tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post1397653160472599588..comments2024-01-02T22:07:29.922-08:00Comments on आखर कलश: शाहिद मिर्ज़ा शाहिद की ग़ज़लNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-18954761302661366442010-09-21T13:35:10.624-07:002010-09-21T13:35:10.624-07:00बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे
मैं मानता ह...बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br /><br />मेरे ख़्यालों में करती हैं रक़्स ये शाहिद<br />तुम्हारी याद की जितनी भी अप्सराएं हैं<br />वाह वाह ....क्या कहा जाए !!<br />बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है ......इतनी खुबसूरत प्रस्तुति पर आभार .रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-3841307523432755222010-08-31T05:13:28.454-07:002010-08-31T05:13:28.454-07:00ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो
जिधर भी देखिए...ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं.... सुन्दरविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-83640558983197556292010-08-29T19:47:19.260-07:002010-08-29T19:47:19.260-07:00शहीद मिर्ज़ा जी की ग़ज़ल पढ़वाने के लिए धन्यवाद! बहत...शहीद मिर्ज़ा जी की ग़ज़ल पढ़वाने के लिए धन्यवाद! बहत ही सुन्दर और उम्दा ग़ज़ल है! बेहतरीन प्रस्तुती!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-63450507687800514212010-08-29T10:06:38.100-07:002010-08-29T10:06:38.100-07:00अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैं
तेरी जफ़ाएं, ”अ...अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैं<br />तेरी जफ़ाएं, ”अदाएं”, मेरी ”ख़ताएं” हैं<br /><br />हम तो मत्ले पर ही फ़िदा हैं .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-44461304475671170432010-08-28T10:05:50.354-07:002010-08-28T10:05:50.354-07:00वो दादी-नानी के किस्सों की गुम सदाएं हैं
परी कथाएं...वो दादी-नानी के किस्सों की गुम सदाएं हैं<br />परी कथाएं भी अब तो ”परी कथाएं” हैं<br /><br />behatareen gazalप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-79374729169972616512010-08-28T09:30:55.987-07:002010-08-28T09:30:55.987-07:00ग़ज़ल पसंद करने के लिए सभी साहेबान का शुक्रिया...
@ ...ग़ज़ल पसंद करने के लिए सभी साहेबान का शुक्रिया...<br />@ 'सहज साहित्य’ जी और बलराम जी अर्ज़ ये है कि हमारा प्रयास रहता है अश’आर में आम ज़बान के शब्दों का प्रयोग किया जाए...इस ग़ज़ल के एक शेर में अलबत्ता ’अना’ शब्द आया है, जिसका अर्थ अहंकार होता है<br />@ आदरणीय नरेन्द्र व्यास जी से गुज़ारिश है कि अना* के सामने ये स्टार लगाकर नीचे अर्थ लिखने की मेहरबानी फ़रमाएं...शुक्रिया.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-63267172134587695142010-08-28T07:41:37.796-07:002010-08-28T07:41:37.796-07:00बहुत आभार पढ़वाने का.बहुत आभार पढ़वाने का.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-18334804188929604112010-08-28T07:41:14.893-07:002010-08-28T07:41:14.893-07:00अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैं
तेरी जफ़ाएं, ”अ...अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैं<br />तेरी जफ़ाएं, ”अदाएं”, मेरी ”ख़ताएं” हैं<br /><br />बहुत ही सुंदर कलाम, वैसे शहीद जी से उम्मीद भी ज्यादा की ही रहती है ढेर सारी बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-42723490067545509552010-08-28T05:04:14.079-07:002010-08-28T05:04:14.079-07:00शाहिद साहब के क्या कहने हैं ..... बहुत ही बेहतरीन ...शाहिद साहब के क्या कहने हैं ..... बहुत ही बेहतरीन गज़ाल कहते हैं ..... ज़माने के हालात बहुत ही प्रखर रूप पेश करते हैं ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-17743055683133177932010-08-27T23:20:27.035-07:002010-08-27T23:20:27.035-07:00बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे
