tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post4931659134088043495..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: राकेश श्रीमाल की कविताएँNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-84148107205645148732011-04-19T11:53:45.364-07:002011-04-19T11:53:45.364-07:00वाह राकेश जी,वाह !
बहुत अच्छी कविताएं !
बधाई हो !
...वाह राकेश जी,वाह !<br />बहुत अच्छी कविताएं !<br />बधाई हो !<br />यह पंक्तियां तो बहुत अच्छी रहीं-<br />"जब रहती है वह मेरे पास<br />ईश्वर भी रहता है इर्द-गिर्द<br />न मालूम किसकी पूजा करता हुआ"ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-68049445749847364602011-04-12T04:24:13.010-07:002011-04-12T04:24:13.010-07:00दूर कहीं
बांस की छत के नीचे
गोबर से लीपे गए पूरे घ...दूर कहीं<br />बांस की छत के नीचे<br />गोबर से लीपे गए पूरे घर में<br />ठंड से बचने के लिए<br />जल जाता है कोई अलाव<br /><br />वहीं कहीं आंगन में बैठी मां<br />करती होगी याद बेटे को<br />उसकी पसंदीदा सब्जी बनाते हुए<br /><br />गांव का कोई पुराना मित्र<br />एकाएक ही करने लगता होगा याद<br />बचपन के दिनों की<br /><br />ईश्वर भी अपने अदृश्य और अभेद्य किले से<br />आ जाता होगा बाहर<br />देखता होगा फिर<br />अपने चमत्कार से बड़ा सहज विस्मय<br /><br />जब रहती है वह मेरे पास<br />ईश्वर भी रहता है इर्द-गिर्द<br />न मालूम किसकी पूजा करता हुआ<br /><br />इन पंक्तियों में इतनी गहराई है की शब्द नहीं है मेरे पास, कैसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करूँ ?<br />श्री राकेश सर को बहुत शुभकामनायेंshobha mishrahttps://www.blogger.com/profile/17523944890996754964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-18047222555294778662011-04-12T01:11:57.277-07:002011-04-12T01:11:57.277-07:00आपकी रचनाएँ अच्छी बन पडी हैं. श्रीमाल जी तथा आखर क...आपकी रचनाएँ अच्छी बन पडी हैं. श्रीमाल जी तथा आखर कलश दोनों को बधाईअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-89808455487002195372011-04-12T00:27:00.737-07:002011-04-12T00:27:00.737-07:00प्रेम की नई परिभाषाएं।प्रेम की नई परिभाषाएं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-77704746424504924142011-04-11T21:08:20.747-07:002011-04-11T21:08:20.747-07:00sunder kavitaen..
abhaar.sunder kavitaen..<br />abhaar.चैन सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/18079689283863767097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-40062005020356767202011-04-11T12:53:04.391-07:002011-04-11T12:53:04.391-07:00ठहर जाता है समय भी थोड़ी देर
अपना मनचाहा स्वप्न ...ठहर जाता है समय भी थोड़ी देर<br />अपना मनचाहा स्वप्न देखने के लिए<br />बादल खोजने लगते हैं अपना साथी<br />अपने साथ जमीन पर बरसने के लिए<br /><br />आपके ब्लॉग पे आया, दिल को छु देनेवाली शब्दों का इस्तेमाल कियें हैं आप |<br />बहुत ही बढ़िया पोस्ट है<br />बहुत बहुत धन्यवाद|<br /><br />यहाँ भी आयें|<br />यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.comआकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17420922344485600342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-91801726150256326932011-04-11T10:26:45.179-07:002011-04-11T10:26:45.179-07:00जिंदगी की गुनगुनी धुप सी आपकी ये कविताएँ देती हैं ...जिंदगी की गुनगुनी धुप सी आपकी ये कविताएँ देती हैं सुकून हर उस मन को जीना चाहता हैं जो तमाम उलझनों के बाद सुलझा हुआ <br />खूबसूरत कविताएँ.....बधाईUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15805940269490941984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-7591420278453972102011-04-11T08:22:19.888-07:002011-04-11T08:22:19.888-07:00होता है कभी यूं भी
सूझता ही नहीं वह सब उन क्षणों म...होता है कभी यूं भी<br />सूझता ही नहीं वह सब उन क्षणों में<br />जो सोचा गया था उन्हीं क्षणों के लिए<br /><br />बहुत सुंदर!नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.com