tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post506670891060403769..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: खुद मुख्तार औरत व अन्य कविताएँ- देवयानी भारद्वाजNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-62734004479438767222016-03-15T00:10:33.082-07:002016-03-15T00:10:33.082-07:00aap bhut achha likhte hai, as a publishing company...aap bhut achha likhte hai, as a publishing company khna chahta hu ki aap is story ko book me convert krne ka bichar kre, aur hme apna bichar btaye?: editor.onlinegatha@gmail.com<br />sadar: Varun MishraAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13627285726857394018noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-65162555647440479652013-10-10T05:22:04.037-07:002013-10-10T05:22:04.037-07:00स्वाभिमान में पगी श्रमजीवी स्त्री की बेधक वाणीस्वाभिमान में पगी श्रमजीवी स्त्री की बेधक वाणीभगीरथhttps://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-6805140475541811922013-10-10T05:21:27.844-07:002013-10-10T05:21:27.844-07:00स्वाभिमान में पगी श्रमजीवी स्त्री की बेधक वाणीस्वाभिमान में पगी श्रमजीवी स्त्री की बेधक वाणीभगीरथhttps://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-59132704508270992752013-08-14T23:55:17.052-07:002013-08-14T23:55:17.052-07:00bahut gehre bhav liye huee in kavitaon ko padna ac...bahut gehre bhav liye huee in kavitaon ko padna achchha laga.<br />sundar. ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-77787257640036449342013-07-18T01:22:27.067-07:002013-07-18T01:22:27.067-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण ..बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-13294489462580967952013-07-17T01:12:37.321-07:002013-07-17T01:12:37.321-07:00रोज गढती हूं एक ख्वाब
सहेजती हूं उसे
श्रम से क्ल...रोज गढती हूं एक ख्वाब <br />सहेजती हूं उसे <br />श्रम से क्लांत हथेलियों के बीच <br />आपके दिए अपमान के नश्तर <br />अपने सीने में झेलती हूं <br />सह जाती हूं तिल तिल <br />हंसती हूं खिल खिल <br />आपने महिलाओं के अन्तर्तम की व्यथा को बडे ही सहज, सरल तरीके से अभिव्यक्त किया है। मेरे अनुभव मे दिनभर कडी मेंहनत,घर के प्रत्येक सदस्य के नाज नखरो को सहते हुए भी वह नाच लेती गा लेती है। अन्त मे सबको खाना खिलानें के बाद बिना सब्जी मिर्च और प्याज से खाना खा लेती है ।पति के लिये व्रत करती है और पति महोदय खा पी कर सोते है और वह चांद निकलने का इन्तजार करती है। आपकी कविता पढ़कर मेरी आंखो मे मेरे अनुभव बिम्ब के रूप मे सामनें आ गये। <br />आपकी दूसरी कविता -मैं अपना चश्मा बदलना चाहती हूँ- पढ़कर गहरे मे समझ तो पा रहा हूं किन्तु समझने सेअधिक कठिन इस पर कुछ कहना लग रहा है । <br />महेन्द्र कुमारhttps://www.blogger.com/profile/05300073339617746023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-10004937411291014522013-06-29T09:39:48.522-07:002013-06-29T09:39:48.522-07:00आपकी कविताए न केवल व्यावहारिकता की ज़मीन पर है बल्क...आपकी कविताए न केवल व्यावहारिकता की ज़मीन पर है बल्कि अभूत आत्मीय भी है .... इनमें विनम्रता के साथ बात रखने का ढंग है ....... बधाई देवयानी जी ............( आप पापा का नाम राइशन कर रही हैं ) Naresh Chandrkarhttps://www.blogger.com/profile/04402943856397087631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-2597050888483423512013-06-29T08:35:54.004-07:002013-06-29T08:35:54.004-07:00khud mukhtaar aurat lakshman rekha ko najaayaz bat...khud mukhtaar aurat lakshman rekha ko najaayaz bataane vaali stree kee kvita hai jo roodhiyon ko dhwst karke apne aatmsamman aur garv se jeene kee aakanksha aur hausla rakhti hai.. badhai devyaniलीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-48682117441893306442013-06-28T22:26:52.632-07:002013-06-28T22:26:52.632-07:00आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(29-6-2013) के च...आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(29-6-2013) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी है ।<br />सूचनार्थ! vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-15883376174585611032013-06-28T21:59:26.214-07:002013-06-28T21:59:26.214-07:00क्षमा करें श्रीमान
मेरा माथा गर्व से उन्नत है
मु...क्षमा करें श्रीमान <br />मेरा माथा गर्व से उन्नत है <br />मुझ से न आवाज़ नीची रखी जाती है <br />न निगाहें झुकाना आता है मुझे <br />मैंने सिर्फ सर उठा कर जीना सीखा है <br /><br />खुद मुख़्तार औरत ....जो न देखी जाती हो आपसे यह ख़ुद मुख्तार औरत<br />तो निगाहें फेर लिया कीजिए <br />आपके इस ज़ज़्बे को सलाम देवयानी! आपकी लेखनी बहुत ही भावपूर्ण, संवेदनशील, और सशक्त है....एक तड़प है, छटपटाहट है जो मन को सहज बाँधती है।<br /><br />शुभकामनाएँ ।sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-48809928160242800692013-06-28T10:01:01.731-07:002013-06-28T10:01:01.731-07:00"वह प्रेम के प्रतीक्षालय में है
और वे लोग जो ..."वह प्रेम के प्रतीक्षालय में है<br />और वे लोग जो करते हैं उससे प्रेम<br />घर पर करते हैं उसकी प्रतीक्षा ..."<br /><br />यहाँ दिन के उजाले जैसा सत्य है इन पंक्तियों में ...!<br /><br />देवयानी भारद्वाज जी, संभावनाएं क्षितिज के उजाले सी है <br />आप में, आपके लेखन में ...! ...!<br /><br />दूर नहीं वह दिन ... उस पर कुछ कहें तो :फिर तो ये सारी <br />उधार की चीज़ों की अदलाबदली पाने वाले भी तो <br />नकली निकम्मे ही होंगे ...रात को ड्रग्स लेकर जो स्वर्ग में <br />खो जाने का आभाष पाते हैं वे तो सिर्फ सुबह होने पर दोज़ख़ <br />ही पाते हैं ...<br /><br />सुंदर सहज जीवन के वास्तव से इनकार कभी भी नहीं <br />किया जाए ...और कवि की आस्था तो हर किसी से कुछ <br />ऊपर उठ कर ही हो ...<br /><br />हम समझे हैं आपके निहितार्थ को ...<br />GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-91488943327545402552013-06-28T06:08:31.028-07:002013-06-28T06:08:31.028-07:00खुद मुख़्तार औरत ....जो न देखी जाती हो आपसे यह ख़ुद ...खुद मुख़्तार औरत ....जो न देखी जाती हो आपसे यह ख़ुद मुख्तार औरत<br />तो निगाहें फेर लिया कीजिए <br />गज़ब का लेखन है देवयानी जी का ..अच्छा लगा पढ़ कर ,बधाई रचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-25416345607957164622013-06-28T01:42:24.812-07:002013-06-28T01:42:24.812-07:00DEVYANI BHARDWAJ JI KEE KAVITAAYEN ACHCHHEE KAVITA...DEVYANI BHARDWAJ JI KEE KAVITAAYEN ACHCHHEE KAVITAAYEN <br />PADHWAANE KE LIYE AABHAAR .pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14595198332257086105noreply@blogger.com