नीरज दइया की कविताएँ












राजकुमारी : कुछ कविताएं

-1-
वह जा रही थी
अपने घर
बैठ कर रिक्शा में
लगी- राजकुमारी-सी !

मैंने कुछ नहीं किया
मैं जल्दी में था ।
बस खुशी छ्लकी
अपनेआप ।

और उसने भी
देखा होगा जल्दी में,
मगर किसे-
मुझे या खुशी को ?
***

-2-
जिस किसी से हुआ हो प्रेम
यदि वह प्रेम है
तो क्या कम होती है वह-
किसी राजकुमारी से ?
***

-3-
किया ही नहीं
जीवन में कभी
नाप-तोल।
अब क्या करूंगा ?

मैंने दिया
जितनी चाह थी ।

राजकुमारी तुमने दिया
बस उतना ही लिया-
मैंने तुम्हारा प्रेम !

बाकी का प्रेम
जो नहीं दिया
उसे छूना तो दूर
देखा भी नहीं ।
***

-4-
जानता था कवि
राजकुमारी का प्यार
वह नहीं है

जानता था कवि
इस का अंत-
कल्पनाओं के टूटे पंख
कुछ बेतरतीब चित्र
बहुत उदास रंग
घायल सपने
और खत्म न होने वाली
पीड़ा में तरबतर याद है

फिर भी किया
उस ने प्यार
यह मानते हुए-
इन सब से बड़ा है
प्यार का होना
जिस के लिए
सब स्वीकार है ।
***

-5-
राजकुमारी ने बताए
अपने महल के
एक के बाद एक
बहुत सारे रहस्य !
वह गुप्त रास्ता
जो खोल देता
सारे रहस्य
वहां आकर रूकी
और रूकी रही

नहीं खोलने दिया
नहीं खोला वह दरवाजा

वह जो भी था
इंतजार में
अब भी स्मृति में
वहीं खड़ा है
और राजकुमारी
खोई है किसी स्वप्न में
वहां भी कोई राजकुमार नहीं ।
***

-6-
राजकुमारी ने देखा
अपनी छत से चांद

चांद ने भी देखा होगा उसे

चांद ने कुछ भी सोचा होगा
किसी कवि जैसा देख कर
चांद ने चांद तो नहीं सोचा होगा !
***

-7-
दोहरी जिंदगी जीने को
श्रापित है राजकुमारी
चलता है निरंतर
उस के भीतर युद्ध

युद्ध-विश्राम के समय
वह सोचती है-
हां यह ठीक है
और जैसे ही बढ़ाती है
दो-चार कदम आगे
रूक जाती है वहीं
सोचते हुए-
नहीं, यह गलत है ।
***
- नीरज दइया

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5 Responses to नीरज दइया की कविताएँ

  1. bahut hi gahan abhviyakti..........prem ke swaroop ko bahu thi sundar shabdon mein piroya hai.

    ReplyDelete
  2. खूबसूरत अभिव्यक्ति. अंदाज़ ज़रा हटकर..अच्छा लगने वाला...

    ReplyDelete
  3. पलके झपक नहीं पायी,अच्छी कविता.

    विकास पाण्डेय
    www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. नीरज जी संवेदनशील कवि हैं. इन कविताओं के लिए आखर कलश और कवि को बधाई.

    ReplyDelete

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