tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post5425875783736728308..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: डॉ. वंदना मुकेश की कविताएँNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-69424543946239697762011-04-20T02:00:01.883-07:002011-04-20T02:00:01.883-07:00सभी साहित्य रसिकों का मन:पूर्वक आभार, मेरी रचनाएँ...सभी साहित्य रसिकों का मन:पूर्वक आभार, मेरी रचनाएँ पढ़ने और उन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लियेVandana Mukeshhttps://www.blogger.com/profile/08561995112838579052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-2541111006328755482011-04-19T11:50:07.729-07:002011-04-19T11:50:07.729-07:00डा.वन्दना मुकेश की कविताएं
प्रभावित करती हैं !
अच्...डा.वन्दना मुकेश की कविताएं<br />प्रभावित करती हैं !<br />अच्छी कविताएं-बधाई !ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-29319083306428497482011-04-19T07:02:40.666-07:002011-04-19T07:02:40.666-07:00डा. वन्दना जी का परिचय अभि भूत कर गया । संवेदनाओं ...डा. वन्दना जी का परिचय अभि भूत कर गया । संवेदनाओं का प्रवाह हर शब्द मे प्रभावित करता है । धन्यवाद उन्हें पढवाने के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-20346297615790719142011-04-19T04:41:54.896-07:002011-04-19T04:41:54.896-07:00डॉ० वन्दना जी आपका कविता कौशल कथ्य -शिल्प का नयापन...डॉ० वन्दना जी आपका कविता कौशल कथ्य -शिल्प का नयापन बहुत ही सुंदर है बधाई आखर कलश को आपसे मिलवाने के लिए |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-51490340338212090742011-04-16T08:54:11.185-07:002011-04-16T08:54:11.185-07:00शाखाओं का रूप बदला,
चाल बदली, रंग बदला,
और फिर,
नस...शाखाओं का रूप बदला,<br />चाल बदली, रंग बदला,<br />और फिर,<br />नस्ल ही बदल गई।<br /><br />अफ़सोस,<br />अब न वे बरगद की संतान हैं।<br />न उनकी अपनी कोई <br />पहचान है।<br /><br />सभी रचनाएं काबिल-ए-तारीफ....<br />बहुत उम्दावीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-36564215465571081702011-04-15T10:27:09.861-07:002011-04-15T10:27:09.861-07:00ज़िंदगी
दायरों में बंधे हम
अपने ही बनाए मकड़जालों...ज़िंदगी<br /><br />दायरों में बंधे हम<br />अपने ही बनाए मकड़जालों में,<br />जूझते अकारण।<br />कसमसाते, छटपटाते<br />और भी बँधते जाते<br />मुक्ति की कामना लिए<br /><br />वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में बिलकुल सटीक बैठती है ये पंक्तियाँ <br />शब्द चयन भी लाज़वाब हैश्रीराम बिस्साhttps://www.blogger.com/profile/03540363776024431405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-26513367975757474422011-04-15T09:55:54.205-07:002011-04-15T09:55:54.205-07:00Aapki sabhi kavita bahut acchi hai...par in pankti...Aapki sabhi kavita bahut acchi hai...par in panktiyon ne moh liya...<br />कि धर्म क्या बताशा या झुनझुना है कि<br />पकड़ा दिया रोते हुए बच्चे को<br />और कुछ पल शांति।<br /><br />Badhayi.Vijuy Ronjanhttps://www.blogger.com/profile/05204504837179424572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-12481310387637054182011-04-15T04:13:34.859-07:002011-04-15T04:13:34.859-07:00ACHCHHEE KAVITAAYON KE LIYE VANDANAA MUKESH JI
KO ...ACHCHHEE KAVITAAYON KE LIYE VANDANAA MUKESH JI<br />KO BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-48795281841702545092011-04-15T00:25:22.997-07:002011-04-15T00:25:22.997-07:00एक परिपक्व सोच का परिचायक हैं वंदना जी की कविताये...एक परिपक्व सोच का परिचायक हैं वंदना जी की कवितायें……………सोचने को मजबूर करती हैं।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-60980090619705466452011-04-14T20:43:39.648-07:002011-04-14T20:43:39.648-07:00पुराने बरगद में भी,
इक नई चाह पैदा हुई,
तब नई पौध,...पुराने बरगद में भी,<br />इक नई चाह पैदा हुई,<br />तब नई पौध,<br />जड़ सहित नई जगह रोपी गई।<br /><br />शाखाओं का रूप बदला,<br />चाल बदली, रंग बदला,<br />और फिर,<br />नस्ल ही बदल गई।<br />bahut hi badhiyaa shuru se ant tak ek visheshta miliरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-32852780669788718282011-04-14T18:20:39.323-07:002011-04-14T18:20:39.323-07:00वंदन मुकेश जी के लिए
उनकी कविताओं को पढ़ते हुए यह...वंदन मुकेश जी के लिए<br />उनकी कविताओं को पढ़ते हुए यह ये विचार मेरे मन में आये और शब्द बन कर यहां निकल गए। <br />क्षमा याचना के साथ स्वीकृति के लिए भेज रहा हंू<br /><br />गुलामी<br /><br /><br />अक्सर यह सोंचता हूं कि<br />महिलाओं को पुरूषों ने गुलाम बनाया है <br />कि खुद वह इसका आदी हो गई?<br /><br />आज भी डा. वंदना मुकेश की कविताओं को पढ़ते हुए<br />उनकी संवेदनाओं का महसूस किया<br />पर विद्रोह नहीं देखा?<br /><br />बंदन के साथ मुकेश <br />कौन है<br />क्यों है<br />कैसे है<br />सोंचता हूं अक्सर<br />ये मर्द भी शातिर होतें है<br /><br />गुलामों को भी गुलामी का अहसास नहीं होता।<br /><br />लाल सिंदूर<br />लाल बिंदिया<br />चुड़ी<br />कई जंजीर<br />क्या यह नहीं है <br />गुलामी की तस्वीर....Arun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-40243561303027102442011-04-14T18:11:36.269-07:002011-04-14T18:11:36.269-07:00अक्सर सोचता हूं कि औरत बरगद की तरह क्यांे होती है...अक्सर सोचता हूं कि औरत बरगद की तरह क्यांे होती है, अस्तित्वहीन, निरपेक्ष।<br /><br />और सृजन ही तो ईश्वर है।<br /><br />आभारArun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.com