tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post6576243407425457633..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: समीर लाल ’समीर’ की दो कविताएँNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-7718333643271724692010-12-05T07:34:42.976-08:002010-12-05T07:34:42.976-08:00समीर जी ,बहुत विलम्ब से देख पा रहा हूँ ,आप ने ...समीर जी ,बहुत विलम्ब से देख पा रहा हूँ ,आप ने 'माँ ' के प्रति अपनी संवेदना अलग अंदाज़ में व्यक्त की है ,प्रसंशनीय है . 'बधाई .सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-43640744203044168572010-11-06T12:39:08.781-07:002010-11-06T12:39:08.781-07:00माँ थी
मेरा घर
वो गई
मैं बेघर हुआ!
Bahut hi marmik...माँ थी<br />मेरा घर<br />वो गई<br />मैं बेघर हुआ!<br />Bahut hi marmik, abhivyakti jo ahr dil ke kone mein tees bankar palrahi hai..Maan hoti hi aisi hai par manyata mahatvapoorn hai..<br /><br />Rishta vo hi nibhayega Devi<br />Jisko rishta samajh mein aaya haiDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-84114623465140226322010-11-02T21:20:50.371-07:002010-11-02T21:20:50.371-07:00ओह..आंखें नम कर देने वाली रचना...
समीर लाल जी का ल...ओह..आंखें नम कर देने वाली रचना...<br />समीर लाल जी का लेखन जादू भरा है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-22669134456199167832010-11-02T09:22:46.624-07:002010-11-02T09:22:46.624-07:00इसकी- उसकी, तेरी-मेरी, मां सबकी एक सी होती है!
मा...इसकी- उसकी, तेरी-मेरी, मां सबकी एक सी होती है!<br /><br />मां का दिल होता पाक साफ़, मां होती पक्का मोती है!!<br /><br />बहुत उम्दा रचना!rachanahttps://www.blogger.com/profile/14183659688400073503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-29067250735953337882010-11-02T06:23:30.071-07:002010-11-02T06:23:30.071-07:00मैं आपके ब्लॉग पर कई बार प्रयत्न करके भी टिप्पणी ...मैं आपके ब्लॉग पर कई बार प्रयत्न करके भी टिप्पणी नहीं डाल पाई <br />कविताए और लेख तो कई बार पढे |तब मुझे टिप्पणी पोस्ट करना नहीं आता था |अब मुझे ठीक से कम्पूटर ऑपरेट करना आ गया है |आज की कविता बहुत भावुक कर गई |बहुत बधाई इस पोस्ट के लिए |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-55701013308248169092010-11-02T04:17:21.654-07:002010-11-02T04:17:21.654-07:00माँ वह शख्स है जो हर वक्त याद आती है. जाने अनजाने ...माँ वह शख्स है जो हर वक्त याद आती है. जाने अनजाने में भी कष्ट में माँ को ही पुकारते हैं. माँ को अच्छी श्रद्धांजलि अर्पित की है. उसके व्याप्त होने के सारे सिरे आपने बयाँ किया हैं फिर वो गयी ही कहाँ है? हमेशा अपने बच्चों के पास रहती है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-33594960902596953412010-11-01T20:28:18.188-07:002010-11-01T20:28:18.188-07:00आपका आभार....समीर जी से इस तरह मिलवाने का....वैसे ...आपका आभार....समीर जी से इस तरह मिलवाने का....वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं है वे, पर आपने उनके परिचय को जिस तरह समेटा है काबिले तारीफ़ है ..उनकी कविताएं..एक से एक ...सहेजने योग्य....माँ पर जितना कहा जाए कम है ....<br />कुछ लाईने लिखी थी --<br /><br />सबकी माँ,<br />हाँ भाई हाँ,<br />माँ तो माँ,<br />बोले न कभी - ना,<br />दिल पुकारे गा-<br />उई-माँ,उई-माँ,<br />मन को गयी भा,<br />उनको भी दो ला,<br />जिनकी ना हो माँ,<br />खुश हों वो भी पा,<br />जीवन भर करे--हा,हा,हा।Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-10040523462296695552010-11-01T16:31:23.989-07:002010-11-01T16:31:23.989-07:00समीर जी एक बार फिर रुला दिया | मुझे मेरी माँ की या...समीर जी एक बार फिर रुला दिया | मुझे मेरी माँ की याद आ गई |Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-82841044478182030202010-11-01T04:47:24.612-07:002010-11-01T04:47:24.612-07:00समीर जी की लेखनी का तो कहना ही क्या..बेहतरीन रचनाय...समीर जी की लेखनी का तो कहना ही क्या..बेहतरीन रचनाये हैं दोनों.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-4121270307454538712010-11-01T03:56:12.671-07:002010-11-01T03:56:12.671-07:00समीर भाई को जितन पढ्त हूँ उतना ही एक नया रूप सामने...समीर भाई को जितन पढ्त हूँ उतना ही एक नया रूप सामने आता है .... बहुत संवेदनशील दिल के स्वामी ... जिंदादिल इन्सान को मेर नमन .दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-5938408397093069622010-11-01T03:33:13.131-07:002010-11-01T03:33:13.131-07:00समीर जी की ये कविता जब भी पढती हूँ आँखें नम हो जा...समीर जी की ये कविता जब भी पढती हूँ आँखें नम हो जाती हैं……………बेहद भावप्रवण्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-11252871552777863092010-11-01T03:27:17.351-07:002010-11-01T03:27:17.351-07:00माँ थी
मेरा घर
वो गई
मैं बेघर हुआ!माँ थी<br />मेरा घर<br />वो गई<br />मैं बेघर हुआ!प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-30238727484605976072010-11-01T02:48:35.882-07:002010-11-01T02:48:35.882-07:00samir jee ki ye dono rachnayen man ko chhu gayi..w...samir jee ki ye dono rachnayen man ko chhu gayi..wastaw me maa shabd ka arth jaise bhi lagayen...koi aur dusra nata iske aas paas nahi aa sakta...anupam behad samvedanshil rachnaayen.Arshad Alihttps://www.blogger.com/profile/00741578153298460528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-87454690448328223882010-11-01T01:49:10.262-07:002010-11-01T01:49:10.262-07:00Samir ji ka jawaab naheen.
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मन की गति से...Samir ji ka jawaab naheen.<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">मन की गति से चलें...</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-35095190644320446632010-10-31T22:02:07.199-07:002010-10-31T22:02:07.199-07:00आअद्भुत सुन्दर रचना। धन्यवाद।आअद्भुत सुन्दर रचना। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-21425739791858669592010-10-31T21:34:03.559-07:002010-10-31T21:34:03.559-07:00और छोड़ जाती थी
अपनी लूट की निशानी
एक मुस्कान
एक र...और छोड़ जाती थी<br />अपनी लूट की निशानी<br />एक मुस्कान<br />एक रस भीगा स्पर्श<br />और स्नेह की फुहार<br />अब सब कुछ लुट गया है!!<br /><br />माँ के प्रति ऐसी संवेदना ने आँखें नम कर दीं ..बहुत भावप्रवण रचनाएँ ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-18881969598260524452010-10-31T20:28:50.262-07:002010-10-31T20:28:50.262-07:00समीर भैया ने बहुत नवाचारी विधा से लिखी इन दोनों कव...समीर भैया ने बहुत नवाचारी विधा से लिखी इन दोनों कविताओं में पहले वाली ने ज्यादा कमाल किया है.दिल को तो चुने का काम दोनों ने किया है.भाव को उपर रखती हुई प्रतीत होती इन कविताओं के ज़रिए समाज के कथित नारी चिंतको की तरफ कुछ तो इशारा किया है मगर यहीं और भी कहने की गुन्जाईस रह गई लगती है. मेरी कविता में मैंने औरत को कहने का प्रयास किया था.