मैं मानता ह...बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है॥<br />अपनी ख़ता मानने के चलन को शायरी ने ज़िन्दा रखा हुआ है, वरना यह तहजीब भी राजनीति और बाज़ार के घने जंगल में ग़ुम हो चुकी है। बहुत अच्छी ग़ज़ल है।<br />पाठकों की दो बातों का समर्थन मैं भी करूँगा--पहली यह कि कठिन शब्दों के अर्थ यथासंभव फुटनोट में दिये जाएं और दूसरी यह कि कम से कम सात दिनों तक अन्य पोस्ट न डाली जाय।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-77102523421255546832010-08-27T23:07:14.779-07:002010-08-27T23:07:14.779-07:00कमाल किया है मिर्ज़ा साहब ने. उम्दा ग़ज़ल, हर शेर खुब...कमाल किया है मिर्ज़ा साहब ने. उम्दा ग़ज़ल, हर शेर खुबसूरत.Madan Mohan 'Arvind'https://www.blogger.com/profile/01174037323908245493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-22092285075175227802010-08-27T22:24:50.625-07:002010-08-27T22:24:50.625-07:00आपकी गज़ल का यह शेर बहुत उम्दा है- ...आपकी गज़ल का यह शेर बहुत उम्दा है- ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं।<br />कठिन शब्दों के अर्थ भी फुटनोट में दे दें तो और भी अच्छा रहे ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-85132532836884789042010-08-27T10:47:53.291-07:002010-08-27T10:47:53.291-07:00बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे
मैं मानता ह...बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br />शाहिद जी, आपकी गज़ल पढी, जज़्बात पर हमेशा पढता हूं, आप बहुत सुन्दर लिखते हैं. बधाई.umeshhttps://www.blogger.com/profile/02481410989063574047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-495687990205124972010-08-27T09:07:01.995-07:002010-08-27T09:07:01.995-07:00ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो
जिधर भी देखिए,...ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं<br /><br />बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br /><br />बेहतर !! सुन्दर रचना ! <br /><br /><br />समय हों तो ज़रूर पढ़ें:<br />पैसे से खलनायकी सफ़र कबाड़ का http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html<br /><br />शहरोज़शेरघाटीhttps://www.blogger.com/profile/12003123660549394986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-36473244199269711042010-08-27T05:04:49.364-07:002010-08-27T05:04:49.364-07:00अछि कविता है .. ..........
http://oshotheone.blogs...अछि कविता है .. ..........<br />http://oshotheone.blogspot.com/ओशो रजनीशhttps://www.blogger.com/profile/02490589981699767958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-59975176774171667462010-08-27T04:22:01.333-07:002010-08-27T04:22:01.333-07:00आपको हमेशा ब्लॉग पर देखा पढ़ा है...
जाने इधर कैसे ...आपको हमेशा ब्लॉग पर देखा पढ़ा है...<br />जाने इधर कैसे आ गए भटकते हुए..<br /><br /><br />अजब वफ़ा के उसूलों से ये वफ़ाएं हैं<br />तेरी जफ़ाएं, ”अदाएं”, मेरी ”ख़ताएं” हैं..<br /><br />दिल पर चोट करता मतला...<br /><br />ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं<br /><br />बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br /><br /><br /><br />kamaal ke she'r hain huzoor...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-11917629562825313412010-08-27T00:22:15.752-07:002010-08-27T00:22:15.752-07:00बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे
मैं मानता ह...बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br />waahरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-15516494051515755442010-08-27T00:03:58.437-07:002010-08-27T00:03:58.437-07:00अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैं
