चक्रव्यूह से निकलने की कोशिश में लगा मन,
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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
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सम्पादक मंडल
- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
और चांद के माफिक
ReplyDeleteदुनिया गोल है
परिवर्तन बेढोल सही
पर नर्तन में जो
होती है लय
उसी में यह
हो रहा है विलय।
गर परिवर्तन जीवन का नियम है
ReplyDeleteतो इतना तो तय है
अमावस्या को भी जाना है
चाँद को फिर आना है...
rashmiji eak aur aapke brand ki kavita soulful... inspiring !
ek nai ummed ka janam fir se kar diya aapne dil me...
ReplyDeleteरश्मि जी,
ReplyDeleteज़िन्दगी के चक्रव्यूह को तोड़ना नामुमकिन है, अभिमन्यू की तरह हम सभी बस इसमें प्रवेश करना जान पाए इससे निकलना नहीं| एक हीं मार्ग है बस... फिर भी आस तो लगाए रखना है न, बहुत अच्छी रचना, बधाई आपको|
amavasya ko jana he
ReplyDeletechand ko phir aana he .....
bahoooot sundar he ,,,dil ko chu gayi ,,,lines...
मन को थी एक आस
ReplyDeleteएक छोटा-सा विश्वास
गर परिवर्तन जीवन का नियम है
तो इतना तो तय है
अमावस्या को भी जाना है
चाँद को फिर आना है...
Sach hai, yeh vishwas hi bisham paristhityo se jujhne ka sahas deti hai.
इतना तो तय है कि अमावस्या को जाना है ...
ReplyDeleteबस अमावस्या के जाने तक हौसला बनाये रखना है ...
चक्रव्यूह के किनारे बैठ कर तो उसे तोड़ने का भरम नहीं पला जा सकता..बीच मझदार में उतरने का साहस भी जरुरी है..और इस साहस के लिए अमावस्या से पूर्णिमा का सफ़र भी ...
आपकी ये कविता मुझे बहुत अच्छी लगी ....आखर कलश से छलके मोती जैसे ....!!
गर परिवर्तन जीवन का नियम है
ReplyDeleteतो इतना तो तय है
अमावस्या को भी जाना है
चाँद को फिर आना है...
बहुत सकारात्मक भाव....रचना पढने से उर्जा मिली....
विश्वास की लौ ही काफी है अन्धकार को उजाले में बदलने के लिए... ILu...!
ReplyDeletebahut achchhe aur sakaratmak vichharon se bhari sundar rachna
ReplyDeleteगर परिवर्तन जीवन का नियम है
ReplyDeleteतो इतना तो तय है
अमावस्या को भी जाना है
चाँद को फिर आना है...
adbhutaas mam... aaapki najmon kee tarif agar main karun to chhota munh aur badi baat wli baat ho jayegi... aapki kavita padhne ke baad bilkul nihshabd ho jata hun...
PARIVARTAN HI JIVAN KA SAR HEIN
ReplyDeleteBAHUT KHOOB
bahut hi behtreen panktiyan
ReplyDeletejeevan saar
गर परिवर्तन जीवन का नियम है
ReplyDeleteतो इतना तो तय है
अमावस्या को भी जाना है
चाँद को फिर आना है...
bahut khoob rashmi ji ...
bahut din baad aapko para ....aur mantra mugdh ho gai.......
parivertan na ho tu bhi hum udas ho jate hai
aur parivertan hote hai tab bhi hum naraz ho jate hai........sach tu ye hai ki hame usme anand hamesha anand ko khojna chahiye.......