कि<br />मांगती न बोलती <br />जागती दिन-रात है<br />रोकती न चिड़ती<br />सादगी की जात है<br />नोचती न पूछती <br />पर सोचती हर बात है<br />सिंचती वो रोपती<br />जिन्दगी के बाग़ को<br />जोड़ती वो मोड़ती<br />टूटती हर बात को <br />लिपती और ढ़ोरती<br />कहती हर दीवार है<br />अलिखे को बांचती वो <br />लिखे का मूल सार है<br />बांटती और जापती<br />खुशी के हर राग को<br />ढूँढती और ढांकती<br />पीड़ के विलाप को<br />नाचती वो कूदती <br />अवसरों पर बोलती<br />चुप्पियों को चुनती<br />वो मांगती न बोलती<br />मिले हुए को भोगती<br /><br />-- <br />सादर,<br /><br />माणिक;संस्कृतिकर्मी<br />17,शिवलोक कालोनी,संगम मार्ग, चितौडगढ़ (राजस्थान)-312001<br />Cell:-09460711896,http://apnimaati.com<br />My Audio Work link http://soundcloud.com/manikji''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडलhttps://www.blogger.com/profile/16471251362095496908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-84639816278877358592010-10-31T19:51:17.861-07:002010-10-31T19:51:17.861-07:00mazaa aa gaya sameer ji ki rachnaayein padh ke.
औ...mazaa aa gaya sameer ji ki rachnaayein padh ke.<br /><br />और फिर उसकी बेटियों की<br />प्यारी नानी भी वो ही...<br /><br />wah wah wahसुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-67410495433239646402010-10-31T19:50:42.087-07:002010-10-31T19:50:42.087-07:00सर जी,
सन्न हुये बैठे हैं बस्स।सर जी,<br />सन्न हुये बैठे हैं बस्स।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-84360688537574665302010-10-31T19:16:26.556-07:002010-10-31T19:16:26.556-07:00माँ के प्रति मार्मिक अभिव्यक्ति..... आँखे नम हो ...माँ के प्रति मार्मिक अभिव्यक्ति..... आँखे नम हो गयी डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-91110208498853531642010-10-31T14:44:09.363-07:002010-10-31T14:44:09.363-07:00मार्मिक अभिव्यक्ति.
बधाई.
[लेकिन शीर्षक चौंकाने ...मार्मिक अभिव्यक्ति. <br />बधाई.<br /><br />[लेकिन शीर्षक चौंकाने वाला होने के कारण कविता की संवेदना को नुकसान पहुँचाता सा लग रहा है. क्षमा करेंगे.]RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-25409096435478052782010-10-31T10:22:31.759-07:002010-10-31T10:22:31.759-07:00मॉं, एक शब्द, जो अनंतकाल से हर जन्म लेने वाले को...मॉं, एक शब्द, जो अनंतकाल से हर जन्म लेने वाले को अंदर तक स्पंदित करता रहा है, उसे कविताओं में जीने के इस पुत्र-प्रयास को नमन।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-20440759060604173122010-10-31T09:58:52.040-07:002010-10-31T09:58:52.040-07:00bahut nayaab! Atyant Bhavpoorn!"MAA tujhe sal...bahut nayaab! Atyant Bhavpoorn!"MAA tujhe salaam"!!!Dr. kavita 'kiran' (poetess)https://www.blogger.com/profile/10137044674020780363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-69874523467672302542010-10-31T09:47:11.560-07:002010-10-31T09:47:11.560-07:00---------------------------------
अविनाश वाचस्पति ...---------------------------------<br />अविनाश वाचस्पति ने कहा-<br />मार्मिक अभिव्यक्ति। इस लुटने में ही जुटना है। जुटे हुए हैं हम सब। उसी लूट की बदौलत। अच्छी है यह लत। बिना इसके होती है दुर्गत।<br />सादर/सस्नेहNarendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-2490467352182558362010-10-31T09:41:20.851-07:002010-10-31T09:41:20.851-07:00नई दृष्टि मां को देखने की ।नई दृष्टि मां को देखने की ।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com