tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post5673035522918589485..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: सुमन सारस्वत की दो कविताएँNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-20224409745851334232010-11-24T02:44:41.444-08:002010-11-24T02:44:41.444-08:00दोनों ही कविताएं आत्मीय रिश्तों की गहराई को समझन...दोनों ही कविताएं आत्मीय रिश्तों की गहराई को समझने का आग्रह लेकर सामने आती हैं और इस बंधन के भीतर जो खुलापन और समर्पण अपेक्षित है, उसे बहुत सघन आवेग के साथ अनुभव करने पर बल देती है। एक स्त्री के आंसू या किसी भी इन्सान के आंसू का क्या महत्व है, इस कवयित्री सुमन के इन शब्दों में बखूबी समझा जा सकता है - "इस बूंद को.../जिसमें समाया है एक पिंड /जिसमें समा जाना है एक दिन /इस ब्रह्मांड को /इस कायनात को.../इस अहसास को तुम महसूस करो /इस पिंड में समाए हो तुम /और मैं भी...." यानी ये आंसू महज आंख से निकल आया साधारण जल नहीं हैं, इनके भीतर जो पीड़ा और अन्तरंगता छुपी है, उसी को बचाकर ही हम जीवन को बचा सकते हैं। मानवीय रिश्तों पर दोनों अच्छी कविताएं हैं। बधाई।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-32212898763916837942010-11-24T02:28:06.883-08:002010-11-24T02:28:06.883-08:00दोनों ही कविताएं आत्मीय रिश्तों की गहराई को समझन...दोनों ही कविताएं आत्मीय रिश्तों की गहराई को समझने का आग्रह लेकर सामने आती हैं और इस बंधन के भीतर जो खुलापन और समर्पण अपेक्षित है, उसे बहुत सघन आवेग के साथ अनुभव करने पर बल देती है। एक स्त्री के आंसू या किसी भी इन्सान के आंसू का क्या महत्व है, इस कवयित्री सुमन के इन शब्दों में बखूबी समझा जा सकता है - "इस बूंद को.../जिसमें समाया है एक पिंड /जिसमें समा जाना है एक दिन /इस ब्रह्मांड को /इस कायनात को.../इस अहसास को तुम महसूस करो /इस पिंड में समाए हो तुम /और मैं भी...." यानी ये आंसू महज आंख से निकल आया साधारण जल नहीं हैं, इनके भीतर जो पीड़ा और अन्तरंगता छुपी है, उसी को बचाकर ही हम जीवन को बचा सकते हैं। मानवीय रिश्तों पर दोनों अच्छी कविताएं हैं। बधाई।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-85589180212116831982010-11-24T02:24:58.133-08:002010-11-24T02:24:58.133-08:00दोनों ही कविताएं आत्मीय रिश्तों की गहराई को समझन...दोनों ही कविताएं आत्मीय रिश्तों की गहराई को समझने का आग्रह लेकर सामने आती हैं और इस बंधन के भीतर जो खुलापन और समर्पण अपेक्षित है, उसे बहुत सघन आवेग के साथ अनुभव करने पर बल देती है। एक स्त्री के आंसू या किसी भी इन्सान के आंसू का क्या महत्व है, इस कवयित्री सुमन के इन शब्दों में बखूबी समझा जा सकता है - "इस बूंद को.../जिसमें समाया है एक पिंड /जिसमें समा जाना है एक दिन /इस ब्रह्मांड को /इस कायनात को.../इस अहसास को तुम महसूस करो /इस पिंड में समाए हो तुम /और मैं भी...." यानी ये आंसू महज आंख से निकल आया साधारण जल नहीं हैं, इनके भीतर जो पीड़ा और अन्तरंगता छुपी है, उसी को बचाकर ही हम जीवन को बचा सकते हैं। मानवीय रिश्तों पर दोनों अच्छी कविताएं हैं। बधाई।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-43415548455371336332010-11-24T01:47:13.755-08:002010-11-24T01:47:13.755-08:00सुमन की कविताओं में मानवीय रिश्तों की अहमियत को ब...सुमन की कविताओं में मानवीय रिश्तों की अहमियत को बहुत खूबसूरत शब्दों में व्यक्त किया गया है। दो प्राणियों के रिश्ते में जो व्याकता है, उसे भी बहुत सटीक शब्दों बांधने का प्रयत्न किया गया है। इन अच्छी कविताओं के लिए बधाई।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-80251995077560156222010-11-03T22:51:15.611-07:002010-11-03T22:51:15.611-07:00अर्थपूर्ण रचनाएँअर्थपूर्ण रचनाएँAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-10690855999587910392010-11-03T19:31:15.893-07:002010-11-03T19:31:15.893-07:00बहुत बेहतरीन रचनाएँ...
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना...बहुत बेहतरीन रचनाएँ...<br /><br /><br />सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,<br />दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ<br />खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..<br />दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!<br /><br />-समीर लाल 'समीर'Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-37650094932461058922010-11-03T11:23:24.690-07:002010-11-03T11:23:24.690-07:00ताजगी का अहसास कराती बेहतरीन कविताएँ!ताजगी का अहसास कराती बेहतरीन कविताएँ!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-57685182799980438802010-11-02T21:17:33.728-07:002010-11-02T21:17:33.728-07:00सुमन जी, दोनों रचनाएं दिल को छूने वाली हैं.सुमन जी, दोनों रचनाएं दिल को छूने वाली हैं.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-46720500353889729962010-11-02T19:03:13.104-07:002010-11-02T19:03:13.104-07:00दोनों रचनाएँ सुन्दर....हार्दिक बधाईदोनों रचनाएँ सुन्दर....हार्दिक बधाई डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-32720974954155846822010-11-02T10:51:47.389-07:002010-11-02T10:51:47.389-07:00जिन्दगी आसान कब रही है। लेकिन इसी तरह जीने का नाम...जिन्दगी आसान कब रही है। लेकिन इसी तरह जीने का नाम जिन्दगी है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-88812098211280841232010-11-02T09:43:02.374-07:002010-11-02T09:43:02.374-07:00dono rachnaen sundar hain..dono rachnaen sundar hain..अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-19555302798967613982010-11-02T08:57:31.890-07:002010-11-02T08:57:31.890-07:00लौट आओ अपने में
कि तुम
सिमट जाओ सपने में
अब तुम कस...लौट आओ अपने में<br />कि तुम<br />सिमट जाओ सपने में<br />अब तुम कसो मुट्ठियों को<br />सिर्फ कर्म करने के लिए<br /><br />* * * * *<br /><br />दोनों रचनाएँ लाजवाब !Pankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/10063320631434883552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-79100139380312935762010-11-02T08:54:39.739-07:002010-11-02T08:54:39.739-07:00सुमन जी की ‘...आँसू..’ शीर्षक रचना बहुत पसंद आयी।
...सुमन जी की ‘...आँसू..’ शीर्षक रचना बहुत पसंद आयी।<br />उन्हें हार्दिक बधाई!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-66811960264682314812010-11-02T08:41:41.506-07:002010-11-02T08:41:41.506-07:00सुन्दर अभिव्यक्ति...सुन्दर अभिव्यक्ति...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com