tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post184248550299856837..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: ग़ज़ल जैसी तेरी सूरत ग़ज़ल जैसी तेरी सीरत- अशोक मिज़ाज 'बद्र'Narendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-1588521570352360362013-05-29T17:23:42.113-07:002013-05-29T17:23:42.113-07:00सुनाऊं कौन से किरदार बच्चों को कि अब उनको,
न राजा ...सुनाऊं कौन से किरदार बच्चों को कि अब उनको,<br />न राजा अच्छा लगता है न रानी अच्छी लगती है।<br /><br /><br />sabhi umda sher/aabharArun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-59178099632660984362013-05-26T06:57:21.937-07:002013-05-26T06:57:21.937-07:00प्रस्तुत ग़ज़लों को पढ़ने से मन में जो विचार पैदा...प्रस्तुत ग़ज़लों को पढ़ने से मन में जो विचार पैदा हुआ उसे जीवन परिचय ने पुष्ट किया। <br />ग़ज़ल में यह सहज व सरल भाषा प्रवाह यूँ ही नहीं आता। अशोक जी तहे दिल से बधाई इतनी खूबसूरत ग़ज़लों पर। तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-88092594091497329382013-05-26T05:09:53.501-07:002013-05-26T05:09:53.501-07:00अशोक मिज़ाज जी को पढ़ना बहुत अच्छा लगा. सभी शेर ना...अशोक मिज़ाज जी को पढ़ना बहुत अच्छा लगा. सभी शेर नायाब हैं...<br /><br />सुनाऊं कौन से किरदार बच्चों को कि अब उनको,<br />न राजा अच्छा लगता है न रानी अच्छी लगती है।<br /><br />बेहतरीन ग़ज़ल पढवाने के लिए धन्यवाद. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-73139265275037784452013-05-26T03:46:58.936-07:002013-05-26T03:46:58.936-07:00श्री बलराम अगरवाल जी ने मेल द्वारा सन्देश प्रेषित ...श्री बलराम अगरवाल जी ने मेल द्वारा सन्देश प्रेषित किया- <br />भाई अशोक मिज़ाज की बेहतरीन ग़ज़लें पढ़वाने के लिए धन्यवाद व्यास जी।Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-68266831828673641162013-05-25T10:54:48.662-07:002013-05-25T10:54:48.662-07:00बड़े लोगों के चहरों पर शिकन भी आ नहीँ सकती,
कोई का...बड़े लोगों के चहरों पर शिकन भी आ नहीँ सकती,<br />कोई कालिख भी मल दे तो उसे वो तिल समझते हैं।<br /><br />______________________________________________<br /><br /><br />अशोक भाई समर्थ ग़ज़लकार हैं प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-26209958106933933202013-05-25T07:19:56.260-07:002013-05-25T07:19:56.260-07:00अगर वो होश में रहते तो दरिया पार कर लेते,
ज़रा सी ...अगर वो होश में रहते तो दरिया पार कर लेते,<br />ज़रा सी बात है लकिन कहाँ गाफिल समझते हैं।<br /><br />अकेलापन कभी हमको अकेला कर नहीं सकता,<br />अकेलेपन को हम महबूब की महफ़िल समझते हैं।<br />****<br />सुनाऊं कौन से किरदार बच्चों को कि अब उनको,<br />न राजा अच्छा लगता है न रानी अच्छी लगती है।<br /><br />पुरानी ये कहावत है सुनो सब की करो मन की,<br />खुद अपने दिल पे खुद की हुक्मरानी अच्छी लगती है।<br /><br />सीधे सरल शब्दों में रचे बद्र साहब के शेर सीधे दिल में उतर रहे हैं . नरेन्द्र भाई बद्र साहब की बेजोड़ ग़ज़लें पढवाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया. काश मुझे बद्र साहब का मोबाइल नंबर मिल जाता तो उन्हें मुबारक बाद देता। उनकी किताब के बारे में मैं अपने आपको अपने ब्लॉग पर चल रही "किताबों की दुनिया" श्रृंखला में लिखने में अपने आप को रोक नहीं पा रहा। वाणी प्रकाशन से उनकी किताब प्राप्ति का रास्ता ढूंढता हूँ .<br /><br />नीरज <br />9860211911<br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com