तेरी जफ़ाएं, ”अ...अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैं<br />तेरी जफ़ाएं, ”अदाएं”, मेरी ”ख़ताएं” हैं<br /><br />Achchha sher hai.Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-59256889995757418532010-08-26T23:01:33.466-07:002010-08-26T23:01:33.466-07:00ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो
जिधर भी देखिए...ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं<br /><br />मेरे ख़्यालों में करती हैं रक़्स ये शाहिद<br />तुम्हारी याद की जितनी भी अप्सराएं हैं<br /><br />अब ऐसे हसीन बा-कमाल अशआरों पर क्या कहें...?? शाहिद साहब की शायरी की शान में बस अपना सर झुकाते हैं. ऐसे बेहतरीन को शायर को हमेशा पढ़ते रहने का जी करता है. <br /> उनका कलाम हम तक पहुँचाने के लिए आपका शुक्रिया<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-42772268859138416092010-08-26T22:37:57.516-07:002010-08-26T22:37:57.516-07:00वो दादी-नानी के किस्सों की गुम सदाएं हैं
परी कथाएं...वो दादी-नानी के किस्सों की गुम सदाएं हैं<br />परी कथाएं भी अब तो ”परी कथाएं” हैं<br />वाक़ई वो मासूमियत कहां खोती जा रही है ,क्या इस के ज़िम्मेदार हम भी नहीं हैं????<br /><br />ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं<br /><br />बहुत उम्दा अक्कासी है आज के हालात की सारे रिश्तों के इन्हेदाम की ज़िम्मेदार ये अना ही तो है<br /><br />बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br />शिकायत और ऐतराफ़ दोनों का बेहद ख़ूबसूरत संगम<br />बहुत ख़ूब!<br />मुबारक होइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-80829063977331505812010-08-26T21:39:27.310-07:002010-08-26T21:39:27.310-07:00शहीद मिर्ज़ा साहब, बहुत ही उम्दा भावाभिव्यक्ति है |...शहीद मिर्ज़ा साहब, बहुत ही उम्दा भावाभिव्यक्ति है | आपसे सलाम करता हूँ | <br />हमें "आखर कलश" के लिएँ उत्तम रचनाएं ही चाहिएं | आपने देखा होगा कि सम्पादक मंडल के श्रीमान नरेन्द्र व्यास जी काफी मेहनत करते हैं | "आखर कलश" का नया रूप सभी पाठकों को मोहित करने वाला है | हम और भी सुधार करते रहेंगे | आपका सहयोग हमेशा बनाये रखें | <br />- पंकज त्रिवेदीPankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/17669667206713826191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-35918040979304584262010-08-26T20:19:41.134-07:002010-08-26T20:19:41.134-07:00शाहिद जी यह रचना पसंद आई। ग़ज़ल के पैमाने पर कसने ...शाहिद जी यह रचना पसंद आई। ग़ज़ल के पैमाने पर कसने वाले कसेंगे। <br />इस टिप्पणी में फिर एक बात कहना चाहता हूं। किसी भी रचनाकार की रचना कम से कम एक हफ्ते तो आखर कलश पर रहने दें।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-84273117014149987682010-08-26T17:48:05.961-07:002010-08-26T17:48:05.961-07:00अहा!! आनन्द आ गया..बहुत आभार पढ़वाने का.अहा!! आनन्द आ गया..बहुत आभार पढ़वाने का.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7334972987523809834.post-53028736598493637752010-08-26T11:59:22.186-07:002010-08-26T11:59:22.186-07:00बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे
मैं मानता ह...बिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थे<br />मैं मानता हूं मेरी भी कई ख़ताएं है<br />क्या कहूं? शाहिद साहब मौजूदा दौर के उन शायरों में से एक हैं, जो ज़मीन के करीब हैं, जिनकी शायरी में ज़िन्दगी के तमाम रंग सिमट जाते हैं.<br /><br />महकती जाती ये जज़्बात से फ़िज़ाएं हैं<br />कोई कहीं मेरे अश’आर गुनगुनाएं हैं<br />इस शेर के ज़रिये वे रोमानी हो जाते हैं, तो-<br />अगले ही शेर में देश-दुनिया के प्रति उनकी चिन्ता खुल कर सामने आ जाती है-<br /> ज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगो<br />जिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैं<br />इतनी सुन्दर गज़ल पढवाने के लिये ’ आखर-कलश’ की आभारी हूं.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com