ओम पुरोहित ’कागद’ की क्षणिकाएँ














प्रीत
(१)
प्रीत की रीत
निभाई तुमने
प्रीत पाली नहीं।
अनाथ, अबोध सी
इधर ही पली।

(२)
रीत भर प्रीत
दरमियां हमारे
गुजारती रही वक्त
प्रीत टूटी
रीत से पहले
वक्त का क्रम
नहीं टूटा फिर भी
वक्त ने
भरी साख
हम तुम भी टूटे।
*******
ओम पुरोहित ’कागद’

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5 Responses to ओम पुरोहित ’कागद’ की क्षणिकाएँ

  1. waah .........kya kahun isse aage........behtreen.

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  2. मै आपके ब्लॉग पर पहली बार
    आया आपको पढ़ कर अच्छा लगा
    आभार ................

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  3. Bhai Om purohit ki kavita prit bhut hi payri or mithi si legi.Dil k bhiter tek utter geyi.Kavita om purohit bahut hi bhavpurn likhte hai.
    Om purohit ko is paviter kavita k liye sadhu-bad.
    NARESH MEHAN

    ReplyDelete
  4. preet ka nibhana to suna tha magar 'palana'aaj hi dekha..kripiya yeh bhi bata de ki paalte kaise hai...saala meenu

    ReplyDelete

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