देवी नागरानी की गजलें




देवी नागरानी







ग़ज़लः १
कितने पिये है दर्द के, आंसू बताऊं क्या
ये दास्ताने-ग़म भी किसी को सुनाऊं क्या?

रिश्तों के आईने में दरारें हैं पड़ गईं
अब आईने से चेहरे को अपने छुपाऊं क्या?

दूश्मन जो आज बन गए, कल तक तो भाई थे
मजबूरियां हैं मेरी, मैं उनसे छुपाऊं क्या?

चारों तरफ से तेज़ हवाओं में हूं घिरी
इन आँधियों के बीच में दीपक जलाऊं क्या?

दीवानगी में कट गए मौसम बहार के
अब पतझड़ों के खौफ से दामन बचाऊं क्या?

साजि़श मेरे खि़लाफ मेरे दोस्तों की थी
इल्ज़ाम दुशमनों पे मैंदेवीलगाऊं क्या?

**

ग़ज़लः
दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था
दो चार तीलियों पे ही कितना गुमान था.

जब तक कि दिल में तेरी यादें जवांन थीं
छोटे से एक घर में ही सारा जहान था.

शब्दों के तीर छोडे गये मुझ पे इस तरह
हर ज़ख़्म का हमारे दिल पर निशान था.

तन्हा नहीं है तू ही यहां और हैं बहुत
तेरे मेरे सर पे कोई सायबान था.

कोई नहीं थादेवीगर्दिश में मेरे साथ
बस मैं, मिरा मुक़द्दर और आसमान था.

॰॰
ग़ज़लः ३
देखकर मौसमों के असर रो दिये
सब परिंदे थे बे-बालो-पर रो दिये.

बंद हमको मिले दर-दरीचे सभी
हमको कुछ भी आया नज़र रो दिये.

काम आये जब इस ज़माने के कुछ
देखकर हम तो अपने हुनर रो दिये.

कांच का जिस्म लेकर चले तो मगर
देखकर पत्थरों का नगर रो दिये.

हम भी महफिल में बैठे थे उम्मीद से
उसने डाली हम पर नज़र रो दिये.

फासलों ने हमें दूर सा कर दिया
अजनबी- सी हुई वो डगर रो दिये.
*******

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One Response to देवी नागरानी की गजलें

  1. gajale achchhi hai,urdu ki jagah hindi me hoti to aur achchha hota.

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