाह रोकता है
रक्त शिराओं में
पहले-सा नहीं बहता है।

६. फिर

फिर खेत कीचड से
कुएं पानी से भर गये होंगे
कहीं-कहीं मेरे गाँव के
रास्ते ठहर गये होंगे
पिछले सावन मगर
बरसते पानी मे
जो खेलते थे बच्चे
वो जाने किधर गये होंगे।


७. परछाइयाँ

जाने कब
नदी की आँख लगेगी
अभी जागती हैं
पानी में परछाइयां।
*******
- क्रांति

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18 Responses to क्रांति की रचनाएँ

  1. एक नए अंदाज़ के साथ बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत किया है आपने! बहुत बढ़िया लगा! बधाई!

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  2. सहजता से कहन इन काव्‍य रचनाओं की विशेषता है।

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  3. इन रचनाऒं को कविताएं कहना बेईमानी होगी।
    सूक्तियाँ रचीं हैं-----आपने---बहुत-बहुत बधाई!
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  4. बहुत खूबसूरत..हर रचना....
    आसमान छूकर.....वापस लौटी तो पाया,
    जो दो बालिश्त जमीन थी अपनी...वो भी अपनी न रही...
    और-
    संधि के क्षण......बीत जाने के बाद
    युद्ध हो या न हो.......शांति कभी नही रहती...
    ज़िन्दगी का दर्स देती हुई नज़्में.
    लेखिका और प्रस्तुतकर्ता बंधुओं को बधाई.

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  5. क्रांति जी की उपर्युक्त कविताएं शिल्प एवं संवेदना के स्तर पर सराहनीय है।

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  6. बहुत बढ़िया .....रचना हर एक पंक्तियों में गहरे भाव व्यक्त है

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  7. कवयित्री क्रान्ति की सभी कविताएँ संवेदनाओं से ओतप्रोत हैं...." मोड़ " कविता में ....कि जब भी पलट कर देखूं / कोई तो हाथ हिलाता हुआ दिखे ..और इसी तरह " घर " कविता में ....हम अपने घर में / अँधेरे में भी चल लेते हैं......कविताएँ बार - बार पढ़ने को मन करता है.... हार्दिक बधाई. http://deendayalsharma.blogspot.com

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  8. अनूठी शैली,अनूठी अभिव्यक्ति॥
    बधाई।

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  9. सत सिया के दोहे ज्यौं नाविक के तीर
    देखन में छोटे लगे घाव करे गम्भीर
    कम शब्दों में गहरे भावों को अभिव्यक्त किया है कीर्ति जी ने
    साधुवाद ..!
    आशा पाण्डे ओझा

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  10. सबसे अलग अंदाज़ ………………।बहुत ही भावमयी रचनायें…………………।सभी एक से बढ्कर एक्।

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  11. आखर कलश को एक और बेहतर प्रस्तुति के लिये साधुवाद! क्रांति जी की सभी रचनाएँ साहित्य की कसौटी पर भाव तथा कला पक्ष दोनो ही दृष्टि से खरी उतरती है। बधाई।

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  12. क्रांति जी ! बड़ोदरा और अहमदावाद में आपसे हुईं भेटें साँसों का पाथेय हैं. आपके असाधारण रचनाशीलता, शब्द सामर्थ्य, अनूठा चिंतन और कथ्य पर पकड़ स्वयं सिद्ध है. अंतरजाल पर आपका अभिनन्दन.

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  13. कांति जी ,आप की कवितायेँ जीतनी छोटी हैं उतनी ही मारक.आप को हार्दिक बधाई.

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  14. नतमस्‍तक हूँ। न्‍यूनतम शब्‍दों में संपूर्ण दर्शन की अभिव्‍यक्ति कैसे की जाती है इसका सटीक उदाहरण।
    बहुत-बहुत बधाई।

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  15. बहुत सुन्दर भाव, कम शब्दों में दिल को छू लेने वाले प्रसंग.
    बधाई

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  16. क्रांति जी!
    वन्दे मातरम.
    आपका दूरभाष आया, चर्चा कर स्मृतियाँ जीवंत हो उठीं. आपके काव्य संकलन और काव्य नाटक जेता अनूठी कृतियाँ हैं. आपकी अनुमति हो तो जेता को दिव्यनर्मदा पर प्रस्तुत करूँ. वड़ोदरा से नलिनी जी भी सतत संपर्क में रहतीं हैं. किसी साहित्यिक आयोजन मेंफिर आपसे साक्षात् की प्रतीक्षा है. डॉ. कनाते को नमन.

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  17. कम शब्दों में दिल को छू लेने वाली भावाभिव्‍यक्तियां...आपके साथ साथ आखर कलश को भी बधाई एक और बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये।

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